- अब मध्यान्ह भोजन के साथ पौष्टिकता वाला दिया जाएगा भोजन
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के भविष्य को तंदरूस्त बनाने के लिए सरकार ने बड़े स्तर पर प्लानिंग की है। इसके लिए सरकार 65 लाख स्कूली बच्चों की सेहत सुधारने के लिए 70 हजार मीट्रिक टन मूंग बांटेगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मंूग पौषटिकता भरा होता है। इसको खाने से बच्चों की सेहत के साथ ही बौद्धिक विकास होगा। सरकार के पास दो-तीन साल से लाखों मीट्रिक टन मूंग गोदामों में रखी है। इस वर्ष फिर से 12 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीदी का अनुमान है। बच्चों को मध्याह्न भोजन पहले की तरह मिलता रहेगा। इसमें कोई कटौती नहीं होगी। सरकार की नीति के अनुसार शासकीय उचित मूल्य की दुकान के जरिए शासकीय स्कूलों से मूंग का वितरण किया जाएगा। मूंग वितरण की जिम्मेदारी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम को सौंपी गई है। प्राथमिक कक्षा के बच्चों को इस सत्र में 10 किलो तथा माध्यमिक कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को 15 किलो मूंग दी जाएगी। मूंग का वितरण पीएम पोषण की तरह किया जा रहा है। इसमें उन्हीं बच्चों को शामिल किया जाएगा, जिनका रजिस्ट्रेशन स्कूलों में हुआ है।
करीब 600 करोड़ खर्च होने का अनुमान
सरकार की इस योजना का लाभ सिर्फ सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को ही मिल पाएगा। मूंग की खेप चार हजार से अधिक शासकीय उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचा दी गई है। बताया है कि 65 लाख बच्चों को 70 हजार मीट्रिक टन मूंग बांटी जाएगी। इसमें करीब 600 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। वैसे प्रदेश में शासकीय और निजी प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों में 1.17 करोड़ से ज्यादा बच्चे दर्ज हैं। कोरोना काल में स्कूल बंद थे। तब बच्चों को मध्याहन भोजन (पीएम पोषण) नहीं मिल पा रहा था। सरकार अब भरपाई मूंग वितरण से कर रही है। इसकी घोषणा सीएम शिवराज सिंह 25 अप्रैल को कर सकते हैं। जिला और ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम होंगे। यहां बता दें कि मिड डे मील के एवज में बच्चों को खाद्यान्न दिया गया था।
अगले माह से होगा वितरण
जानकारी के अनुसार बच्चों को मूंग का वितरण मई में किया जाएगा। इसे एक माह के अंदर वितरित करने अफसरों को कहा गया है, क्योंकि बारिश के दौरान अगर मूंग में पानी पड़ा तो वह अंकुरित हो जाएगी। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा। इसके अलावा अगर बच्चों के घर ले जाते समय बारिश में मूंग भीगी तो भी उन्हें इसे सुखाने में परेशानी होगी। इसके चलते इसे एक माह में अभियान के रूप में बांटने के लिए प्लान तैयार करने के लिए संबंधित अधिकारियों को कहा गया है।