प्रदेश के कर्मचारियों को होगा 12 हजार तक का फायदा

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  •  आठवें वेतनमान के लिए करना होगा ३ साल का इंतजार

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देने के साथ ही प्रदेश के कर्मचारियों को भी इस वेतन आयोग के बनने की उम्मीदें जाग गई हैं। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश के कर्मचारियों को पांच लेकर 12 हजार रुपए तक का वेतन में फायदा होगा। इसके अलावा अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों का वेतन दोगुना तक हो सकता है। दरअसल, सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल  इस साल 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद अलगे साल 1 जनवरी से आठवें वेतन आयोग का कार्यकाल शुरू होगा। प्रदेश में आठवें वेतन आयोग के लिए अलग से आयोग गठित किया जाएगा। हालांकि इसके लिए अभी कोई शुरुआत होते नहीं दिखी है। प्रदेश में आयोग के गठन के बाद उसके द्वारा की जाने वाली सिफारिशों पर निर्भर करेगा कि वेतन में कितनी वृद्धि होगी। हालांकि, मप्र के कर्मचारियों को 8वें वेतनमान का फायदा पाने के लिए करीब तीन साल का इंतजार करना होगा। इसकी वजह है केंद्रीय आयोग को अपनी सिफारिश देने में ही डेढ़ से दो साल का समय लग जाएगा। इसके बाद मामला कैबिनेट में जाएगा। इसके बाद मप्र में उन्हें लाूग करने की प्रक्रिया की जाएगी। पूर्व में सातवें वेतन आयोग ने भी डेढ़ साल बाद अपनी सिफारिशें दी थीं, जिसके बाद मप्र में लागू करने की प्रक्रिया शुरु हुई थी। सातवें वेतनमान में प्रदेश सरकार द्वारा 14 फीसदी की वृद्धि की गई थी , जिसकी वजह से माना जा रहा है कि इस बार इससे अधिक वृद्धि की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश के द्धितीय क्षेणी स्तर तक के कर्मचारियों के वेतन में पांच से लेकर बारह हजार रुपए तक की वृद्धि हो सकती है। इस मामले में जानकारों का कहना है कि केन्द्र के आठवें वेतन आयोग के गठन में 2 से 3 माह का समय लग सकता है। गठन होने के बाद आयोग द्वारा महंगाई दर के हिसाब से सरकार, कर्मचारी की वर्तमान स्थितियों का परीक्षण करने और वेतनमान की अनुशंसा करने में लंबा समय लगता है। सातवें वेतन आयोग ने भी सिफारिशें देने में डेढ़ साल का समय लिया था। जस्टिस अशोक माथुर की अध्यक्षता में सातवें वेतन आयोग का गठन 28 फरवरी 2014 को हुआ था। आयोग ने करीब डेढ़ साल बाद 19 नवंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी। उसके डेढ़ महीने बाद केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2016 से सिफारिशें लागू की थीं। इस हिसाब से आयोग अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को 2027 के अंत तक ही दे पाएगा। जिसके बाद ही केंद्र अपने कर्मचारियों को नया वेतनमान देने का आदेश जारी करेगी। इसके बाद प्रदेश में अपने कर्मचारियों को नया वेतनमान देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके तहत राज्य सरकार या तो आयोग का गठन करेगी या फिर कोई उच्च स्तरीय कमेटी गइित करेगी। इसमें अहम बात यहहै कि राज्य सरकार केंद्र के आदेश को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए बाध्य नहीं है।
कर्मचारियों को संभावित फायदा
इस मामले में अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश सरकार केंद्र के फैसले को लागू करने के लिए राज्य में आयोग गठित करने के बजाय पुराने फॉर्मूले को लागू कर सकती है। यानी जिस तरह से सातवां वेतनमान का निर्धारण किया गया था, उसी तरह आठवां वेतनमान लागू हो सकता है। छठवें वेतनमान की तुलना में सातवें वेतनमान में 14 फीसदी की वृद्धि की गई थी। ऐसे में नए वेतनमान में 15 फीसदी तक की वृद्धि संभावित है। प्रदेश में फिलहाल महंगाई भत्ता  50 फीसदी है। जिसमें दस फीसदी की वृद्धि संभावित है। सातवें वेतनमान में हर माह अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन में 2 हजार से लेकर 19 हजार रुपए तक की वृद्धि हुई थी।
अभी भी पौने दो लाख कर्मचारियों को हैं सातवें वेतन मान का इंतजार
मंत्रालयीन कर्मचरियों सहित प्रदेश के 1 लाख 85 हजार स्थायी कर्मियों को अभी भी सातवें वेतनमान का इंतजार बना हुआ है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 7 अक्टूबर 2016 को इन दैनिक वेतन भोगियों को स्थायी कर्मी नाम देते हुए स्थायी किया गया था।उन्हें सेवा सुरक्षा से लेकर नियमित कर्मचारियों के समान बाकी फायदे मिल रहे हैं, लेकिन सातवें वेतनमान का फायदा नहीं दिया जा रहा है।

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