शिवराज-दिग्विजय के सामने रिकॉर्ड बनाने की चुनौती

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अब तक हुए दो चरणों की वोटिंग में 2019 के मुकाबले 7 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। अब 7 मई को तीसरे फेज के लिए वोटिंग होनी है। कम वोटिंग प्रतिशत से उन नेताओं की धडक़नें तेज हो गई हैं, जो हाईप्रोफाइल माने जा रहे हैं। तीसरे फेज में जिनके क्षेत्रों में चुनाव हैं, उनमें ऐसे दो नेता हैं जिनके सामने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान हुए मतदान की बराबरी करना बड़ी चुनौती है। प्रदेश में ऐसी दो प्रमुख संसदीय सीटें हैं विदिशा और राजगढ़। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों में पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में हैं। विदिशा से शिवराज सिंह चौहान, वहीं राजगढ़ से दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों नेताओं के कद को देखते हुए माना जा रहा है कि ये जीत का रिकॉर्ड बनाएंगे। यही उम्मीद दोनों के लिए बड़ी चुनौती है।
शिवराज सिंह चौहान कुछ महीने पहले तक मप्र के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने करीब 18 वर्ष तक सीएम पद को संभाला है। अब विदिशा से सांसदी का चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2019 में विदिशा सीट पर करीब 71.29 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब 2024 में अन्य सीटों पर मतदान घट गया है, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी शिवराज पूरी दम खम लगा रहे हैं कि विदिशा में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव से ज्यादा रहे। वर्ष 2019 में राजगढ़ लोकसभा चुनाव में 73.77 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार यहां से कांग्रेस के टिकट पर दिग्विजय सिंह मैदान में हैं। वे वर्ष 2003 तक लगातार 10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब दिग्विजय सिंह पूरी कोशिश में जुटे हैं कि यहां मतदान प्रतिशत बढ़ जाए।
शिवराज सिंह चौहान अपने क्षेत्र में मतदाताओं से मतदान करने की अपील कर रहे हैं। वहीं, उनके बेटे कार्तिकेय भी कार्यकर्ताओं को बार बार यह संदेश दे रहे हैं कि जीत बड़ी होनी चाहिए। राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह भी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह पहले भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। इस बार उनका मुकाबला यहां के मौजूदा सांसद रोडमल नागर से है। नागर 2014 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं।
मतदान में वृद्धि का दारोमदार दोनों पर
राजगढ़ में दिग्विजय सिंह और विदिशा में शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं। मतदान में वृद्धि का दारोमदार भी इन्हीं दोनों पर है। विदिशा में भाजपा अब तक की सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत का लक्ष्य लेकर चल रही है। शिवराज सिंह चौहान से लेकर सभी नेता मतदाताओं से मतदान करने की अपील कर रहे हैं, तो कार्यकर्ताओं को यह संदेश बार-बार दिया जा रहा है कि जीत के आत्मविश्वास में कोई कसर न रह जाए। प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदान का रिकॉर्ड बनना चाहिए तभी पूरे संसदीय क्षेत्र में रिकॉर्ड बनेगा। उधर, दिग्विजय सिंह की टीम भी बूथ प्रबंधन पर जोर दे रही है और एक-एक मतदान पर फोकस किया जा रहा है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी एक नेता को दी गई है ताकि वो क्षेत्र विशेष पर ही अपना ध्यान केंद्रित करे। भाजपा ने भी यहां अपने एक-एक मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचाना सुनिश्चित करने में जुटी है। उधर, कम मतदान को लेकर चिंतित चुनाव आयोग भी मतदान बढ़ाने के लिए प्रयासरत हंै। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने 20 हजार 456 मतदान केंद्रों पर चलें बूथ की ओर अभियान चलाकर मतदाताओं से संपर्क किया। अब मतदान के एक दिन पहले फिर बूथ लेवल आफिसर घर-घर पहुंचेंगे और मतदान करने के लिए प्रेरित करेंगे। उधर, भारतीय जनता पार्टी ने अपने पन्ना और अद्र्ध पन्ना प्रभारियों को मतदाताओं से मतदाता पर्ची वितरण कर संपर्क करने के लिए कहा है। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी न्याय गारंटियों को लेकर घर-घर पहुंच रहे हैं और मतदान करने की अपील कर रहे हैं।
 80 प्रतिशत हुआ तो टूटेगा रिकॉर्ड
पहले दो चरण के चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने के बाद तीसरे और चौथे चरण के चुनाव में अधिक मतदान कराना आवश्यक है ,अन्यथा राज्य का औसत मतदान कम हो जाएगा। पिछले दो चुनाव से मतदान में लगभग दस प्रतिशत की वृद्धि रही है। तीसरे चरण की नौ सीटों पर 71.25 प्रतिशत से अधिक मतदान रहा था। इनमें राजगढ़ और विदिशा संसदीय क्षेत्र ऐसे थे, जहां 79.46 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान के लिए चुनौती है कि वे मतदान 80 प्रतिशत से अधिक कराएं तभी रिकार्ड टूटेगा। इसके लिए दोनों प्रयासरत भी हैं और प्रत्येक कार्यक्रम में मतदान अवश्य करने की अपील भी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की 12 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान हो चुका है। 2019 के चुनाव की तुलना में पहले चरण में 7.48 और दूसरे चरण में 9.06 प्रतिशत कम मतदान रहा। अब 17 सीटें बची हुई हैं। इनमें से भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, राजगढ़, सागर, विदिशा, बैतूल और भोपाल लोकसभा क्षेत्र में सात मई को मतदान होगा। भिंड, मुरैना और ग्वालियर में अपेक्षाकृत कम मतदान रहता है, इसलिए पूरा दारोमदार गुना, राजगढ़, सागर, विदिशा, बैतूल 7 और भोपाल सीट पर है।

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