भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूरदर्शिता का ही कमाल है कि पिछले दो वित्तीय वर्षों की शुरूआत में राज्य सरकार की कर्ज लेने की अपनी स्थिति में बदलाव आया है। यानी शिव सरकार ने इस वित्त वर्ष की शुरूआत कर्ज लेकर नहीं की है। यह अच्छे आर्थिक संकेत भी हैं। इसके लिए सरकार ने खनिज, आबकारी सहित अन्य विभागों में आय के स्रोत बढ़ाने के प्रयासों पर जोर दिया है। यही नहीं राज्य के विभिन्न खर्चों में कटौती करके भी बचत की शुरूआत की गई है। यानी मुख्यमंत्री के द्वारा किए गए प्रयासों के परिणाम धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। हालांकि राज्य सरकार पर पहले ही दो लाख एक हजार 989 करोड़ 28 लाख रुपए का कर्ज है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार ने केवल बाजार से ही 38,973 करोड रुपए का कर्ज लिया था। इस तरह प्रदेश पर कर्ज का आंकड़ा दो लाख, चालीस हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गया है।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में कर्ज की सीमा
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 49,463 करोड़ 60 लाख रुपया कर्ज लेने की सहमति दी है। हालांकि इस कर्ज को लेने की शुरूआत अभी नहीं हुई है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार जीएसडीपी का 4.5 तक कर्ज ले सकती है।
मार्च में लिया था सबसे बड़ा कर्ज
पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने 24 मार्च को 4473 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा कर्ज लिया था। इसमें आश्चर्य वाली विशेष बात यह थी कि यह इतना बड़ा कर्ज महज दो वर्ष की अवधि के लिए लिया गया था। इससे पहले प्रदेश में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि सरकार को सिर्फ दो वर्ष की समय अवधि में ही वित्तीय संस्थाओं से कर्ज की अदायगी का वादा करना पड़ा हो, लेकिन बढ़ते खर्च केंद्र से मिलने वाली राशि में लेटलतीफी और सीमित आमदनी के कारण सरकार को वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले खर्च चलाने के लिए बाजार से कर्ज लेने की लगातार नौबत आ रही थी।
संक्रमण की चैन तोड़ने जनता कर्फ्यू
देश के साथ पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। संक्रमण की चैन तोड़ने और हालातों पर काबू पाने का राज्य सरकार पूरा प्रयास कर रही है। संक्रमण की रफ्तार पहले की अपेक्षा इस बार बेहद अधिक है। इस समय प्रदेश में संक्रमण की रफ्तार बीस फीसदी से ज्यादा बनी हुई है। राज्य सरकार स्थिति पर पूरी नजर रखे हैं है और कोरोना की चैन तोड़ने जनता कर्फ्यू लागू किया है। जो कि सात मई तक प्रस्तावित है। हालांकि इस बार अभी तक राज्य सरकार ने लॉकडाउन घोषित नहीं किया है। यह राहत की बात भी है और यही वजह है कि प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियां सामान्य तरीके से संचालित हो रही हैं। फैक्ट्रियों में कच्चे माल की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए परिवहन और सामग्री लाने ले जाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।
मजदूरों का पलायन रुका
कोरोना संक्रमण में इस बार पिछले साल जैसे हालात नहीं बने। गौरतलब है कि इस बार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद भी मजदूरों का पलायन नहीं हुआ है। किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान को मजदूरों की कमी के कारण बंद करने की नौबत नहीं आई। हालांकि जनता कर्फ्यू के दौरान मार्केट जरूर बंद है। बाजारों के बंद रहने से माल का उठाव नहीं हो रहा है। बाजारों के बंद रहने से अभी मांग की गिरावट का दौर जारी है। लेकिन जैसे ही कोरोना कर्फ्यू से राहत मिलेगी, मांग में भी तेजी आने की संभावना है। वर्तमान हालातों से यह भी स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में इस समय आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक असर नहीं पड़ा है। पिछले वर्ष इस अवधि में पूर्ण लॉकडाउन के कारण औद्योगिक गतिविधियां भी बंद हो गई थी और मजदूरों के पलायन के कारण औद्योगिक प्रतिष्ठानों को बाद में मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ा था इस कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा था और यही वजह रही कि प्रदेश की विकास दर भी माइनस में चली गई थी लेकिन इस बार आर्थिक मोर्चे पर कोई निराशाजनक माहौल नहीं बना है। यही वजह है कि राज्य सरकार की आमदनी पर भी कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं पड़ा और राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल में बाजार से कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी है।
बस संचालकों को दी राहत
कोरोना संक्रमण के दौरान इस बार राज्य सरकार ने आबकारी दुकानों को भी बंद करा दिया है। यही नहीं इसके साथ ही बसों के परिवहन को भी सीमित कर दिया है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से अंतरराष्ट्रीय बसों के परिवहन पर रोक लगा दी है। इसमें खास बात यह है कि राज्य सरकार ने बसों के परिवहन नहीं होने पर उन्हें एडवांस टैक्स जमा कर परिचालन करने की शर्त से राहत दे दी गई है। यानी अब बस संचालकों को एडवांस टैक्स देने की जरूरत नहीं पड़ रही है।
02/05/2021
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