…तो भाजपा सांसदों पर भी इस बार लगाएगी दांव

 भाजपा

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी भाजपा रणनीति बनाने में जुटी है। एक तरफ पार्टी पांच जन आशीर्वाद यात्राओं के जरिए मतदाताओं के बीच पहुंचने की तैयारी में है। वहीं दूसरी तरफ चुनाव जीतने के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने में भी। बताया जाता है कि भाजपा इस बार कई सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है। मप्र की 230 विधानसभा सीटों पर भाजपा के चुनावी सर्वेक्षण का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। बताया जा रहा है कि भाजपा उन सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है जो इस समय पार्टी के कब्जे में हैं। ऐसी 127 सीटें हैं। इन सीटों पर पार्टी खास सर्वे करा रही है। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी गुजरात का फार्मूला अपना सकती है। मप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा करीब 60 विधायकों का टिकट काट सकती है। ये संख्या करीब 50 फीसदी तक हो सकती है यानी 60 से अधिक विधायकों का टिकट भी कट सकता है। अगर ऐसा होता है तो पहली बार होगा जब किसी पार्टी ने इतनी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हों। सूबे में इतनी बड़ी संख्या में कभी भी मौजूदा विधायकों के टिकट नहीं काटे गए। बताया जाता है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी से अधिक अपेक्षाकृत युवा और नए चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो भाजपा इस बार कई सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है।
आठ सांसदों के नाम पर मंथन
पार्टी सूत्रों का मानना है कि लगभग आठ सांसद ऐसे हैं, जिन्हें सीधे चुनावी अखाड़े में उतारने पर विचार किया जा रहा है। वहीं चार- पांच सांसद खुद ही विधानसभा चुनाव की टिकट की दौड़ में हैं। ऐसा प्रयोग भाजपा ने पहले भी किया था। तब सरताज सिंह, नीता पटेरिया, रामकृष्ण कुसमारिया को विधानसभा चुनाव लड़वाया गया था और ये सभी तत्कालीन सांसद विधानसभा चुनाव जीत गए थे, फिलहाल पार्टी जिन सांसदों को विधानसभा में लाना चाहती है उनमें विवेक शेजवलकर, संध्या राय, हिमाद्री सिंह, रीति पाठक, राव उदय प्रताप सिंह, गणेश सिंह, गजेंद्र पटेल और रोडमल नागर जैसे नाम हैं। विधानसभा चुनाव की टिकट की दौड़ में सांसद शंकर लालवानी, सुधीर गुप्ता और अनिल फिरौजिया भी  शामिल हैं। सांसदों की रुचि विधायक बनने में इसलिए भी रहती है क्योंकि, पहले कुछ सांसद विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बन चुके हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले होशंगाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले राव उदय प्रताप सिंह भी अब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। सिंह 2014 के पहले भाजपा में शामिल हुए थे। पहले उनकी रुचि सिवनी मालवा या होशंगाबाद सीट पर थीं लेकिन अब पार्टी उन्हें तेंदूखेड़ा से कांग्रेस के बाहुबली विधायक संजय शर्मा के विरुद्ध विधानसभा चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है। राजगढ़ सांसद रोडमल नागर को भी जयवर्धन सिंह की घेराबंदी के लिए विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। संध्या राय भिंड से सांसद हैं, पहले वे विधानसभा सदस्य रह चुकी हैं। एससी सीट से संध्या को चुनाव लड़वाया जा सकता है। हिमाद्री सिंह शहडोल सांसद हैं, उनको एसटी सीट से विधानसभा का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। सतना सांसद गणेश सिंह को भी सतना जिले की ओबीसी बहुल सीट और गजेंद्र पटेल को खरगोन की सुरक्षित सीट से प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी मंथन कर रही है।
इधर, उज्जैन सांसद अनिल फिरौजिया ने भी विधानसभा में लौटने की इच्छा जताई है। इंदौर सांसद शंकर लालवानी इंदौर क्षेत्र क्रमांक-चार से टिकट चाह रहे हैं। यहां से मालिनी गौड विधायक हैं। भाजपा सांसदों के विधायक बनने का पुराना इतिहास है।  वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में सांसद रहे सरताज सिंह और रामकृष्ण कुमारिया विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बन गए थे। सिर्फ नीता पटेरिया को ही उन दिनों सांसद से विधायक बनने पर मंत्री पद नहीं मिला था। भूपेंद्र सिंह भी सांसद रहने के बाद 2013 में विधानसभा लौटे और मंत्री बने। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सांसद रहे हैं।
12 सांसदों का कट सकता है टिकट
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा मेगा प्लान बनाने में लगी है। विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव में 2019 का पिछला प्रदर्शन एक बार फिर दोहराने की रणनीति बनाई जा रही है। पिछले चुनाव में भाजपा मध्यप्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। माना जा रहा है इस आंकड़े को बरकरार रखने के लिए पार्टी इस बार अपने कई सांसदों का टिकट काट सकती है। सूत्रों के अनुसार लगभग 12 लोक सभा सांसदों का टिकट कट सकता हैं। हालांकि, इनमें से कुछ को विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। उसी तरह से एक सांसद को उम्र की वजह से चुनाव नहीं लड़ाया जा सकता है। जबकि, एक सांसद महोदय को उनके विवादित बयानों के कारण बने असमंजस की स्थिति के कारण चुनाव से दूर रखा जा सकता है। पार्टी की कोशिश है कि नए और युवा चेहरों को मैदान में उतारा जाए। पार्टी सूत्रों के अनुसार फिलहाल सभी सांसदों को अपने क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोरशोर से अपनी भूमिका निभाने का निर्देश दिया गया है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भी पार्टी के रणनीतिकार लगातार मंथन कर रहे हैं। जीत और हार का लगातार सर्वे और सर्वेक्षण चल रहा है।

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