
- बजट में प्रावधान, लेकिन केन्द्र ने नहीं दी राशि
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की सरकार है, लेकिन आर्थिक मोर्चा पर प्रदेश को इसका फायदा पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है। हालत यह है कि बीते माह समाप्त हुए वित्त वर्ष में केन्द्र सरकार ने प्रदेश के हिस्से की पूरी राशि नहीं दी , लिहाजा प्रदेश के खजाने को 16155 को घाटा उठाना पड़ा है। दरअसल, प्रदेश सरकार को केन्द्र से 31 मार्च तक 37652 करोड़ रुपए मिलने थे , लेकिन उसे महज 21497 हजार करोड़ रुपए ही मिल सके हैं। इस तरह से 16155 करोड़ रुपए कम दिए गए हैं। इसके अलावा कई विभाग तो ऐसे हैं , जिनकी कई मदों में एक रुपए भी जारी नहीं किए गए हैं। यह स्थिति तब रही है, जबकि विभागों की योजनाओं के मद में बजट का प्रावधान भी किया गया था। जिन विभागों के यह हाल रहे हैं, उन विभागों के मंत्रियों की बात करें तो उनमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राजेंद्र शुक्ल, उदय प्रताप सिंह, राकेश सिंह, संपतिया उइके, निर्मला भूरिया जैसे मंत्री शामिल हैं। अहम बात तो यह है कि केन्द्र ं प्रदेश के कोटे से मंत्री और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के विभाग ने भी मप्र को बंजट आवंटित करने में कंजूसी दिखाई है। इसी तरह से मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन के लिए 4571.49 करोड़ रुपए में से भी एक रुपए तक प्रदेश को नहीं मिला है । उधर, प्रदेश से वास्ता रखने वाले दूसरे केन्द्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी मप्र को लेकर कंजूसी दिखाई है। उनके विभाग ने मप्र को तय बजट में से 60 फीसदी राशि कम दी है। प्रदेश में यह विभाग उप मुख्यमंत्री सीएम राजेंद्र कुमार शुक्ल के पास है।
नगरीय आवास और विकास विभाग को भी कम मिली राशि
नगरीय आवास और विकास विभाग को भी 1400 करोड़ रुपए कम मिले हैं। इसके तहत अमृत 2.0 के लिए 51.03 करोड़, शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 कैपिसिटी बिल्डिंग के लिए 22.64 करोड़ रुपए, जबलपुर और उज्जैन स्मार्ट सिटीज के लिए अलग-अलग 14-14 करोड़ रुपए मेट्रो रेल के लिए 120 करोड़़ नहीं मिले। इसी तरह से यूज्ड वाटर मैनेजमेंट 255 करोड़ के बदले केंद्र ने 347.59 करोड़ और हाउसिंग फॉर ऑल के लिए 612 करोड़ के बदले 281.44 करोड़ रुपए दिए हैं।
ग्रामीण विकास विभाग
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग पंचायत विभाग की ओर से 106.17 करोड़ एमपी को मिलने थे। जिसमें से 40 करोड़ रुपए ही दिए गए हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री जनमन योजना आवास के लिए 600 करोड़, प्रधानमंत्री जनमन योजना सडक़ के लिए 300 करोड़, पीएम पोषण शक्ति निर्माण के लिए 540 करोड़, मध्यान्ह भोजन सामग्री परिवहन के लिए 68.25 करोड़ नेशनल रूरल इकोनामिक ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के लिए 18 करोड़, स्टार्ट अप विलेज इंटर प्रिन्योर शिप प्रोग्राम के लिए 30 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के लिए 90 करोड़ रुपए मिलने थे , जो नहीं मिले हैं। इसी तरह से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के लिए 692.98 करोड़, इंदिरा गांधी निशक्त पेंशन के लिए 29.21 करोड़, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन के लिए 134.71 करोड़ प्रावधान न होने के बाद भी मिले हैं। इसके अलावा निर्मल भारत अभियान के लिए 300 करोड़ की बजाय 121.05 करोड़, पीएम कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास के लिए 177.60 करोड़ के बदले 71.26 करोड़, पीएम आवास योजना के लिए 2400 करोड़ के बदले 4277.68 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 480 करोड़ के बदले 1577.52 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 2625 करोड़ के बदले 971.94 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के लिए 726 करोड़ के बजाय 703.28 करोड़ का ही फंड रिलीज हुआ है। यही हालत गई विभागों की तमाम योजनाओं की भी रही है। इसमें ऊर्जा विभाग को आरडीएसएस में 1933.93 करोड़ सहकारिता विभाग में पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए 19.20 करोड़ रुपए भी नहीं दिए गए।
गृह विभाग को सुरक्षा के लिए नहीं मिली राशि
केंद्र क्षेत्रीय योजना के अंतर्गत सुरक्षा के लिए 16.42 करोड़ रुपए दिए जाने को कहा गया था लेकिन एक रुपया भी नहीं दिया है। इसी तरह सुरक्षा संबंधी अन्य खर्च के लिए 7.37 करोड़ के बदले कोई राशि जारी नहीं की गई है। स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चरल स्कीम में 15 करोड़ मिलने थे जो नहीं मिले हैं। इसी तरह से निर्भया फंड में भी कोई राशि नहीं दी गई है।
इन योजनाओं में नहीं मिली राशि
जिन योजनाओं के लिए राशि का प्रावधान होने के बाद भी केंद्र से बजट नहीं मिल पाया है उसमें ऑक्सिलियरी नर्स, मिडवाइफ एवं हेल्थ विजिटर्स को परिवार कल्याण का प्रशिक्षण देने 23.71 करोड़, उप स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 668.17 करोड़, सिकलसेल एनीमिया के लिए 23.28 करोड़, जिला स्तरीय अमले के लिए 87.72 करोड़ रुपए शामिल हैं। इसी तरह से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 2701.95 करोड़ रुपए, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए 210.25 करोड़ रुपए भी नहीं मिले हैं। इसके अलावा हेल्थ सिस्टम की मजबूती के लिए प्रावधान न होने के बाद भी केंद्र ने 1633.56 करोड़ और 521.87 करोड़ रुपए अलग से जारी किए हैं। इसी तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग को जबलपुर में कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए 50.40 करोड़, एमपी में नए नर्सिंग कालेज निर्माण के लिए 15 करोड़, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के लिए 35.07 करोड़, एमबीबीएस की सीट्स में वृद्धि के लिए 38 करोड़, टरश्यरी केयर कैंसर ग्वालियर के लिए 23.02 करोड़, मानसिक चिकित्सालय इंदौर और मानसिक आरोग्य शाला ग्वालियर के उन्नयन के लिए 13 करोड़ तथा नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 239 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान किया था, लेकिन राशि ही जारी नहीं की गई है।
यह हैं कृषि विभाग की हकीकत
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विभाग किसान कल्याण और कृषि की ओर से 2024-25 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 159.86 करोड़ रुपए मिलना थे। लेकिन, 105.51 करोड़ रुपए ही दिए गए। दूसरे विभागों की ही तरह लोक निर्माण विभाग को भी केंद्रीय सड़क निधि में मिलने वाले 1150 करोड़ रुपए नहीं मिले। विभाग को सिर्र्फ 944.87 करोड़ ही मिले हैं। इसी तरह की स्थिति स्कूल शिक्षा विभाग की भी है। विभाग को समग्र शिक्षा के लिए 13.20 करोड़, मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 14.65 करोड़, स्टार्स परियोजना के लिए 100.80 करोड़ रुपए का प्रावधान किए जाने के बाद भी राशि नहीं मिली है।