जीएसडीपी का 1% अतिरिक्त लोन ले सकती है प्रदेश सरकार

  • गौरव चौहान
प्रदेश सरकार

मप्र सरकार अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए खर्चों में कटौती के साथ ही आय के साधन बढ़ाने पर जोर दे रही है। वहीं मप्र ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त लोन की अनुमति मांगी है। मप्र ने केंद्र सरकार से नवंबर 2023 की जीएसटी की रुकी हुई आईजीएसटी सेटलमेंट की राशि 417.60 करोड़ रुपए रिलीज करने का अनुरोध किया है। राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ प्री बजट मीटिंग में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने राज्य की ओर से महत्वपूर्ण सुझाव एवं प्रस्ताव रखे। उन्होंने मप्र के लिए जीएसडीपी का एक प्रतिशत अतिरिक्त लोन प्राप्त करने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया है।  
गौरतलब है कि  मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 42500 करोड़ का कर्ज लिया था। वहीं गत दिनों वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने नई दिल्ली दौरे के दौरान केंद्र से जीएसडीपी के 1 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज की अनुमति मांगी है। ये अनुमति मिली तो प्रदेश सरकार इस साल लगभग 13000 हजार करोड़ अतिरिक्त कर्ज ले सकेगी। वर्तमान में राज्य सरकारें अपने जीएसडीपी का 3 प्रतिशत कर्ज के तौर पर ले सकती हैं। हालांकि पेंशन संबंधी लाइबिलिटी एनपीएस में अंशदान देने के बाद और पावर सेक्टर में रिफॉम्र्स करने वाले राज्य अतिरिक्त कर्ज भी ले सकते हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था का रेवन्यू सरप्लस होना भी एक शर्त है। इस तरह से जीएसडीपी का लगभग 4.5 प्रतिशत कर्ज राज्य सरकार ले सकती है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले। उन्होंने बताया कि मप्र रेवन्यू 2021-22 से लगातार रेवन्यू सरप्लस की हालत में है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मप्र के लिए जीएसडीपी का 1 प्रतिशत अतिरिक्त लोन प्राप्त करने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मप्र की जीएसडीपी लगभग 13 लाख करोड़ थी। 2024-25 के लिए भी जीएसडीपी लगभग इतनी ही रहने का अनुमान है।
श्वेत पत्र लाने की मांग
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि सरकार की वित्तीय स्थिति खराब है। प्रदेश कर्ज के बोझ तले दब गया है। सरकार को वित्तीय स्थिति जनता के बीच स्पष्ट करनी चाहिए। विधानसभा के मॉनसून सत्र में इसको लेकर श्वेत पत्र प्रस्तुत किया जाए। वहीं, उप मुख्यमंत्री वित्त जगदीश देवड़ा का कहना है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक है। कर्ज जब भी लिया जाता है तो वह निर्धारित मापदंडों के अनुरूप ही लिया जाता है और इस राशि का उपयोग प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास परियोजनाओं को गति देने के लिए होता है।
पूंजीगत कार्यों में मप्र की परफॉर्मेंस बेहतर
उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री देवड़ा ने केंद्रीय वित्त मंत्री को अवगत कराया कि पूंजीगत कार्यों के लिए निर्धारित मापदंडो की पूर्ति करने में प्रदेश सफल रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत सरकार से इस योजना में 12637 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। योजना के भाग एक के तहत 3,829 करोड़ की अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराई गई। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि विशेष केंद्रीय सहायता में वर्ष 2024-25 के लिए 10910 करोड़ रुपए के प्रस्ताव में से 4,318 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। देवड़ा ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र में अधोसंरचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए पूंजीगत कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में पूंजीगत कार्यों की राशि 60689 करोड़ रुपए थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह राशि 46798 करोड़ थी। यह वृद्धि 29 प्रतिशत है। उन्होंने मप्र के प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र से अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराने की अपेक्षा की। देवड़ा ने यह भी रेखांकित किया कि मप्र में 2021-22 से लगातार राजस्व आधिक्य की स्थिति है। इसका श्रेय राज्य के कुशल वित्तीय प्रबंधन, विभागीय दक्षता और करदाताओं को जाता है।
सरकार ने कब-कब लिया कर्ज
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 42 हजार 500 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। 31 मार्च 2023 की स्थिति में प्रदेश के ऊपर ऋण तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक था। इसमें अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच लिए ऋण को शामिल किया जाए तो यह लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपये होता है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार से आगामी वित्तीय वर्ष में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ऋण लेने की अनुमति मांगी जाती है। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस बार यह विलंब से जून में मिली। अब सरकार जब आवश्यकता होगी, तब ऋण ले सकती है। यह राशि इस बार 50 हजार करोड़ रुपये तक हो सकती है। उधर, केंद्र सरकार ने प्रदेश ने केंद्रीय करों में हिस्से के 10 हजार 900 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं। वर्ष 2023-24 में सरकार ने 80,184 करोड़ रुपये केंद्रीय करों में हिस्सा मिलने का अनुमान लगाया था। केंद्र सरकार से साढ़े छह हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले हैं। वहीं, जीएसटी से 33 हजार 110 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जो वर्ष 2022-23 की तुलना में लगभग 26 प्रतिशत अधिक है।
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 42 हजार 500 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। 31 मार्च 2023 की स्थिति में प्रदेश के ऊपर ऋण तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक था। इसमें अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच लिए ऋण को शामिल किया जाए तो यह लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपये होता है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार से आगामी वित्तीय वर्ष में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ऋण लेने की अनुमति मांगी जाती है। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस बार यह विलंब से जून में मिली। अब सरकार जब आवश्यकता होगी, तब ऋण ले सकती है। यह राशि इस बार 50 हजार करोड़ रुपये तक हो सकती है। उधर, केंद्र सरकार ने प्रदेश ने केंद्रीय करों में हिस्से के 10 हजार 900 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं। वर्ष 2023-24 में सरकार ने 80,184 करोड़ रुपये केंद्रीय करों में हिस्सा मिलने का अनुमान लगाया था। केंद्र सरकार से साढ़े छह हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले हैं। वहीं, जीएसटी से 33 हजार 110 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जो वर्ष 2022-23 की तुलना में लगभग 26 प्रतिशत अधिक है।

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