- आजीवन कारावास में मौत होने तक रहना होगा जेल में
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार अब अपराधियों पर और कड़ा रुख अपनाने जा रही है। जिसकी वजह से कई तरह के गंभीर मामलों में आजीवन सजा पाने वाले कैदियों को मौत होने तक जेल की सलाखों के पीछे ही रहना होगा। इसके लिए अब एक दशक बाद सरकार कैदियों की रिहाई की नीति में बदलाव करने जा रही है। किए जा रहे संशोधन के बाद महिलाओं व बच्चों से जुड़े अपराध में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदियों की अब रिहाई नहीं होगी, बल्कि उन्हें अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा। खास बात यह है कि ऐसे मामलों को अच्छे आचरण के आधार पर साल में दो बार (स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस) पर सरकार द्वारा कैदियों की रिाहई से के दायरे से भी बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा अब साल में दो के बजाय चार बार रिहाई होगी। नीति में संशोधन के लिए गृह विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों की नीति का भी अध्ययन किया जा रहा है।
किस राज्य में क्या प्रावधान
मध्य प्रदेश में प्रति वर्ष 26 जनवरी और 15 अगस्त को समय पूर्व रिहाई होती है। जबकि, उत्तर प्रदेश में वर्ष में सात बार और ओड़िशा, बिहार व हिमाचल प्रदेश में चार बार रिहाई की जाती है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रकरण के हिसाब से निर्णय लिया जाता है। तेलंगाना में दो अक्टूबर को रिहाई होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी सलाह
बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में राज्य सरकार ने फांसी की सजा का प्रविधान किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में सभी राज्य सरकारों को आजीवन कारावास के सजा पाए कैदियों की रिहाई की नीति के संबंध में विचार करने के लिए कहा था। सामान्य प्रशासन विभाग ने मई 2022 में इसके लिए अपर मुख्य सचिव गृह एवं जेल डा. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में समिति बनाई। यह तय किया गया है कि सरकार की मंशा के अनुरूप बच्चों, महिलाओं, सरकारी कर्मचारी की हत्या, मादक पदार्थ और आतंकवाद से जुड़े मामलों में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को रिहाई के दायरे से बाहर रखा जाएगा। इसी तरह सीबीआइ, राष्ट्रपति द्वारा मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित करने के मामले में भी रिहाई का प्रविधान लागू नहीं होगा। डा. राजौरा ने कहा कि सभी पहलुओं पर अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपेंगे। अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे।