भाजपा के ग्वालियर-चंबल में हालात सबसे ज्यादा खराब

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हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को मनाने और जमीनी हकीकत का पता लगाने संगठन ने जिन 14 वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी, उन्होंने जमीनी स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट संगठन को सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा की हालात सबसे ज्यादा खराब है। आज शाम चार बजे प्रदेश भाजपा मुख्यालय में कोर ग्रुप की बैठक में इस रिपोर्ट पर मंथन किया जाना है। भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में प्रदेश की कमजोर सीटों को लेकर रणनीति बनेगी, वहीं, नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं का असंतोष दूर करने का रास्ता निकाला जाएगा।
गौरतलब है कि मप्र में संघ, सरकार और भाजपा संगठन की सर्वे रिपोर्ट के बाद 14 वरिष्ठ नेताओं की बड़ी जिम्मेदारी देकर मैदानी मोर्चे पर सक्रिय किया गया था। बताया जाता है कि इन नेताओं ने फील्ड की जो रिपोर्ट दी है उसने सरकार और संगठन की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार जमीनी कार्यकर्ता सत्ता-संगठन के साथ ही मंत्रियों और विधायकों से नाराज हैं। यही नहीं जनता भी सरकार और तंत्र से नाखुश है। रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर-चंबल में भाजपा कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा गुस्सा नजर आया है। आज शाम होने वाली  प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक में नेताओं की फीडबैक रिपोर्ट पर मंथन होगा। इस बैठक में जो फैसला होगा, उसके आधार पर एक्शन होगा। अभी तक इन नेताओं की जितनी भी बैठकें हुई हैं, उनमें मुख्य रूप से मंत्रियों और विधायकों द्वारा उपेक्षा करने की शिकायतें हो रही हैं। सबसे ज्यादा नाराजगी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले जिलों में हो रही हैं।
नड्डा ने निर्देश पर जमीनी हकीकत का आकंलन
बता दें, इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने भोपाल प्रवास पर बैठक में भाजपा के प्रदेश संगठन को जमीनी स्तर पर काम करने को कहा था। उन्होंने सरकार और संगठन में समन्वय को लेकर भी सवाल उठाए थे। सूत्रों का कहना है कि कोर ग्रुप की बैठक में जमीनी स्तर पर समन्वय के साथ काम करने की रणनीति बनाने पर भी चर्चा होगी। पार्टी को चुनाव में जाना है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की नाराजगी को पार्टी चुनौती के रूप में ले रही है।
माखन सिंह की रिपोर्ट चौकाने वाली
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सबसे बड़ा झटका ग्वालियर-चंबल अंचल में लगा था। इस बार भी स्थिति अनुकूल नहीं है। इसका खुलासा पूर्व संगठन महामंत्री माखन सिंह चंदेल की रिपोर्ट में हुआ है। भाजपा सरकार और संगठन के प्रति सबसे ज्यादा नाराजगी ग्वालियर-चंबल इलाके में देखी गई है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि चुनावी साल में भी कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। उनमें हमारी सरकार जैसे इमोशन का अभाव है, जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि चुनावी जंग में भाजपा को मैदानी जमावट में मुश्किलें आ सकती हैं। बताया जाता है कि पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की नाराजगी सामने आने के बाद अब सत्ता और संगठन नई रणनीति बनाकर मैदान में उतरेंगे। भाजपा नेताओं का कहना है कि मुद्दे, दावों, दलबदल जैसे विषयों पर चर्चा में यह निचोड़ निकलता है कि लोग सरकार से नाराज नहीं हैं, उन्हें शिकायत है सरकारी मशीनरी से और इसे घेरे रहकर अपने काम कराने वाले सत्ता समर्थकों से। दरअसल पिछले 3 साल से विकास की बातें तो खूब हुई हैं, लेकिन काम नहीं हुआ है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि चुनावी साल में भी कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है।
भैय्याजी जोशी आलाकमान को सौंपेंगे अपनी रिपोर्ट
भाजपा के 14 दिग्गज नेताओं के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने राजधानी भोपाल में पिछले तीन दिनों से समाज के अलग-अलग वर्ग के लोगों से संवाद कर सत्ता और संगठन की नब्ज टटोल रहे हैं। महिलाओं का कार्यक्रम मातृ शक्ति संवाद और प्रौढ़ लोगों के सम्मेलन में भी शामिल हुए। प्रबुद्धजनों से भी बातचीत की। इससे पहले जोशी नर्मदांचल यात्रा के जरिए नर्मदा किनारे के क्षेत्र के लोगों से भी संवाद कर चुके हैं। इंदौर में संघ के प्रमुख नेताओं के साथ भाजपा नेताओं की बैठक के ठीक बाद जोशी के भोपाल प्रवास से राजनीतिक क्षेत्र में सरगर्मी बढ़ गई है। जोशी वैसे तो भोपाल में आरोग्य भारती के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे , लेकिन पिछले तीन दिनों के दौरान समाज के कई वर्गों के साथ उन्होंने संवाद किया। इस कवायद को चुनाव से पहले नब्ज टटोलने जैसा माना रहा है। सूत्रों का कहना है कि सत्ता और संगठन को लेकर उन्होंने जो रिपोर्ट तैयार की है उसे भाजपा आलाकमान को सौंपेगे।
जनप्रतिनिधियों द्वारा उपेक्षा की शिकायत
रिपोर्ट के अनुसार कार्यकर्ताओं ने जनप्रतिनिधियों के द्वारा उनकी उपेक्षा करने की भी शिकायत की है। वहीं, बड़ी समस्या ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं के क्षेत्र में है। बैठक में इन सब शिकायतों को दूर करने के रास्ते निकाले जाएंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है की संघ के माध्यम से आलाकमान के पास सत्ता और संगठन की सारी रिपोर्ट पहुंच रही है। इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भाजपा जमीनी नेता, संगठन और सरकार से खासे नाराज चल रहे हैं। ऐसे में संकट के समय हमेशा पार्टी के साथ रहने वाले, मतदाताओं में प्रभाव रखने वाले, पार्टी के निष्ठावान और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को आलाकमान ने गंभीरता से लिया है। जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है। वे क्यों नाराज हैं और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए क्या किया जाए आदि के मद्देनजर 14 नेताओं को फीडबैक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। खास बात यह है कि शिवराज सरकार से सिर्फ एक मंत्री गोपाल भार्गव को यह जिम्मेदारी दी गई है। उनके अलावा अनुभवी नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन नेताओं को उनका क्षेत्र छोडक़र अन्य जिलों की जिम्मेदारी इसलिए दी गई थी, ताकि असंतुष्ट खुलकर बात कर सकें। यही वजह है कि इन नेताओं ने पूर्व नगर पालिका अध्यक्षों, पार्टी की जिला इकाइयों के पूर्व अध्यक्षों, पूर्व विधायकों, पूर्व संसद सदस्यों और अन्य लोगों के साथ वन-टू-वन चर्चा की है।

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