शिव के दिग्गज नहीं उतरे कई मानकों पर खरे

शिव के दिग्गज
  • कई की उम्र आई आड़े तो कई विवादों की वजह से नहीं बना पाए जगह

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के कई विधायक ऐसे रहे हैं, जिन्हें भाजपा की सरकार में मंत्री बनना अब तक तय माना जाता रहा है, लेकिन उन्हें इस बार उन्हें मोहन यादव कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। इनमें शिवराज सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव, बृजेंद्र सिंह यादव, ओमप्रकाश सकलेचा, बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह, हरदीप सिंह डंग और ऊषा ठाकुर जैसे नाम शामिल हैं। वहीं इस बार सिंधिया के करीबी डॉ. प्रभुराम चौधरी को भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।अब इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। हर नेता को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे चेहरों में शामिल गोपाल भार्गव की बात की जाए तो वे सागर जिले की रहली सीट से लगातार 9 बार विधायक बने हैं। भार्गव शिवराज सरकार में वरिष्ठ  मंत्री थे। पार्टी ने 70 वर्षीय नेता को प्रोटेम स्पीकर बनाकर पहले ही संकेत दे दिए थे, कि उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी। वहीं वह भी घोषणा कर चुके थे कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा। मोहन कैबिनट में अधिकतम 67 वर्ष के नेता को चुना गया है। माना जा रहा है कि भार्गव को कैबिनेट में शामिल नहीं करने के पीछे उम्र भी एक बड़ा फैक्टर रहा है।
भूपेंद्र सिंह: शिवराज सरकार में ताकतवर मंत्रियों में से एक भूपेंद्र सिंह खुरई सीट से 2013 से लगातार विधायक चुनकर आ रहे हैं। पिछली सरकार में वह नगरीय प्रशासन मंत्री थे। बताया जाता है कि उनकी कई विधायकों ने शिकायत की थी। वहीं गोविंद सिंह राजपूत से खुली अदावत पार्टी तक पहुंची थी। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार की भी शिकायत की गई थी। माना जा रहा है कि इन सभी को ध्यान में रखते हुए उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है।
बृजेंद्र प्रताप सिंह: पन्ना से विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह पिछले शिवराज सरकार में खनिज मंत्री थे। उन पर आरोप लगे थे कि बतौर खनिज मंत्री उन्होंने अपने रिश्तेदारों और करीबियों को लाभ पहुंचाया है। बताया जाता है कि उनकी ये शिकायतें पार्टी तक पहुंची थी। इसका खामियाजा उन्हें इस बार उठाना पड़ा है औऱ उन्हें मोहन यादव कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है।
मीना सिंह: शिवराज सरकार में मंत्री रहीं मीना सिंह मानपुर सीट से पांचवीं बार विधायक बनी हैं। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। उनकी जगह आदिवासी एवं महिला कोटे से कैबिनेट में संपतिया उईके को मौका दिया गया है।
हरदीप सिंह डंग: चार बार के विधायक हरदीप सिंह डंग प्रदेश में सिख समुदाय का बड़ा चेहरा हैं। पिछली शिवराज सरकार में डंग को मंत्री बनाया गया था। वह शिवराज के करीबी माने जाते हैं। बताया जा रहा है कि संगठन से तालमेल की कमी के कारण उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। हालांकि माना जा रहा है कि उन्हें आगे कैबिनेट में शामिल होने का मौका मिल सकता है।
ओमप्रकाश सखलेचा: पांच बार के विधायक ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा के बेटे हैं, शिवराज सरकार में वह एमएसएमई मंत्री थे। बताया जाता है कि बतौर मंत्री उनका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं था। इसके चलते उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है।
बिसाहूलाल सिंह: आदिवासी नेता बिसाहूलाल सिंह सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं। 73 वर्षीय नेता का उम्र का फैक्टर और विवादित बयान उनके इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं होने का कारण बना है। इसके अलावा इस बार 4 विधायकों को आदिवासी कोटे से कैबिनेट में शामिल किया गया है। कोटा पूरा होने के चलते भी बिसाहूलाल को जगह नहीं मिल सकी है।
ऊषा ठाकुर
चौथी बार विधायक बनी ऊषा ठाकुर तीन अलग-अलग सीटों से चुनाव जीती हैं: बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय समीकरण के चलते उन्हें मोहन यादव कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है: वहीं दूसरा कारण संगठन से तालमेल की कमी भी बताई जा रही है।
डॉ प्रभुराम चौधरी
सिंधिया समर्थक प्रभुराम चौधरी को इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है। 2020 में बीजेपी में शामिल होने पर पिछली शिवराज सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।  तब उन पर विभाग के अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर कई आरोप लगे थे। माना जा रहा है कि इसके चलते उन्हें कैबिनेट में इस बार शामिल नहीं किया गया है।

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