श्रीमंत समर्थकों को लेकर की गई भविष्यवाणी
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से कांग्रेस के निशाने पर श्रीमंत और उनके समर्थक आ गए हैं। कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ रही है जब वह मौका मिलते ही उन पर हमलावर नजर ना आए। वैसे भी प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद से श्रीमंत और उनके समर्थक लगातार कांग्रेस नेताओं की आंखो पर चढ़े हुए हैं। हालात यह हैं कि पूरी की पूरी कांग्रेस की नजर इन नेताओं पर लगातार लगी रहती है। फिर मामला चाहे कुछ भी हो। अब प्रदेश से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान पहुंचने के बाद एक बार फिर से प्रदेश कांग्रेस इन नेताओं के पीछे पड़ती नजर आने लगी है। कांग्रेस ने भी अब भाजपा की ही तरह श्रीमंत समर्थकों को टेंशन देने की शुरूआत अपने अधिकृत ट्वीटर हेंडिल से कर दी है। ट्वीट में कांग्रेस ने पूर्वानुमान लगाते हुए लिखा है कि गद्दार गुट के सभी मंत्रियों की होगी छुट्टी। इस ट्वीट के बाद से भाजपा में हड़कंप मच गया है। भाजपा में श्रीमंत समर्थक नेता बेहद कमजोर कड़ी मानी जाती है। यही वजह है कि अब कांग्रेस ने इस पर ही हमला करने की शुरूआत कर दी है। यह हमला ऐसे समय किया गया है ,जबकि प्रदेश में मंत्रिमंडल के पुर्नगठन की चचाएं तेज हैं और भाजपा में चिंतन मनन के दौर के साथ ही मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा का दौर चल रहा है। कांग्रेस से विद्रोहकर भाजपा में जाने वाले गुट को लेकर शुरू से ही कांग्रेस श्रीमंत समर्थकों के बयानों , उनकी कार्यशैली को मुद्दा बनाकर कांग्रेस शुरू से ही मूल रूप से भाजपाई यों से रणनीतिक रूप से सहानुभूति जताती रही है। इस दौरान कांग्रेस यह बताने से भी पीछे नहीं रहती है कि आने वाले दिनों में खासतौर पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में श्रीमंत समर्थक मुसीबत बनेंगे। उधर, कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि श्रीमंत और उनके समर्थकों को भाजपा में गए हुए ढाई साल का समय हो गया है, लेकिन अब भी मलू भाजपाई और श्रीमंत समर्थकों के बीच अब तक पटरी नहीं बैठ पा रही है। प्रदेश भाजपा में इन दिनों तीन बड़े नेताओं के गुट बने हुए हैं। कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराने के लिए भाजपा ने श्रीमंत और उनके समर्थकों को भाजपा में शामिल होने के लिए जो शर्तें तय की थीं , वह अब पूरी हो चुकी हैं, लिहाजा श्रीमंत समर्थकों का मंत्री परिषद से बाहर होना तो तय है ही साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में श्रीमंत समर्थकों के टिकट पर भी खतरा मंडरा रहा है। उधर माना जा रहा है कि कांग्रेस का इस तरह के हमलों की पीछे की मंशा श्रीमंत समर्थकों और मूल भाजपा नेताओं के बीच की खाई को बढ़ाने का मकसद है जिसका फायदा कांग्रेस को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके।
श्रीमंत समर्थकों का है जलवा
शिवराज कैबिनेट में फिलहाल उन्हें मिलाकर कुल 31 मंत्री हैं। इनमें श्रीमंत के समर्थक छह कैबिनेट और तीन राज्यमंत्री हैं। ऐसे में चर्चा है कि बीजेपी कोर कमेटी के पास कुछ मंत्रियों की शिकायतें भी पहुंची है। आगामी चुनाव को देखते हुए बीजेपी विपक्ष को किसी प्रकार का कोई मुद्दा नहीं देना चाहती। कुछ श्रीमंत समर्थक मंत्रियों का परफॉर्मेंस से भाजपा संगठन व स्वयं मुख्यमंत्री भी संतुष्ट नहीं बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें हटाकर नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि श्रीमंत और उनके समर्थकों का पार्टी में सत्ता में लाने का काम पूरा हो चुका है और अब भाजपा अपने स्तर पर अगले चुनावों की तैयारी कर सकती है। अगर यह सच निकला तो श्रीमंत की पार्टी और सरकार में ताकत कम हो जाएगी। मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य है और इस हिसाब से इसका 15 फीसदी यानी अधिकतम 35 मंत्री शिवराज कैबिनेट में हो सकते हैं। ऐसे में चुनाव से पहले जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए चार मंत्रियों के रिक्त पद भरने और मंत्रियों के विभाग में फेरबदल की बात की जा रही है। सूत्रों का दावा है कि शिवराज को केंद्रीय नेतृत्व से भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की अनुमति मिल चुकी है।