-प्रधानमंत्री ने तारीफ कर मांगा मध्य प्रदेश का मॉडल
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते हफ्ते तक बेकाबू हो चुके कोरोना पर नियंत्रण में अब सफलता मिलनी शुरू हो गई है। इसकी वजह है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की वह रणनीति जो उनके द्वारा पांच बिन्दुओं पर तैयार की गई है। इस रणनीति पर अमल होते ही उसके कारगर परिणाम आना शुरू हो गए हैं। यही वजह है कि अब पॉजीटिव मरीजों की संख्या में बीते एक हफ्ते से न केवल धीरे-धीरे कमी आना शुरू हो गई है, बल्कि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि अब प्रदेश में न तो आईसीयू बेड की कमी सामने आ रही है और न ही वेंटीलेटर के लिए मारामारी की स्थिति बन रही है। दरअसल इस रणनीति के पांच प्रमुख सूत्र हैं, जिन पर काम करने से यह राहत मिलना शुरू हुई है। इनमें टेस्ट, पहचान, आइसोलेट, वैक्सीनेट और उपचार शामिल है। इन सूत्रों पर अमल के लिए अब प्रदेश में किल कोरोना अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों दोनों में ही चलाया जा रहा है। यही वजह है कि अब मप्र के इन कारगर साबित होने वाले उपायों की केन्द्रीय स्तर पर सराहना हो रही है। अब तो स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस मामले में मप्र मॉडल की मांग की गई है। इसे केन्द्र द्वारा दूसरे राज्यों को भेजकर उस पर अमल करने को कहा जाएगा, जिससे कि कोरोना महामारी पर जल्द काबू पाया जा सके। इस काम को मप्र में बेहतर अंजाम देने के लिए बकायदा सरकार द्वारा अपने मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी देकर उन्हें मॉनिटरिंग का काम भी दिया गया है। गरीबों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए राज्य सरकारों द्वारा आयुष्मान भारत के तहत अस्पतालों को विशेष पैकेज दिया गया है। इसकी वजह से इस योजना के तहत कोरोना के इलाज का भी रास्ता खुला। इस मामले में उनके द्वारा प्रदेश के केंद्रीय मंत्रियों से भी चर्चा की जा रही है। इन मंत्रियों द्वारा मप्र सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की सराहना की गई है। खास बात यह है कि इस दौरान उनके द्वारा केन्द्र सरकार से भी लगातार संपर्क रखकर इलाज के लिए जरुरी ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसट्रेटर, रेमेडेसिविर इंजेक्शन और वेंटिलेटर्स की उपलब्धता के भी प्रयास किए जाते रहे। यही वजह है कि अन्य प्रदेशों की तरह मप्र में कुछ दिन छोड़ दिए जाएं तो अॉक्सीजन के लिए मारा मारी की स्थित नहीं रही।
बीमा कंपनियां बन रही मुसीबत
खास बात यह है कि कोरोना के नाम पर बीमा कंपनियों द्वारा निकाली गई कोरोना रक्षक और कोरोना कवच पॉलिसी लेने वाले लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जरूरत पर यह कंपनियां अब क्लेम देने में आना कानी कर रही हैं। इसकी वजह है बड़ी संख्या में क्लेम के प्रकरणों का आना। इसके लिए कंपनियों द्वारा पॉलिसी धारकों को अयोग्य घोषित करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा क्लेम देने से पहले कंपनियों द्वारा इस तरह के दस्तावेजों की मांग की जा रही है, जिससे पॉलिसीधारक परेशान होकर खुद ही पीछे हटने को मजबूर हो जाए।
एक हजार करोड़ का लगा घाटा
खास बात यह है कि बीमा करने वाली आठ कंपनियों को अब तक एक हजार करोड़ रुपए का फटका लग चुका है। यह वे कंपनियां है जिनके द्वारा कोरोना के नाम पर पॉलिसी दी गई थीं। इन कंपनियों को पॉलिसी देने के एवज में करीब 350 करोड़ रुपए का प्रीमियम मिला था, लेकिन अब तक उन्हें करीब 1400 करोड़ के क्लेम का भुगतान करना पड़ा है। इसकी वजह से कंपनियों द्वारा कोरोना रक्षक पॉलिसी को तो बंद ही कर दिया गया है, जबकि कोरोना कवच पॉलिसी देने में काफी एहतियात बरती जा रही है।
बने कई कोविड केयर सेंटर
मप्र ऐसा राज्य हैं जहां पर तेजी से कोविड केयर सेंटरों की स्थापना की गई। कई सेंटर तो इतने बड़े बनाए गए , जिनमें एक साथ एक -एक हजार मरीजों को रखे जाने की व्यवस्था की गई थी। इस तरह के सेंटरों की स्थापना सरकार के अलावा भाजपा संगठन द्वारा भी भोपाल और इंदौर में स्थापित किए गए हैं। इनमें मरीजों के लिए खानपान से लेकर दवाओं तक की व्यवस्था की गई है। खास बात यह है कि व्यक्तिगत शिवराज सिंह के प्रयासों से केन्द्र की कंपनियों के सहयोग से प्रदेश के पांच जिलों में 350 बिस्तर वाले केयर सेंटर भी खोले गए हैं। इनमें ऑक्सीजन से लेकर वेंटीलेटर्स तक की व्यवस्था है।
प्रदेश में हर दिन हो रहे औसतन 65 हजार टेस्ट
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ने पर टेस्ट भी बढ़ाए गए हैं , जिसकी वजह से हर दिन औसतन करीब 65 हजार लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश में केन्द्र के सहयोग से 96 आक्सीजन के नए प्लांट भी स्थापित किए जा रहे हैं। इस बीच सरकार द्वारा दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए कई तरह के कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर रासुका की कार्रवाई निरंतर की जा रही है।
14/05/2021
0
222
Less than a minute
You can share this post!