- बजट से मप्र के विकास को मिलेगी रफ्तार, केंद्रीय करों में 15,908 करोड़ बढ़े
- विनोद उपाध्याय
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 का जो आम बजट पेश किया है, उससे मप्र के विकास को और रफ्तार मिलेगी। इसकी वजह यह है कि आम बजट में केंद्रीय करों के हिस्से में 1,11,661 करोड़ रुपए मिलेंगे यानी वर्तमान वित्तीय वर्ष की तुलना में 15,908 करोड़ रुपए राज्य को अधिक मिलेंगे। इतना ही नहीं विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये के आसपास मिलेगा। दोनों राशि को मिला दिया जाए तो प्रदेश को आगामी वित्तीय वर्ष में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक मिलेंगे। वहीं, 2024-25 के पुनरीक्षित अनुमान के अनुसार केंद्रीय करों के हिस्से में अब 5,247 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्राप्त होंगे। जीएसटी के बाद प्रदेश के बजट का मुख्य आधार केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता होता है। वर्ष 2024-25 के बजट में एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये के आसपास केंद्रीय करों में हिस्सा और केंद्रीय सहायता अनुदान मिलने का अनुमान लगाया गया था। गौरतलब है कि पिछले बजट में केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में मप्र को 97,000 करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा का आवंटन हुआ था। केंद्र सरकार द्वारा मासिक आधार पर राज्यों को इस राशि का भुगतान किया जाता है। इस वर्ष के केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में मप्र को मिली राशि को भी 97,000 करोड़ रुपए से संशोधित कर 1.01 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसका मतलब है कि राज्य को इस वित्तीय वर्ष में 97,000 करोड़ के स्थान पर 1.01 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे, जबकि अगले साल मप्र को 1.11 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे। चालू वित्त वर्ष की संशोधित राशि की तुलना में राज्य को अगले वर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपए अधिक मिलेंगे। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 80,000 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है, जबकि कुल 97000 करोड़ रुपए में से 17000 करोड़ रुपए शेष थे। चूंकि इस राशि को बढ़ाकर 1.01 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है, इसलिए राज्य को इस वर्ष शेष दो महीनों में 21000 करोड़ रुपए मिलेंगे।
7.82 प्रतिशत के हिसाब से राशि मिलती है
दरअसल, राज्यों को केंद्र सरकार कुल राजस्व का 41 प्रतिशत केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में देती है। इसमें मध्य प्रदेश को 7.82 प्रतिशत के हिसाब से राशि मिलती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए यह 95 हजार 753 करोड़ रुपये अनुमानित थी। केंद्रीय करों से प्राप्त राशि के अनुपात में अब राज्य को 5,247 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त होंगे। इसका उपयोग सरकार विकास परियोजनाओं को गति देने में करेगी। यह राशि अगले वित्तीय वर्ष में 15,908 रुपये बढ़कर मिलेगी। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक मिलेगा। यह लगभग 600 करोड़ रुपये अधिक रहेगा। निश्चित ही इसका असर योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ेगा। बजट में सरकार ने अधोसंरचना विकास को गति देने के लिए विशेष पूंजीगत सहायता योजना को निरंतर रखने का निर्णय लिया है। प्रदेश में पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ाया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में 15 हजार करोड़ रुपये प्राप्त करने के लक्ष्य रखा गया था। 6,187 करोड़ रुपये मिल चुके हैं और सात हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि आगामी वित्तीय वर्ष में भी 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक इस योजना में प्रदेश को मिल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 64,738 करोड़ रुपये पूंजीगत निवेश का लक्ष्य रहा है।
अब बजट को अंतिम रूप देने में जुटेगी राज्य सरकार
राज्य सरकार ने बजट पूर्व बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात में चार प्रतिशत तक ऋण लेने की अनुमति देने की मांग रखी थी, लेकिन इसे नहीं माना गया। प्रदेश जीएसडीपी के अनुपात में तीन प्रतिशत तक ही भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बाजार से ऋण ले सकता है। आधा प्रतिशत ऋण ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार के लिए निर्धारित कदम उठाने के लिए लिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि मार्च के प्रथम सप्ताह में जब 16वां वित्त आयोग आएगा तो एक बार फिर इस मुद्दे को बेहतर वित्तीय प्रबंधन का हवाला देकर उठाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि आम बजट से प्रदेश को आगामी वित्तीय वर्ष में मिलने वाली राशि को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है। इसके आधार पर अब प्रदेश सरकार अपने बजट को अंतिम रूप देने में जुटेगी। यह इस बार चार लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 15 फरवरी के पहले बजट को लेकर मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।
मप्र के 66 लाख किसानों को फायदा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को केंद्रीय बजट पेश किया। इस बजट में किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन की सीमा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है। इससे प्रदेश के 65 लाख 83 हजार किसानों को फायदा होगा। इसके अलावा इस योजना के तहत करीब साढ़े सात लाख केसीसी धारक मछली पालकों को भी फायदा होगा। केसीसी कार्ड की अवधि 5 साल की होती है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों में लगे किसानों को 9 फीसदी ब्याज दर पर अल्पकालिक फसल लोन दिया जाता है। सरकार किसानों को ब्याज पर 2 फीसदी छूट देती है। समय से लोन चुकाने वाले किसानों को ब्याज में बतौर प्रोत्साहन 3 फीसदी कमी और कर दी जाती है। इस तरह किसानों को सालाना 4 फीसदी दर पर कर्ज मिल जाता है। केसीसी लोन की सीमा बढ़ाने की मांग किसान लंबे समय से कर रहे थे। सरकार ने इस मांग को मानते हुए किसानों को बड़ी राहत दी है। इसी तरह पीएम स्व-निधि योजना के तहत अपना स्ट्रीट फूड बिजनेस शुरू करने वालों के लिए अब बैंक लोन की अधिकतम सीमा 30 हजार रुपए कर दी गई है। अब तक 10 हजार रुपए तक का लोन मिलता था। राज्य में करीब 12 लाख लोगों को इसका फायदा होगा।