– स्वास्थ्य विभाग की डेली हेल्थ बुलेटिन की एनालिसिस में खुलासा
– कोविड-19 संक्रमण की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में हुई मौतों में भोपाल का हिस्सा 10 फीसदी के आस पास था
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सहित देशभर में कोविड-19 संक्रमण की लहर भले ही कमजोर पड़ गई है, लेकिन कोरोना से मौतों का सिलसिला अभी भी जारी है। मप्र में इस साल अब तक जुलाई 31 तक मप्र में कुल 223 लोगों की मौत हुई है। इसमें भोपाल के 50 से अधिक व्यक्ति शामिल हैं। जिस कारण भोपाल का डेथ प्रतिशत मप्र सबसे ज्यादा है। बीते दो महीने में कोविड संक्रमण ने भोपाल को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। इन दो महीनों में भोपाल में तीन हजार से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं और 7 लोगों की मौत हुई है। जबकि इंदौर में मौतों का आंकड़ा 6 और संक्रमितों की संख्या दो हजार से भी कम है। कोरोना संक्रमण के कमजोर पड़ने के बाद भी भोपाल पर इसका असर कम नहीं हुआ है, बल्कि डेथ रेशो में बढ़ोतरी ही नजर आ रही है। विभाग के डेली हेल्थ बुलेटिन का जब एनालिसिस किया गया तो तस्वीर सामने आई, वह चौंकाने वाली है। कोविड- 19 संक्रमण की पहली, दूसरी और तीसरी लहर के समय मप्र में कुल जितनी मौतें हुई, उसमें भोपाल का हिस्सा 10 फीसदी के आस पास है। जबकि वर्ष 2022 जनवरी से अब तक हुई मप्र में कुल मौतों में भोपाल की हिस्सेदारी 22 फीसदी है। इन मौतों में ज्यादातर लोग वह शामिल हैं जो किसी गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, हाइ शुगर, ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी से जूझ रहे थे, वहीं उम्र दराज लोग भी कोरोना की चपेट में आकर मौत का शिकार हुए हैं। जनवरी से जुलाई 31 तक मप्र में कुल 223 लोगों की मौत हुई है। इसमें भोपाल के 50 व्यक्ति शामिल हैं। जिस कारण भोपाल का डेथ प्रतिशत मप्र सबसे ज्यादा है। वहीं बात की जाए वर्ष 2020 से 2021 के पूरे कोविड काल की तो जो मप्र में दस हजार के आस पास लोगों की मौत हुई थी, उसमें भोपाल के लोगों की संख्या एक हजार से कम थी।
लापरवाही से बढ़ रहा खतरा
भोपाल में कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा लापरवाही जारी है। कोविड टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट का रूल भुला दिया है। सरकारी अस्पतालों में कोरोना क्लीनिक को बंद कर दिया गया है। निजी अस्पतालों में कोविड वार्ड की व्यवस्था समाप्त कर सभी तरह के मरीजों को एक साथ इलाज दिया जा रहा है। उधर गांधी मेडिकल कॉलेज और शहर के अन्य मेडिकल कॉलेजों में फिलहाल कोरोना से जुड़े रिसर्च कार्य ठप पड़े हैं। संक्रमण की पहली लहर के समय जिला कलेक्टर के निर्देश पर जिस तरह से कोरोना डेथ एनालिसिस किया गया था, उसके बाद फिर कभी नहीं किया गया। वहीं दूसरी ओर एम्स भोपाल और राज्य सरकार द्वारा जो अन्य कार्य जैसे सीरो सर्वे जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू किए गए थे, वह भी अब बंद कर दिया गया है। इससे कोरोना संक्रमण और वायरस के स्वरूप व शहर की आबादी की इम्यूनिटी के बारे में ताजा जानकारी इकट्ठा नहीं हो पा रही है।
07/08/2022
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