- हरिश दिवाकर
मंत्रीजी का भौकाल…
मध्य प्रदेश के एक नेताजी इन दिनों बालासाहेब बने फिर रहे हैं। उन्होंने अपने नए निवास का नाम भी बालासाहेब के घर के नाम पर ही रखा है। चाल-ढाल में भी वे ऐसा ही जलवा दिखाने की कोशिश करते हैं। क्या है कि पहले नेताजी के जिले से तीन मंत्री आते थे। इस बार दो का पत्ता कट गया। लिहाजा, अब उनके सामने मैदान साफ है। ये चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि नेताजी ने पिछले दिनों अपने निज निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें भी उनकी मंशा यही थी कि मीडियाकर्मी उनके भव्य घर के दीदार कर सकें।
पुराने सरकार जब भूल गए कि…
पुराने साहब के दिलो दिमाग से निकल ही नहीं पा रहा कि वे अब सरकार नहीं रहे। गाहे बगाहे उनके मुंह से कुछ न कुछ ऐसा निकल जाता है कि हंसी उड़ जाती है। अब देखिए, एक कार्यक्रम में वे अपने चिर परिचित अंदाज में भाषण दे रहे थे, तभी मुंह से निकल पड़ा कि मुख्यमंत्री सब विषयों का… इतना ही कह पाए थे कि याद आ गया। फिर क्या था, पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। नेताजी खुद हंस दिए। फिर अपनी बात को संभालते हुए भाषण को आगे बढ़ाया। खैर, जो भी हो, लेकिन पुराने सरकार हैं तो अब भी असरदार।
नवाचारों की धरती है अपना मध्य प्रदेश
प्रशासनिक मामले में मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए आप मध्य प्रदेश को नवाचारों की धरती भी कह सकते हैं। यह पहली बार है जब मंत्रालय के पांचवें माले पर युवा जोश और अनुभव का तालमेल देखने को मिल रहा है। सीएमओ में पहली बार एसीएसऔर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की भी तैनाती की गई है। यह तो हुई एक बात…। दूसरा मामला ऐसा है कि डॉक्टर साहब अब हेल्थ एजुकेशन के कमिश्नर का पद भी खत्म करने जा रहे हैं। स्वास्थ्य वाले कमिश्नर साहब ही दोनों पदों के साहब होंगे। यही नहीं चिकित्सा शिक्षा और शिक्षा विभाग में एक जैसे 30 अन्य पद भी खत्म होंगे। सही है भैया…। इसे लेकर मंत्रालय में जमकर कानाफूसी हो रही है।
खरबूजे को देखकर खरबूजा भी अपना…
वो कहते हैं न कि खरबूजे को देखकर दूसरा खरबूजा भी अपना रंग बदल लेता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है खाकी वाले महकमे में। क्या है कि सूबे के कुछ आईपीएस अपनी काली पीली कमाई को क्लब बार में लगा रहे हैं। शुरुआत भोपाल के दो प्रमोटी आईपीएस अफसरों ने की थी। अब इनकी कमाई के रंग देखते हुए इंदौर में पदस्थ रहे प्रमोटी आईपीएस भी रंग बदल रहे हैं। इन्होंने क्लब बार में इन्वेस्टमेंट करके 2 के 10 बनाने की जुगाड़ कर ली है। साहब के इस नवाचार से प्रभावित होकर डायरेक्ट आईपीएस अफसर भी इस धंधे में उतरने का मन बना रहे हैं।
मंत्रीजी के बंगला प्रेम से पड़ोसी नाराज
मोहन कैबिनेट के कद्दावर मंत्री का बंगला प्रेम इन दिनों लोगों की परेशानी बना हुआ है। दरअसल, मंत्री जी को पहले ही शानदार बंगला मिला हुआ है। इसके बावजूद मंत्रीजी को दूसरे बंगले की चाह है। उन्हें खुश करने के लिए अफसरों ने विभाग के लिए रेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल हो रहा ट्रांजिट बंगला दे दिया। इस बंगले में पहले बाहर से भोपाल आने वाले इंजीनियर और अधिकारी ठहरते थे। अब इसे मंत्री के हिसाब से डेवलप किया जा रहा है। बंगला एक निजी कॉलोनी में है तो मंत्रीजी की सुरक्षा के नाम पर दीवार तानकर कॉलोनी का रास्ता बंद किया जा रहा है। इसे लेकर रहवासियों में खासी नाराजगी है। अब सवाल तो वही है कि तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर कोई क्यों ले? लिहाजा, लोग किसी तरह अपना काम चला रहे हैं।
ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे !
संघ के कोटे से मंत्री बने एक नेताजी का ओएसडी प्रेम इन दिनों बाहर निकल पड़ है। दरअसल, डॉक्टर साहब ने ओएसडी की नियुक्ति पर अभी सीधे तौर पर रोक लगा रखी है। ऐसे में मंत्री चाहकर भी दूसरे विभाग के अधिकारी को ओएसडी नहीं बना पा रहे थे। ऐसे में मंत्रीजी ने नया रास्ता अख्तियार कर लिया। उन्होंने अपने चहेते अफसर को अपने विभाग में पहले डेपुटेशन पर लिया और फिर बाद में उसे अपने यहां अटैच करवा लिया। अब ये साहब खुलकर ओएसडी के तौर पर बेटिंग कर रहे हैं। दरअसल, मंत्रीजी बड़े सीधे और सरल स्वभाव के हैं। ऐसे में उनकी जगह सारे हिसाब किताब की बात उनके ओएसडी ही करते हैं।
(द सूत्र से साभार)