शिव के कामदार व नामदार अफसर हुए ‘बेकाम’

कामदार व नामदार अफसर
  • मंत्रालय में बैठकर काम की जोह रहे हैं बाट …

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार में जो अफसर कामदार व नामदार के रूप में पहचाने जाते थे, वे अब बेकाम होकर बे चर्चा वाले हो चुके हैं। एक माह पहले तक यह वे अफसर थे, जिन्हें प्रदेश में मंत्रियों से भी अधिक पावरफुल माना जाता था। इसकी वजह थी वे पदस्थापनाओं से लेकर विभाग में बेलाग होकर निर्णय करते थे और उस पर कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं होता था, लेकिन अब सरकार का निजाम बदला तो उनकी तूती बोलना भी बंद हो गई।
अब इन अफसरों के न केवल दर सूने हो गए हैं, बल्कि वे खुद काम की दरकार में बैठे हुए हैं। नई सरकार बनने के बाद जिन आईएएस अधिकारियों को हटाया गया है, उनमें मुख्यमंत्री कार्यालय के दो अधिकारी भी शामिल हैं। पूर्व जनसंपर्क आयुक्त मनीष सिंह के अलावा चार कलेक्टर्स भी हैं। इन सभी को मंत्रालय बुला लिया गया है, लेकिन उन्हें अभी कोई काम नहीं दिया गया है। जिन अधिकारियों को मंत्रालय लाकर बेकाम किया हुआ है, उनमें मुख्यमंत्री के प्रमुख प्रमुख सचिव पद से हटाए गए मनीष रस्तोगी, मुख्यमंत्री के उपसचिव पद से हटाए गए नीरज वशिष्ठ, प्रबंध संचालक मेट्रो रेल से हटाए गए मनीष सिंह शामिल हैं। इनके अलावा जिलों से कलेक्टर पद से हटाकर मंत्रालय लाए गए अफसरों में उज्जैन के कुमार पुरुषोत्तम, गुना के तरुण राठी, शाजापुर के किशोर कान्याल, जबलपुर के सौरभ कुमार सुमन को भी कोई काम नहीं दिया गया है। सौरभ को छोडक़र शेष अधिकारी मंत्रालय में अपनी आमद दे चुके हैं। फिलहाल यह अफसर कामकाज नहीं मिलने की वजह से मंत्रालय तो जाते हैं, लेकिन इधर-उधर बैठने के बाद वापस लौट आते हैं।
दरअसल मप्र में पिछले कुछ समय से ब्यूरोक्रेसी का ही पूरी तरह से राज चल रहा था। यही नहीं इस बीच कुछ खास तरह की निष्ठा वाले अफसरों का पूरा कॉकस तैयार हो चुका था , जो पूरे सिस्टम पर ही हावी हो गया था। इकबाल सिंह बैंस का बतौर मुख्य सचिव पूरा कार्यकाल व एक्सटेंशन ने बाकी के नौकरशाहों को जो संकेत देना था, दे दिए थे। नतीजतन, कुछ मन मारकर काम करने को मजबूर हुए तो कुछ पूरे समय जलवा ए जलाल में रहे हैं। अहम बात यह रही है कि इस दौरान ऐसे भी अफसर रहे , जो सेवानिवृत्त होने के बाद भी दूसरों के हक पर कब्जा जमाए रहे, जिसकी वजह से प्रदेश का एक सरकारी वर्ग पूरी तरह से हताशा के गर्त में डूबने को मजबूर हो गया। फिलहाल अफसरशाही का पुराना हस्तिनापुर अब दरकता हुआ दिखने लगा है।
सबसे ताकतवर थे यह अफसर
पिछली सरकार में मनीष रस्तोगी, मनीष सिंह और नीरज वशिष्ठ की गिनती सरकार में सबसे ताकतवर पांच अफसरों में होती थी। शिव सरकार में रस्तोगी प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री थे। 2020 में मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल को हटाकर रस्तोगी को पदस्थ किया गया था। नीरज वशिष्ठ की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज के बेहद करीबी अफसरों में होती है। उनकी मर्जी के बगैर कोई भी अफसर मुख्यमंत्री से नहीं मिल सकता था और उनकी राय भी बेहद अहम भूमिका निभाती रही है। मनीष रस्तोगी के बाद उनकी आईएएस पत्नी दीपाली रस्तोगी का भी विभाग बदला जा सकता है। हालांकि ये दोनों अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में हैं। पूर्व में दीपाली रस्तोगी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई थी, लेकिन पूर्व मुख्य सचिव इकबाल बैंस ने जाने से रोक लिया था।
बैंस की पदस्थापना ने चौंकाया
राज्य शासन ने साल 2023 के आखिरी दिन 10 आईएएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए थे। जिनमें उज्जैन, नर्मदापुरम, बैतूल एवं गुना जिले के कलेक्टर शामिल थे। इसमें बैतूल से अमनबीर सिंह बैंस को हटाकर गुना कलेक्टर बनाया गया है। बैंस को गुना कलेक्टर बनाए जाने के फैसले ने सभी को चौंकाया है। इसकी वजह है बैंस को मंत्रालय में उपसचिव बनाया जाना था, लेकिन उन्हें गुना कलेक्टर बनाने के आदेश जारी किए गए। अमनबीर सिंह पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के बेटे हैं। गुना जिला बेशक छोटा है, लेकिन बेहद संवेदनशील माना जाता है। राजनीतिक तौर यह जिला केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रभाव वाला है। ऐसे में अमनबीर सिंह को गुना का कलेक्टर बनाए जाने को लेकर तरह -तरह की चर्चाओं का दौर जारी है।

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