- वित्त विभाग में अटकी संविदाकर्मियों के वेतन बढ़ाने की फाइलें
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के करीब 1.20 लाख संविदाकर्मी पिछले तीन साल से वेतन बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आज तक उनकी आस पूरी नहीं हो पाई है। इसकी वजह यह है कि वित्त विभाग में संविदाकर्मियों के वेतन बढ़ाने की फाइलें अटकी हुई हैं। ये राज्य शिक्षा केंद्र समेत 12 से अधिक विभागों की फाइलें हैं। इन विभागों ने संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ाने के लिए वित्त विभाग से अनुमोदन के लिए फाइलें भेजी थीं। जिन पर वित्त विभाग को अनुमति देनी थी, जो कि नहीं दी गई है।
गौरतलब है कि महंगाई के बीच वेतन नहीं बढऩे से 1.20 लाख संविदाकर्मी परेशान हैं। ये शासन-प्रशासन से लगातार गुहार लगा रहे हैं। यही नहीं, कर्मचारी वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात कर चुके हैं तो स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से भी मदद मांग चुके हैं, तब भी वेतन नहीं बढ़ रहा है। संविदाकर्मियों का कहना है कि वेतन बढ़ाने के लिए तीन वर्ष पूर्व नीति बनाई, जिसमें संविदाकर्मियों को नियमित पदों की तुलना में 90 फीसदी वेतन देने का प्रविधान किया गया है। इन्हीं प्रविधानों के तहत वित्त विभाग को राज्य शिक्षा केंद्र समेत अन्य विभागों ने वेतन बढ़ाने संबंधी फाइलें भेजी हैं, जिन पर अनुमोदन नहीं दिया जा रहा है। जबकि महिला बाल विकास विभाग, खेल विभाग, प्रशासन अकादमी, राजस्व विभाग समेत कुछ विभागों में काम करने वाले संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ाने से जुड़े प्रस्तावों पर सहमति मिल गई है।
जून 2018 से अधर में लटकी है नीति
बता दें, प्रदेश के सभी विभागों में 1.20 लाख संविदाकर्मी हैं। राज्य स्वास्थ्य मिशन की मप्र इकाई में इनकी संख्या सर्वाधिक है। इन संविदा कर्मियों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने पांच जून 2018 को एक नीति बनाई थी, जिसमें संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और उनका वेतन विभागों में खाली नियमित कर्मचारियों के समकक्ष 90 फीसदी करने, उन्हें महंगाई भत्ता दिए जाने के प्रविधान किए हैं। तभी से संविदाकर्मी इस नीति के अनुरूप वेतन की मांग कर रहे हैं। मप्र संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर की तरफ से आरोप लगाया है कि कुछ जनप्रतिनिधियों के लिए वाहन खरीदने से जुड़ी फाइलों को वित्त विभाग के अधिकारियों ने अनुमति दे दी है। वहीं संविदाकर्मियों से जुड़ी फाइलें अटकाकर रखी हैं। यह भेदभाव ठीक नहीं है। जनप्रतिनिधि के लिए कारें खरीदने के लिए हाल में भेजी गई फाइलों पर अनुमति देने से उन्हीं कोई आपत्ति नहीं है लेकिन काम करने वाले संविदाकर्मियों के हितों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
अनुमति के चक्कर में करोड़ों रुपए लैप्स हो जाएंगे
प्रदेश के ज्यादातर संविदाकर्मी केंद्रीय योजनाओं में कार्यरत हैं। इन योजनाओं में करोड़ों रुपये हैं, जिनका उपयोग नहीं किया गया है। यह राशि 31 मार्च को हर वर्ष की तरह लैप्स हो जाएगी। संविदाकर्मियों का कहना है कि इस राशि का लाभ उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को मिल सकता था, लेकिन वित्त विभाग के कुछ अधिकारियों के रवैये के कारण नहीं मिल पा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। रमेश राठौर ने कहा है कि जनप्रतिनिधियों पर किए जा रहे खर्च से संविदा कर्मियों को आपत्ति नहीं है लेकिन मेहनत करने वालों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, जो कि नहीं रखा जा रहा है।
28/02/2022
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