
सरकार द्वारा संबल योजना के तहत एससी-एसटी वर्ग के छात्रों की फीस के करोड़ों रुपए अब तक नहीं दिए गए
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा कई सालों से विभिन्न मदों में राशि न दिए जाने की वजह से पहले से ही मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल का खजाना तेजी से खाली होता जा रहा है , ऐसे में अब उसके सामने इस बार दसवीं कक्षा के करीब दस लाख छात्रों से परीक्षा फीस के वसूले गए करीब 83 करोड़ रुपए लौटाने का दबाब आने से आर्थिक संकट बढ़ना तय होता जा रहा है। दरअसल इस बार कोरोना महामारी की वजह से मंडल को दसवीं की परीक्षा रद्द करनी पड़ी है। परीक्षा न होने की वजह से मंडल को यह फीस की रकम विद्यार्थियों को लौटाने का बेहद दबाब बना हुआ है। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं की परीक्षा 30 अप्रैल से शुरू होनी थी। जिसे परीक्षा शुरू होने के एक हफ्ते पहले निरस्त कर दिया गया था। अब विद्यार्थियों का बेंचमार्क के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मंडल ने दसवीं की परीक्षा के शुल्क के रूप में हर छात्र से 925 रुपये का शुल्क वसूल किया था। इस परीक्षा के लिए करीब 10 लाख छात्र- छात्राओं ने फार्म भरे थे। इसमें से अगर आरक्षित वर्ग के एक लाख विद्यार्थियों के शुल्क को कम कर दें , तो नौ लाख विद्यार्थियों से 83 करोड़ 25 लाख रुपए सिर्फ परीक्षा शुल्क के रुप में लिए गए थे। अब परीक्षा रद्द होने की वजह से यह राशि मंडल के पास है। परीक्षा रद्द होने पर छात्रों को यह राशि लौटाने का नियम है , लेकिन अब तक इस मामले में मंडल कोई कदम उठाता नहीं दिखा है।
मंडल कर चुका है दस करोड़ खर्च
मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के अधिकारियों के मुताबिक दसवीं की परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली गई थी। जिसकी वजह से दस करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। उनका कहना है कि प्रश्नपत्र तैयार करने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये, कॉपियों को तैयार करने में करीब पांच करोड़, ओएमआर शीट में एक करोड़ और प्रैक्टिकल पर करीब तीन करोड़ रूपए खर्च हुए। यह राशि कुल दस करोड़ रुपए होती है। इसकी वजह से अब मंडल के पास इसमें से परीक्षा फीस के करीब 73 करोड़ रुपए बचे हैं। इसके अलावा करीब एक लाख विद्यार्थियों से लेट फीस लेकर भी परीक्षा फार्म भरवाया गया था।
स्कूल संचालक भी फीस वापसी के पक्ष में
कुछ समय पहले माशिमं ने स्कूलों से प्रायोगिक परीक्षा के लिए दी गई राशि को मंडल के खाते में जमा कराने के लिए कहा है। यह राशि मंडल द्वारा स्कूलों को प्रैक्टिकल के लिए प्रति विद्यार्थी 30 रुपये की दर से दी जाती है। इस तरह से करीब दस लाख विद्यार्थियों के लिए करीब तीन करोड़ रुपए की राशि स्कूलों को दी गई थी। मंडल द्वारा इस राशि को वापस करने के आदेश देने के बाद प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन ने भी मंडल से विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क लौटाने की मांग करना शुरू कर दी है।
सरकार नहीं दे रही मंडल को डेढ़ अरब रुपए
मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल को सरकार से करीब डेढ़ अरब रुपए लेना है। दरअसल संबल योजना के दायरे में आने वाले छात्रों की फीस की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाती है। इसी तरह से आरक्षण के दायरे में आने वाले छात्रों से भी फीस नहीं ली जाती है। संबल योजना की राशि प्रतिवर्ष 28 करोड़ होती है। खास बात यह है कि जब से यह योजना शुरू की गई है , तभी से इस मद की राशि का भुगतान ही नहीं किया गया है। इसी तरह से संबल योजना के करीब 90 करोड़, एससी-एसटी के छात्रों की फीस के करीब 45 करोड़ रुपए अब तक मंडल को सरकार ने भुगतान नहीं किया है। इसी तरह से लैपटाप वितरण के लिए मंडल से ली गई राशि का भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है। इस तरह से यह सभी राशि मिलाकर डेढ़ सौ करोड़ से अधिक होती है।