अन्नदाता की सहूलियतों का ध्यान रख रही शिव सरकार

शिव सरकार

-किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन ऋण अदायगी की समयसीमा में बढ़ोत्तरी की गई है

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही कोरोना संकट का दौर चल रहा है। संक्रमण के प्रभाव से लगातार मौतें हो रही हैं। राज्य के बड़े महकमे कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कर्फ्यू के दौरान प्रदेश भर में व्यावसायिक गतिविधियां ठप सी पड़ गई हैं। वहीं सरकार ने प्रदेश के अन्नदाताओं को सहूलियतें जारी रखने के संकेत दिए हैं।
सूत्रों की मानें तो किसानों को कर्ज की अदायगी की सीमा और आगे बढ़ाई जा सकती है। खरीफ सीजन 2020 में अल्पकालीन ऋण लेने वाले किसानों के लिए इससे बड़ी राहत मिल जाएगी। यही नहीं सरकार के संकेतों में साफ है कि अगले महीने जून में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। फिलहाल सरकार ने अन्नदाताओं के लिए अल्पकालीन ऋण की देयतिथि जो पहले 30 अप्रैल नियत थी को बढ़ाकर 31 मई कर दी है।
उपार्जन का सिलसिला है जारी
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने जो संकेत दिए हैं उसके मुताबिक सरकार किसानों को ऋण अदायगी की समय सीमा को एक माह और आगे बढ़ा सकती है। जिससे कि कोरोना के इस संकट काल मे किसानों को कुछ हद तक राहत मिल सके। बहरहाल प्रदेश में फसलों के उपार्जन का सिलसिला जारी है। प्रदेश में इस समय गेहूं उपार्जन का काम चल रहा है। इसमें किसानों की व्यस्तता है। लक्ष्य की बात की जाए तो प्रदेश में किसानों से लक्ष्य से आधे भी गेहूं की खरीदी नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि जब तक गेहूं का उपार्जन नहीं हो जाता तब तक किसानों को गेहूं का भुगतान ही नहीं मिलेगा। जब किसानों के पास पैसे ही नहीं होंगे तो वे अपने कर्ज की अदायगी कैसे कर पाएंगे। लिहाजा इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को अल्पकालीन ऋण अदायगी के समय में बढ़ोत्तरी करने की सहमति दे दी है। वहीं सीएम की सहमति के बाद सहकारिता विभाग ने आदेश जारी कर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों द्वारा खरीफ फसल 2020 में वितरित अल्पकालीन  ऋण की देय तिथि को बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया है।
अब तक हुई एक तिहाई गेहूं की खरीदी
चूंकि राज्य सरकार को पहले ही बंपर गेहूं उत्पादन के कारण रिकॉर्ड उपार्जन का अनुमान था इसलिए इस बार खरीदी केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है। प्रदेश में उपार्जन के लिए 4,588 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। पहली बार इतनी अधिक संख्या में खरीदी केंद्र बनाए गए। वहीं प्रदेश में 24 लाख 65 हजार से अधिक किसानों ने गेहूं बेचने के लिए पंजीयन कराया है जिसमें से अब तक सात लाख बत्तीस हजार किसानों से गेहूं की खरीदी की जा चुकी है। अब तक किसानों ने जो गेहूं मंडियों में भेजा है उसका मूल्य लगभग दस हजार छह सौ करोड़ रुपए है। किसानों से अब तक 53 लाख 69 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न की खरीदी हो चुकी है। यह कुल खरीदी का लगभग एक तिहाई है। इसके लिए अब तक किसानों को 6600 करोड़ से अधिक रूपए का भुगतान किया गया है। यानी किसान भले ही मंडियों में गेहूं बेच चुके हैं, लेकिन उन्हें लगभग चार हजार करोड रुपए का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है।
कोरोना की वजह से आगे बढ़ी तिथि
गौरतलब है कि पहले रबी सीजन 2020 में अल्पकालीन फसल ऋण की अदायगी के लिए 28 मार्च की तारीख नियत की गई थी। यानी किसानों द्वारा फसलों के लिए पिछले सीजन में लिए गए अल्पकालीन ऋण की अदायगी इस तिथि तक करना था लेकिन तब तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया था। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश में स्थानीय स्तर पर दो दिन का लॉकडाउन का सिलसिला भी शुरू हो गया था। ऐसे में किसानों की परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने किसानों को राहत देते हुए खरीफ सीजन 2020 के अल्पकालीन फसल ऋण की देयतिथि को 28 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया था। बाद में सहकारिता मंत्री ने उक्त देयतिथि को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया। इस पर इस देयतिथि को एकबार फिर आगे बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया है।

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