भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शिवराज

दक्षिण के नेता भी हैं दावेदार…

गौरव चौहान
बीजेपी संगठन और आरएसएस बीते कुछ महीनों से बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। लिस्ट तैयार है, बस किसी एक नाम पर सहमति बनाने और अनाउंसमेंट की देर है। माना जा रहा है कि 10 से 20 मार्च के बीच अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा। नया अध्यक्ष चुनने के लिए दो तरह सं मंथन किया जा रहा है।
पहला: किसी ऐसे लीडर को अध्यक्ष बनाने का है, जो संगठन चलाने में माहिर हो, आरएसएस बैकग्राउंड का हो और चुनावी रणनीति में खुद को साबित कर चुका हो। ऐसा इसलिए क्योंकि, आगे पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार और क्क जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
दूसरा: नया अध्यक्ष साउथ इंडिया से हो। बीते 20 साल से कोई दक्षिण भारतीय नेता बीजेपी का अध्यक्ष नहीं बना है। दक्षिण अब भी बीजेपी के लिए अभेद है, जिसे अगले लोकसभा चुनाव में भेदने की तैयारी है। अगले तीन साल में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं। साउथ इंडिया के लीडर को अध्यक्ष बनाने से यहां बीजेपी को मदद मिलेगी। ऐसे में यह तीन नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं। इनमें शिवराज सिंह चौहान कृषि मंत्री,  मनोहर लाल खट्टर आवास और शहरी विकास मंत्री और धर्मेंद्र प्रधान, एजुकेशन मिनिस्टर के नाम शामिल हैं। दरअसल, बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव से ज्यादा जरूरी 2029 का लोकसभा चुनाव है।
शिवराज सिंह चौहान
आरएसएस की पहली पसंद, पॉपुलर और मास लीडर, शिवराज सिंह चौहान 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए लाडली बहना योजना शुरू की, जो विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई। ये योजना दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बन गई। विपक्षी पार्टियों भी इसे कॉपी कर रही हैं। शिवराज 13 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ गए थे। इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए। ओबीसी कैटेगरी से हैं। 2005 में मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं। अगर आरएसएस की चली, तो शिवराज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। उनके नाम पर मोदी-शाह के पास कोई नेगेटिव पॉइंट नहीं है। हालांकि, दोनों की लिस्ट में शिवराज का नाम धर्मेंद्र प्रधान के बाद दूसरे नंबर पर है। आरएसएस की लिस्ट में शिवराज सबसे ऊपर हैं।
प्लस पॉइंट: सरकार और संगठन चलाने का लंबा अनुभव है। पॉपुलर और मास लीडर हैं।
माइनस पॉइंट: कोई नहीं
मनोहर लाल खट्टर
पीएम मोदी और आरएसएस को पसंद, शाह की लिस्ट से गायब, हरियाणा के पूर्व सीएम  और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर नरेंद्र मोदी के पुराने साथी हैं। उनकी दोस्ती 90 के दशक से है, जब दोनों किसी पद पर नहीं थे। खट्टर की छवि जमीनी नेता की है। हालांकि, हरियाणा में उनके खिलाफ नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्हें हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम  बनाना पड़ा। हरियाणा में सीएम  पद से हटाए जाने के बाद मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वे अभी करनाल सीट से सांसद हैं। आरएसएस में खट्टर की छवि मेहनती और ईमानदार नेता की है। खट्टर बीजेपी जॉइन करने से 17 साल पहले आरएसएस से जुड़ गए थे। 1977 में उन्होंने आरएसएस जॉइन किया और तीन साल बाद पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। 1994 में बीजेपी जॉइन की। खट्टर को बीजेपी का अध्यक्ष बनाने पर आरएसएस भी राजी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह उनके नाम पर राजी नहीं हैं। मोदी-आरएसएस की हां के बाद अमित शाह का राजीनामा ही खट्टर को अध्यक्ष पद तक पहुंचा सकता है।
प्लस पॉइंट: आरएसएस का बैकग्राउंड, पीएम मोदी के करीबी, ईमानदार नेता की छवि।
माइनस पॉइंट: हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम पद से हटाया गया। वहां खट्टर के नाम पर लोगों में नाराजगी थी। आखिर में उन्हें मंच और पोस्टर से भी हटा दिया गया।
धर्मेंद्र प्रधान
आरएसएस-बीजेपी के साइलेंट वॉरियर, संगठन में कोई विरोधी नहीं, मौजूदा एजुकेशन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा से आते हैं। सरकार और संगठन दोनों में पसंद किए जाते हैं। एबीवीपी से पॉलिटिकल करियर शुरू करने वाले प्रधान 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बने। दो बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस्पात, पेट्रोलियम और कौशल विकास मंत्री रह चुके हैं। अभी संबलपुर सीट से सांसद हैं। 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने 8 मंत्रियों की टीम बनाई थी। इसे धर्मेंद्र प्रधान ने ही लीड किया था। चुनाव में बीजेपी ने 255 सीटें जीती थीं। प्रधान की इमेज संगठन और पार्टी के बीच साइलेंट वॉरियर की है। ताजा उदाहरण हरियाणा का विधानसभा चुनाव है। यहां धर्मेंद्र प्रधान ने राज्य प्रभारी बिप्लव देब के साथ मिलकर विपक्ष के नैरेटिव को पहचाना और उसके सामने एंटी नैरेटिव गढऩे में अहम भूमिका निभाई। जहां बीजेपी के हारने की बातें हो रही थीं, वहां पार्टी बहुमत से सरकार बनाई। इस जीत पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ आरएसएस ने भी धर्मेंद्र प्रधान की पीठ थपथपाई थी।
प्लस पॉइंट:आरएसएस को एतराज नहीं। लीडरशिप के करीब हैं। पार्टी या संगठन में कोई विरोधी नहीं है।
माइनस पॉइंट: कोई नहीं
साउथ इंडिया से तीन दावेदार

  1. बीएल संतोष, 2. डी. पुरंदेश्वरी, 3. जी. किशन रेड्डी।

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