तो हर साल बचेंगे… एक अरब रुपए

पुलिस मुख्यालय
  • बंदूक चलाने वाले हाथ कर रहे हैं झाड़ू पोंछा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश का पुलिस महकमा भी अजब गजब है। इस महकमे के अफसर विभाग के कर्मचारियों से उनका मूल काम कराने की जगह अपने बंगलों पर चाकरी कराने में कोई परहेज नहीं करते हैं। इसकी वजह से जिन हाथों में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बंदूक होनी चाहिए वे झाड़ू पोंछा से लेकर घरेलू काम कर रहे हैं। इसकी वजह है, अफसरों का रसूख। इनमें कुछ अर्दली हैं, तो कुछ को अर्दली बनाकर काम कराया जा रहा है। अब इस मामले में एक रिपोर्ट तैयार की गई है। अगर इस पर अमल किया गया तो पुलिस महकमे के खजाने में करीब एक अरब रुपए की हर साल बचत हो सकती है। हाल ही में पुलिस मुख्यालय की रिर्फाम शाखा द्वारा विभाग में जारी वीआईपी कल्चर की समाप्ती के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई है। जिसे डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना को भेज दिया गया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल प्रदेश में आला पुलिस अफसरों में शामिल डीजीपी से लेकर एडीजी स्तर तक के करीब 63 पुलिस अफसरों के बंगलों में लगभग 4 हजार अर्दली तैनात हैं। यही नहीं कुछ अफसरों के घरों पर तो बाकायदा पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। इनमें कई पूर्व पुलिस अफसर तक शामिल हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अगर पूरे महकमे के पुलिस अफसरों की बात की जाए तो उनके यहां पर बतौर अर्दली के तौर पर 120 प्रधान आरक्षक और 4 हजार 447 आरक्षक तैनात किए जाते हैं। इन्हें एसएएफ और जिला पुलिस बल में शामिल करने की सिफारिश इस रिपोर्ट में की गई है। अगर इनके वेतन भत्तों की बात की जाए तो उन पर हर साल 182 करोड़ 79 लाख रुपए से अधिक का खर्च आता है। इस रिपोर्ट में जवानों से अर्दली का काम कराने की जगह आउट सोर्स कर्मचारियों को रखने की मांग की गई है। इससे प्रति कर्मचारी पर करीब 15 हजार रुपए का खर्च आने का अनुमान है। इस हिसाब से आउटसोर्स अर्दली व्यवस्था पर महज 81 करोड़ 7 लाख 20 हजार रुपए का खर्च आएगा , जिससे सरकार को करीब एक अरब रुपए की बचत होगी।
इन कंपनियों को लिखा गया पत्र
इसका खुलासा तब हुआ जब बटालियनों ने अपनी कंपनी स्टेटमेंट एसएएफ मुख्यालय को भेजा। जिसके अवलोकन में सामने आया कि कई यूनिट में एसटीएफ कंपनी के जवान आईजी, डीआईजी और कमांडेंट की सुरक्षा एवं बंगला सुरक्षा ड्यूटी के लिए तैनात किए गए हैं। इस पर एसएएफ एडीजी साजिद फरीद शापू ने नाराजगी जाहिर करते
हुए पहली, दूसरी, छठवीं, 25वीं और 32वीं बटालियन के कमांडेंट को पत्र लिखकर नाराजगी भी जाहिर की है।
मौखिक आदेश से करा रहे काम
आईपीएस अफसरों के बंगले पर दो अर्दली (चतुर्थ श्रेणी) रखने का नियम है। आरक्षक यानी कॉन्स्टेबल क्लास-3 में आते हैं। किसी के बंगले पर आरक्षक या हवलदार रखने का प्रावधान नहीं है। ट्रेड आरक्षकों का किसी के बंगले में चाकरी के तौर पर प्रयोग नहीं कर सकते हैं। इस तरह का कोई लिखित आदेश या नियम नहीं है। एसएएफ मध्य क्षेत्र भोपाल के अंतर्गत 7, 10, 23 व 25 बटालियन आती है। इनमें से 10वीं बटालियन सागर में है। वहीं 7, 23 व 25 बटालियन भोपाल में है। अधिकारियों के बंगले पर सबसे अधिक 23 व 25 बटालियन के ट्रेड आरक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। इसके लिए कई जगह मौखिक आदेश पर ड्यूटी लगाई जाती है।
अफसरों ने नियम ही बदल दिए
दरअसल, अफसरों के यहां जो भी घर का काम रहे हैं, वे ट्रेड कॉन्स्टेबल हैं। इनकी भर्ती भी इसी पदनाम से होती है। जहां-जहां बटालियन जाती है, वहां ये अफसरों व जवानों की मदद के लिए तैनात होते हैं। इनमें कुक से लेकर स्वीपर तक शामिल रहते हैं। 2013 से पहले यह प्रावधान था कि पांच साल नौकरी करने के बाद ट्रेड कॉन्स्टेबल को परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद जनरल ड्यूटी में शामिल कर लिया जाता था, लेकिन अफसरों ने 2013 में एक आदेश से इस व्यवस्था को ही खत्म कर दिया। इसके बाद से 5,500 ट्रेड आरक्षक जनरल ड्यूटी के इंतजार में गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हद तो यह है कि मौजूदा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 24 मार्च 2022 को गृह विभाग को पत्र के माध्यम से ट्रेड आरक्षकों के संविलियन को जारी करने को कहा था। 28 मार्च 2022 को अप्रूवल के लिए पुलिस हेडक्वार्टर भेजा गया, जो आज तक नहीं मिला है।
एसटीएफ के जवान कर रहे चाकरी  
कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए गठित की गई स्पेशल टास्क फोर्स के जवानों से अब प्रदेश में आला अफसरों के बंगलों पर चाकरी कराई जा रही है। यह बात सामने आने के बाद एडीजी एसएएफ साजिद फरीद शापू ने अफसरों के रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए मातहत अफसरों को पत्र लिखकर एसटीएफ जवानों को तत्काल बंगलों से हटाने को कहा है। इस पत्र में आदेश का सख्ती से पालन करने की नसीहत भी दी गई है।  दरअसल अर्दली के तौर पर जवानों की तैनाती का विभाग में आला अफसरों को अधिकार मिला हुआ है , लेकिन बतौर अर्दली सिर्फ ट्रेड आरक्षकों की ही तैनाती की जा सकती है, लेकिन बीते कुछ सालों से उनकी कमी बनी हुई है , जिसकी वजह से आला अफसर नव आरक्षकों की तैनाती बंगलों पर कर उनसे चाकरी कराने का काम करवा रहे हैं। कुछ अफसर तो ऐसे हैं, जो इस मामले में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर एसटीएफ में शामिल होने वाले जवानों तक को बतौर अर्दली तैनात करने में पीछे नहीं रह रहे हैं। दरअसल एसटीएफ के जवानों को कानून व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जाता है। कुल मिलाकर वे हर- स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से दक्ष होते हैं। ऐसे में उन्हें बंगलों में तैनात कर उनसे बेगारी कराने का मामला गंभीर हो जाता है। इसी को लेकर एडीजी ने अफसरों के रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए ,सभी बटालियनों के कमांडेंट को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि कंपनी स्टेटमेंट का अवलोकन करने पर पाया गया कि कई इकाइयों में एसटीएफ अपने जवान पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक एवं सेनानी की सुरक्षा व बंगला सुरक्षा ड्यूटी के लिए तैनात हैं, जो पूरी तरह से गलत है। एसटीएफ कंपनी गंभीर कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए बनाई गई थी और इसके लिए एसटीएफ के जवानों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसलिए निर्देशित किया जाता है कि गनमैन एवं बंगला सुरक्षा ड्यूटी के लिए एसटीएफ कंपनी से किसी भी जवान को नहीं लगाया जाए। यही नहीं इसका सख्ती से पालन कर प्रतिवेदन इस कार्यालय को प्रेषित करें।

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पुलिस मुख्यालय
  • बंदूक चलाने वाले हाथ कर रहे हैं झाड़ू पोंछा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश का पुलिस महकमा भी अजब गजब है। इस महकमे के अफसर विभाग के कर्मचारियों से उनका मूल काम कराने की जगह अपने बंगलों पर चाकरी कराने में कोई परहेज नहीं करते हैं। इसकी वजह से जिन हाथों में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बंदूक होनी चाहिए वे झाड़ू पोंछा से लेकर घरेलू काम कर रहे हैं। इसकी वजह है, अफसरों का रसूख। इनमें कुछ अर्दली हैं, तो कुछ को अर्दली बनाकर काम कराया जा रहा है। अब इस मामले में एक रिपोर्ट तैयार की गई है। अगर इस पर अमल किया गया तो पुलिस महकमे के खजाने में करीब एक अरब रुपए की हर साल बचत हो सकती है। हाल ही में पुलिस मुख्यालय की रिर्फाम शाखा द्वारा विभाग में जारी वीआईपी कल्चर की समाप्ती के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई है। जिसे डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना को भेज दिया गया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल प्रदेश में आला पुलिस अफसरों में शामिल डीजीपी से लेकर एडीजी स्तर तक के करीब 63 पुलिस अफसरों के बंगलों में लगभग 4 हजार अर्दली तैनात हैं। यही नहीं कुछ अफसरों के घरों पर तो बाकायदा पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। इनमें कई पूर्व पुलिस अफसर तक शामिल हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अगर पूरे महकमे के पुलिस अफसरों की बात की जाए तो उनके यहां पर बतौर अर्दली के तौर पर 120 प्रधान आरक्षक और 4 हजार 447 आरक्षक तैनात किए जाते हैं। इन्हें एसएएफ और जिला पुलिस बल में शामिल करने की सिफारिश इस रिपोर्ट में की गई है। अगर इनके वेतन भत्तों की बात की जाए तो उन पर हर साल 182 करोड़ 79 लाख रुपए से अधिक का खर्च आता है। इस रिपोर्ट में जवानों से अर्दली का काम कराने की जगह आउट सोर्स कर्मचारियों को रखने की मांग की गई है। इससे प्रति कर्मचारी पर करीब 15 हजार रुपए का खर्च आने का अनुमान है। इस हिसाब से आउटसोर्स अर्दली व्यवस्था पर महज 81 करोड़ 7 लाख 20 हजार रुपए का खर्च आएगा , जिससे सरकार को करीब एक अरब रुपए की बचत होगी।
इन कंपनियों को लिखा गया पत्र
इसका खुलासा तब हुआ जब बटालियनों ने अपनी कंपनी स्टेटमेंट एसएएफ मुख्यालय को भेजा। जिसके अवलोकन में सामने आया कि कई यूनिट में एसटीएफ कंपनी के जवान आईजी, डीआईजी और कमांडेंट की सुरक्षा एवं बंगला सुरक्षा ड्यूटी के लिए तैनात किए गए हैं। इस पर एसएएफ एडीजी साजिद फरीद शापू ने नाराजगी जाहिर करते
हुए पहली, दूसरी, छठवीं, 25वीं और 32वीं बटालियन के कमांडेंट को पत्र लिखकर नाराजगी भी जाहिर की है।
मौखिक आदेश से करा रहे काम
आईपीएस अफसरों के बंगले पर दो अर्दली (चतुर्थ श्रेणी) रखने का नियम है। आरक्षक यानी कॉन्स्टेबल क्लास-3 में आते हैं। किसी के बंगले पर आरक्षक या हवलदार रखने का प्रावधान नहीं है। ट्रेड आरक्षकों का किसी के बंगले में चाकरी के तौर पर प्रयोग नहीं कर सकते हैं। इस तरह का कोई लिखित आदेश या नियम नहीं है। एसएएफ मध्य क्षेत्र भोपाल के अंतर्गत 7, 10, 23 व 25 बटालियन आती है। इनमें से 10वीं बटालियन सागर में है। वहीं 7, 23 व 25 बटालियन भोपाल में है। अधिकारियों के बंगले पर सबसे अधिक 23 व 25 बटालियन के ट्रेड आरक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। इसके लिए कई जगह मौखिक आदेश पर ड्यूटी लगाई जाती है।
अफसरों ने नियम ही बदल दिए
दरअसल, अफसरों के यहां जो भी घर का काम रहे हैं, वे ट्रेड कॉन्स्टेबल हैं। इनकी भर्ती भी इसी पदनाम से होती है। जहां-जहां बटालियन जाती है, वहां ये अफसरों व जवानों की मदद के लिए तैनात होते हैं। इनमें कुक से लेकर स्वीपर तक शामिल रहते हैं। 2013 से पहले यह प्रावधान था कि पांच साल नौकरी करने के बाद ट्रेड कॉन्स्टेबल को परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद जनरल ड्यूटी में शामिल कर लिया जाता था, लेकिन अफसरों ने 2013 में एक आदेश से इस व्यवस्था को ही खत्म कर दिया। इसके बाद से 5,500 ट्रेड आरक्षक जनरल ड्यूटी के इंतजार में गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हद तो यह है कि मौजूदा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 24 मार्च 2022 को गृह विभाग को पत्र के माध्यम से ट्रेड आरक्षकों के संविलियन को जारी करने को कहा था। 28 मार्च 2022 को अप्रूवल के लिए पुलिस हेडक्वार्टर भेजा गया, जो आज तक नहीं मिला है।
एसटीएफ के जवान कर रहे चाकरी  
कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए गठित की गई स्पेशल टास्क फोर्स के जवानों से अब प्रदेश में आला अफसरों के बंगलों पर चाकरी कराई जा रही है। यह बात सामने आने के बाद एडीजी एसएएफ साजिद फरीद शापू ने अफसरों के रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए मातहत अफसरों को पत्र लिखकर एसटीएफ जवानों को तत्काल बंगलों से हटाने को कहा है। इस पत्र में आदेश का सख्ती से पालन करने की नसीहत भी दी गई है।  दरअसल अर्दली के तौर पर जवानों की तैनाती का विभाग में आला अफसरों को अधिकार मिला हुआ है , लेकिन बतौर अर्दली सिर्फ ट्रेड आरक्षकों की ही तैनाती की जा सकती है, लेकिन बीते कुछ सालों से उनकी कमी बनी हुई है , जिसकी वजह से आला अफसर नव आरक्षकों की तैनाती बंगलों पर कर उनसे चाकरी कराने का काम करवा रहे हैं। कुछ अफसर तो ऐसे हैं, जो इस मामले में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर एसटीएफ में शामिल होने वाले जवानों तक को बतौर अर्दली तैनात करने में पीछे नहीं रह रहे हैं। दरअसल एसटीएफ के जवानों को कानून व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जाता है। कुल मिलाकर वे हर- स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से दक्ष होते हैं। ऐसे में उन्हें बंगलों में तैनात कर उनसे बेगारी कराने का मामला गंभीर हो जाता है। इसी को लेकर एडीजी ने अफसरों के रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए ,सभी बटालियनों के कमांडेंट को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि कंपनी स्टेटमेंट का अवलोकन करने पर पाया गया कि कई इकाइयों में एसटीएफ अपने जवान पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक एवं सेनानी की सुरक्षा व बंगला सुरक्षा ड्यूटी के लिए तैनात हैं, जो पूरी तरह से गलत है। एसटीएफ कंपनी गंभीर कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए बनाई गई थी और इसके लिए एसटीएफ के जवानों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसलिए निर्देशित किया जाता है कि गनमैन एवं बंगला सुरक्षा ड्यूटी के लिए एसटीएफ कंपनी से किसी भी जवान को नहीं लगाया जाए। यही नहीं इसका सख्ती से पालन कर प्रतिवेदन इस कार्यालय को प्रेषित करें।

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