- जंगल महकमे में प्रशासनिक मिस मैनेजमेंट
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग में इनदिनों प्रशासनिक जमावट इस कदर बिगड़ गई है कि वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन में अधिकारियों की कमी हो गई है। जिन अधिकारियों को मुख्यालय में रहना चाहिए वे फील्ड में काम कर रहे हैं। मुख्यालय में एपीसीसीएफ के पद खाली पड़े हैं और फील्ड में जमे हुए है। यही नहीं जबलपुर बैतूल और खंडवा सर्किल खाली पड़े हैं। वर्किंग प्लान सबमिट कर चुके अधिकारी सर्किल में अपनी पदस्थापना के बांट जोह रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जंगल महकमे में प्रशासनिक मिस मैनेजमेंट की वजह से वन मुख्यालय सतपुड़ा में बजट, आईटी, अनुसंधान एवं विस्तार और प्रोजेक्ट शाखा में एपीसीसीएफ के पद रिक्त है। जबकि इस पद के अफसरों की स्थापना इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर सर्किल में की गई है। जबलपुर में भी एपीसीसीएफ पदस्थ रहे जो कि फरवरी में रिटायर हो गए। मूलत: सर्किल में वन संरक्षक का पद है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के स्तर के दो अधिकारियों की पदस्थापना विभाग के बाहर एनवीडीए और मत्स्य महासंघ में की गई है। दिलचस्प पहलू यह है कि कुछ बैच विशेष के दबाव में विभाग ने सर्किल में सीएफ पद को अपग्रेड कर सीसीएफ का नाम दे दिया गया। यह बात अलग है कि सरकारी दस्तावेज में आज भी सर्किल में इस पद को सीएफ के नाम से ही संबोधित किया जा रहा है।
कई सर्किल में सीसीएफ के पद खाली
यही नहीं जबलपुर, बैतूल और खंडवा सर्किल में सीसीएफ (पदेन सीएफ) के पद खाली है। सीसीएफ अनिल कुमार सिंह, राजीव मिश्रा, एलएल उईके और पीजी फुलझले अपने-अपने वर्किंग प्लान कंप्लीट करके नई पदस्थापना के बाट जोह रहे हैं। सूत्रों की मानें तो उज्जैन सर्किल में पदस्थ एपीसीसीएफ कोमोलिका मोहंता ने विभाग के मुखिया को पत्र लिखकर उज्जैन सर्किल से हटाकर इंदौर में पदस्थ करने का आग्रह किया है। उनके पति एचएस मोहंता इंदौर सर्किल में पदस्थ है। इसके अलावा सीएफ स्तर के अधिकारी भी सर्किल में अपनी पदस्थापना के गेम प्लान में लगे हैं। उधर, सर्किल में सीसीएफ और डीएफओ के पद पर पदस्थापना नहीं होने से दागी अफसर मौज में हैं। मसलन, खंडवा सीसीएफ के पद का प्रभार टीएस सुलिया को दिया गया है, वे कई गंभीर आरोपों से घिरे हैं। इसी प्रकार राज्य वन सेवा से आईएफएस के लिए सिलेक्ट हुए अफसरों की पदस्थापना नहीं होने पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में दागी राज्य वन सेवा के अधिकारी सुशील कुमार प्रजापति लंबे समय से कैडर के डीएफओ पद पर पदस्थ हैं। प्रजापति की पदस्थापना आईएफएस के लिए सिलेक्ट होने की प्रत्याशा में की गई थी। गंभीर अनियमितताओं के चलते प्रजापति का सिलेक्शन आईएफएस के लिए नहीं हुआ। वन विभाग ने अभी तक अपनी गलती का सुधार नहीं किया और उन्हें वहीं पर पदस्थ कर रखा है।
07/03/2022
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