मप्र में सौर ऊर्जा की बिजली का भी होगा भंडारण

सौर ऊर्जा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र लगातार अपनी सौर ऊर्जा से बिजली बनाने की क्षमता में वृद्धि कर रहा है। ऐसे में अब उसके भंडारण की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। ऐसे में अब उसके स्टोरेज पर काम करना शुरु किया जा रहा है। इससे मांग के समय इस बिजली का उपयोग किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट पर अगले साल काम होना शुरु हो जाएगा। इसके लिए मुरैना जिले का चयन किया गया है। फिलहाल 600 मेगावाट बिजली के सटोरेज की सुविधा विकसित करने की योजना है। इसके लिए हाल ही में ऊर्जा विभाग के उपक्रम रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर लिमिटेड द्वारा टेंडर भी निकाला जा चुका है।
दरअसल इससे यह फायदा होगा कि जब मांग बढ़ती है, तो उस समय सौर ऊर्जा की बिजली उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसकी वजह है बिजली की मांग शाम और रात में अधिक होती है। भंडारण क्षमता हासिल कर लेन से रात और शाम के समय भी सौर ऊर्जा की बिजली की उपलब्धता संभव हो सकेगी। प्रदेश में इसका पहला प्रोजेक्ट दिसंबर 2027 तक बन जाएगा। इसी तरह से मुरैना में 1000 मेगावाट और शिवपुरी में भी 1000 मेगावाट के सोलर स्टोरेज प्रोजेक्ट बनेंगे। इन पर भी सरकार काम शुरू कर रही है। पहले प्रोजेक्ट की लागत लगभग 3500 करोड़ तो बाकी दोनों प्रोजेक्ट पर लगभग 8000 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
 बैटरी स्टोरेज पर काम करेगा प्रोजेक्ट
मुरैना का 600 मेगावाट का प्रोजेक्ट पहले पंप स्टोरेज तकनीक पर बनना था। इसमें सोलर एनर्जी के उत्पादन के बाद एक जलाशय का पानी ऊंचे स्थान पर लिफ्ट करते थे। जब बिजली की जरूरत हो तो पानी नीचे छोड़ते थे और नीचे लगी टरबाइन के घूमने से दोबारा बिजली बनती जो पास स्थित पावर ग्रिड को सप्लाई करते हैं। इस तकनीक के लिए कैबिनेट से सहमति मिलनी बाकी है इसलिए इस प्रोजेक्ट का छोड़ दिया गया है। फिलहाल अभी बैटरी स्टोरेज पर काम होगा। चीन, इंडोनेशिया जैसे कई देश इसका उत्पादन करते हैं। ऐसे प्रोजेक्ट में विंड मिल भी शामिल होती है पर केंद्र और राज्य की नीति में कुछ असमानता होने पर फिलहाल विंड मिल नहीं लगेगी। मार्च से अगस्त तक यूपी को और सितंबर से फरवरी तक मप्र को इस प्रोजेक्ट से बिजली की सप्लाई होगी। इस प्रोजेक्ट से बनने वाली बिजली 4 से 5 रुपये प्रति यूनिट लागत पर मिल सकती है।
यह है बैटरी भण्डारण
बैटरी अब तक आवासीय प्रतिष्ठानों के लिए सौर ऊर्जा को संग्रहित करने का सबसे आम तरीका है। जब सौर ऊर्जा को बैटरी में पंप किया जाता है, तो बैटरी घटकों के बीच एक रासायनिक प्रतिक्रिया सौर ऊर्जा को संग्रहित करती है। बैटरी के डिस्चार्ज होने पर प्रतिक्रिया उलट जाती है, जिससे करंट बैटरी से बाहर निकल जाता है। लिथियम-आयन बैटरी का उपयोग सौर अनुप्रयोगों में सबसे अधिक किया जाता है, और नई बैटरी तकनीक का तेजी से विस्तार हो रहा है,यदि बिजली को संग्रहीत नहीं किया जाता है, तो इसका उपयोग उसी समय करना होगा जब यह उत्पन्न होती है।  नवीकरणीय ऊर्जा की बात करें तो अधिशेष बिजली को संग्रहित करने से सूरज ढलने या हवा के रुकने पर भी रोशनी चालू रहती है। सरल शब्दों में कहें तो ऊर्जा भंडारण से ऊर्जा भंडार को तब चार्ज किया जा सकता है जब उत्पादन अधिक हो और मांग कम हो, फिर जब उत्पादन कम हो और मांग बढ़े तो उसे जारी किया जा सकता है। दरअसल, सौर पैनल केवल तभी बिजली पैदा करते हैं जब सूरज चमक रहा होता है। लेकिन, ऊर्जा का अधिकतम उपयोग शाम को होता है।  

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