छोटे मियां और बड़े मियां के आंगन में अपनी ताकत दिखाएंगे श्रीमंत

 श्रीमंत

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस छोड़कर दो साल पहले भाजपाई बने श्रीमंत अब पूरी तरह से भगवा रंग में रंग चुके हैं। भाजपा भी अब उनका पूरा उपयोग कांग्रेस के दोनों ही दिग्गज व उसके अजेय इलाकों के गढ़ों को ध्वस्त करने का जिम्मा श्रीमंत को दे रही है। यही वजह है कि अब संगठन द्वारा कमलनाथ यानि की छोटे मियां और दिग्विजय सिंह यानि की बड़े मियां के आंगन में जाकर चुनौती देने का जिम्मा श्रीमंत को दे दिया गया है। श्रीमंत अब अगले माह इन दोनों ही नेताओं के आंगन में जाकर अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं। यह पहला मौका है जब श्रीमंत इन दोनों नेताओं के इलाकों में जाकर उन्हें चुनौती देते नजर आएंगे। दरअसल कांग्रेस में नेताओं के बीच अपने इलाके बंटे हुए हैं। इस तरह की व्यवस्था उस समय भी रही है, जब, श्रीमंत कांग्रेस में हुआ करते थे।
इसकी वजह से ही श्रीमंत हों या फिर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह। यह क्षत्रप कभी भी एक दूसरे के इलाकों में जाना तो दूर हस्तक्षेप तक नहीं करते थे। छिंदवाड़ा में कमल नाथ और नकुल नाथ तो गुना और राघौगढ़ क्षेत्र में राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह के कार्यों में पार्टी तक हस्तक्षेप नहीं करती है। इन इलाकों में उनकी मर्जी के बगैर न तो कोई पदाधिकारी बनता है और न ही किसी भी चुनाव में प्रत्याशी। अब स्थिति अलग बन चुकी है। श्रीमंत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ चुके हैं। श्रीमंत को कांग्रेस भी नाथ व दिग्गी जैसे किलेदारों की वजह से ही छोड़नी पड़ी है। लिहाजा उनके मन में इन दोनों ही नेताओं को लेकर जारी अदावत अब पूरी तरह से खदबदा रही है।
भाजपा भी इसका फायदा उठाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहती है , जिसकी वजह से ही अब भाजपा संगठन ने नाथ व सिंह के किलों को ध्वस्त करने का जिम्मा श्रीमंत को सौंप दिया है। संगठन द्वारा ही अगले माह श्रीमंत का छिंदवाड़ा और राजगढ़ का दौरा तय किया गया है। इसके लिए बकायदा संगठन ने प्रदेश पदाधिकारियों को प्रभारी बनाकर उनका कार्यक्रम पूरी तरह का सफल बनाने का जिम्मा भी सौंपा है। इसे अभी से आम विधानसभा व लोकसभा चुनाव के समय इन दोनों ही दिग्गजों की राजनीतिक घेराबंदी शुरू करने से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने के बाद कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र का जिम्मा पुत्र नकुलनाथ को सौंप दिया है। नाथ से श्रीमंत के पुराने मतभेद हैं, सो भाजपा ने भी श्रींमत को उन्हें चुनौती देने का जिम्मा सौंप दिया है। अगस्त के दूसरे पखवाड़े में सिंधिया का छिंदवाड़ा में दौरा प्रस्तावित किया गया है।
श्रीमंत उनके इलाके में जाकर चुनौती देकर घेराबंदी करने से न केवल कमल नाथ की बल्कि उनके पुत्र नकुल नाथ की भी मुश्किल बढ़ेगी। मध्य प्रदेश से फिलहाल कांग्रेस के एकमात्र सांसद नकुल नाथ हैं। माना जा रहा है कि छिंदवाड़ा में अगर श्रीमंत की वजह से कांग्रेस को नुकसान होगा तो उसे राजनीतिक गलियारों में कमल नाथ की व्यक्तिगत क्षति के तौर पर ही देखा जाएगा। श्रीमंत के इस दौरे के समय नाथ के कुछ सिपहसालारों व कांग्रेस के सामंतों को सदस्यता दिलाकर भाजपा खेमे में लाने की भी तैयारी की जा रही है। इसी तरह से राजगढ़ और उसके आसपास का इलाका दिग्विजय सिंह का इलाका माना जाता है। इस इलाके से ही उनके पुत्र जयवर्धन सिंह और भाई लक्ष्मण सिंह विधानसभा के सदस्य हैं। पूर्व में  सिंह भी यहीं से विधानसभा व लोकसभा का चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं।
इस इलाके में भी पार्टी में उनकी मर्जी के खिलाफ पत्ता भी नहीं खड़कता है। कांग्रेस की प्रदेश में दो दशक बाद सरकार बनने पर सरकार को बाहरी तौर पर नाथ को अंदरुनी तौर पर दिग्विजय सिंह द्वारा ही चलाए जाने के आरोप लगते रहे हैं। इस दौरान इन दोनों ही नेताओं पर सरकार में श्रीमंत की उपेक्षा करने के आरोप लगते रहे हैं। इसकी वजह से श्रीमंत की इन दोनों नेताओं से दूरियां बढ़ती गई और उन्हें पार्टी छोड़कर भाजपा में आना पड़ा है। भाजपा ने भी उनहें हाथों हाथ लेते हुए कांग्रेस की नाथ सरकार गिरवा दी, बल्कि अपनी भी सरकार बनवा ली। अब भाजपा को श्रीमंत के रुप में ऐसा किलेदार मिल गया है जो इन दोनों ही कांग्रेस नेताओं को उनके गढ़ में मजबूत चुनौती देने का दम रखता है।
यही वजह है कि भाजपा भी उनका पूरा उपयोग इन कांग्रेसी गढ़ों को ढहाने में करने की  रणनीति पर आगे बढ़ रही है। इसे प्रदेश कांग्रेस और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर बदलाव की अटकलों के बीच भाजपा की आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस मामले में भाजपा  नेता और श्रीमंत समर्थकों का कहना है कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी संगठन के निर्देश पर उनके दौरे तय किए जाते हैं। उनके दौरों से पार्टी को फायदा ही होना है। जबकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नाथ व सिंह के इलाकों में श्रीमंत के दौरों से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा। इसकी वजह है जनता वास्तविकता जानती है।
रणनीति बनाकर संगठन तय कर रहा दौरे
भाजपा संगठन रणनीति के तहत ही अब श्रीमंत के दौरे तय कर रहा है। उनका छिंदवाड़ा व राजगढ़ का दौरा भी संगठन द्वारा ही तय किया गया है। श्रीमंत इसी दिन राजगढ़ और गुना क्षेत्र का भी दौरा करेंगे, जिसमें उनके द्वारा में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवाद किया जाएगा। गौरतलब है कि कांग्रेस में रहने के दौरान श्रीमंत लंबे समय तक छिंदवाड़ा व राजगढ़ नहीं गए थे। अब पार्टी संगठन की ओर से सिंधिया के ऐसे कार्यक्रम तय किए गए हैं कि वे भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद के दौरान कांग्रेस के अंसतुष्ट खेमे को भी प्रभावित करें।
भाजपा में आने के बाद बढ़ गई है सक्रियता
श्रीमंत की भाजपा में आने के बाद सक्रियता में अचानक से बेहद वृद्धि देखी जा रही है। वे अब प्रदेश के अलग-अलग इलाकों का दौराकर न केवल अपने समर्थकों से मिल रहे हैं, बल्कि पुराने भाजपा नेताओं के घर -घर जाकर उनसे भी संवाद कर उनके सुख दुख में खड़ा होने का संदेश भी दे रहे हैं। संघ और भाजपा संगठन भी उनमें भविष्य की संभावनाएं देख रही है। दरअसल वे कांग्रेस के ऐसे पुराने नेता हैं जो भाजपाई बनने के बाद तेजी से भाजपा व संघ की नीति व रीति को अंगीकार करते दिख रहे हैं।
श्रीमंत समर्थक सिसौदिया पहले से ही खोले हुए हैं मोर्चा
राजगढ़ इलाके में श्रीमंत के बेहद करीबी और उनके सिपहसालार मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया पहले से ही बेहद सक्रिय बने हुए हैं। उपचुनाव जीतने के बाद सबसे पहले उनके द्वारा इसी जिले के राघौगढ़ में एक बड़ी रैली की गई थी। यही नहीं वे कांगे्रस छोड़ने के बाद से ही लगातार दिग्विजय सिंह के खिलाफ बयानबाजी कर निशाना साधते आ रहे हैं। इस मामले में सरकार से जरुर एक बड़ी गलती हुई है। अगर सरकार सिसौदिया को शिवपुरी की जगह राजगढ़ जिले का प्रभार दे देती तो वे अधिक ताकत के साथ दिग्विजय सिंह का विरोध कर पाते।

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