गांव के बच्चों के लिए पढ़ाई से भी जरूरी हुआ स्मार्टफोन

  • सुमन कांसरा
 स्मार्टफोन

एक और सर्वे से यह पता चला है कि 14 से 18 साल की उम्र के बच्चों के 90 प्रतिशत बच्चों के पास स्मार्टफोन है जो पढ़ाई तो नहीं एंटरटेनमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 2023 के 90 प्रतिशत के मुकाबले 2017 में यह 73 प्रतिशत होता था। कंप्यूटर सिर्फ 9 प्रतिशत बच्चों के घर में मिला। सर्वे ने यह पाया कि 90  बच्चे सोशल मीडिया के दीवाने हो चुके हैं 2017 में जब लास्ट ईयर सर्वे करवाया गया था तब सिर्फ 28 प्रतिशत बच्चे ही इंटरनेशनल इंटरनेट इस्तेमाल करते थे जब 90 प्रतिशत तक पहुंच चुका है केवल दो तिहाई बच्चों ने यह माना कि वह स्मार्टफोन पढ़ाई के लिए इस्तेमाल भी करते हैं बाकी बच्चों ने यह स्वीकार किया कि ज्यादातर इस्तेमाल इंटरनेट पर फिल्में देखने और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के लिए किया जाता है। 2017 के सर्वे में पढ़ाई को आगे न जारी रखने की परसेंटेज में कुछ खास बदलाव नहीं देखा गया 2017 में 5 प्रतिशत बच्चे 14 साल की उम्र के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे और 30 प्रतिशत 18 साल की उम्र के बाद। 2023 में सिर्फ 3.9 प्रतिशत और 32.6 परसेंट का ही बदलाव आया है। आज भी लड़कियां आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती क्योंकि उनके परिवार वाले नहीं चाहते और लडक़ों में तो पढ़ाई में कोई दिलचस्पी न होना की सबसे बड़ा कारण है । सरकारी तंत्र तो जिम्मेदार है ही शिक्षा के दुर्दशा का इसमें बहुत बड़ा रोल स्मार्टफोन और इंटरनेट भी निभा रहे हैं। सोशल मीडिया की यह बुरी लत आने वाली पीढ़ी को कहां ले जा रही है यह हमें और आप और सभी सरकारों को देखना बहुत जरूरी है।
धरे के धरे रह गए सरकारों के दावे
स्कूली शिक्षा को लेकर सभी सरकारी चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार दावे तो बहुत करती रहती हैं पर गांव की शिक्षा के स्तर को लेकर ए एस ए आर की रिपोर्ट में सभी दावों  की पोल खोल दी। ए एस ए आर की रिपोर्ट ने यह दावा किया है 25 परसेंट गांव के बच्चे जिनकी उम्र 14 से 18 साल के बीच है दूसरी कक्षा की किताब भी पढ़ने लायक नहीं है अंग्रेजी का एक सेंटेंस तक नहीं पढ़ पाते लिखना तो दूर की बात अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ने के काबिल नहीं है। आधे से ज्यादा बच्चे प्लस माइनस और डिवीजन जानते भी नहीं जो कि दूसरे या तीसरी कक्षा में सिखाया जाना चाहिए देश के 24 राज्यों में 28 जिला में यह सर्वे किया गया। गांव की स्कूलों की पढ़ाई का निचला स्तर बच्चों को इस काबिल भी नहीं बन पा रहा कि वह रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाला प्लस माइनस ही कर पाए। ए एस ए आर की रिपोर्ट को केंद्र सरकार सरकारी शिक्षा पॉलिसी बनाते वक्त उसका रेफरेंस लेती है और उसी की कुछ पॉलिसीज को इस्तेमाल भी करती है 2023 की इसकी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 सालों से शिक्षा की तकनीक में कोई बदलाव न होना भारतीय शिक्षा के स्तर को नीचे गिर रहा है वह चाहे दिल्ली सरकार हो या बाकी राज्यों की सरकारी।

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