शिव सरकार लाड़लियों को फिर देगी सौगात

शिव सरकार

भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। शिव सरकार की देश भर में बेहद लोकप्रिय हो चुकी लाडली लक्ष्मी योजना के तहत अब प्रदेश में बच्चियों को और अधिक आर्थिक मदद देने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत अब तक दी जाने वाली राशि में 25 हजार की बढ़़ोत्तरी करने का प्रस्ताव है। फिलहाल इसको लेकर प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजा जा चुका है। अब योजना में दी जाने वाली राशि वृद्वि की घोषणा करने के लिए वित्त विभाग की स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। इसका फायदा प्रदेश में पैदा होने वाली लाखों बच्चियों को होगा। दरअसल प्रदेश में इस योजना का आगाज एक अप्रैल 2007 को किया गया था।  इस लाड़ली लक्ष्मी योजना का फायदा मध्यप्रदेश के मूल निवासी ऐसे परिवारों की बच्चियों को मिलता है, जो आयकर दाता नहीं है। योजना में उन परिवारों को ही लाभ दिया जाता है, जिनकी एक ही बालिका है या दूसरी बालिका के मामले में माता-पिता ने आवेदन करने से पहले परिवार नियोजन अपना लिया हो। इस योजना में पंजीयन के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से परियोजना कार्यालय, लोक सेवा केन्द्र में या इंटरनेट कैफे से आवेदन किया जाता है। पंजीयन होने के बाद बालिका के नाम से एक लाख 18 हजार रुपए देने के प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। पंजीकरण के समय से लगातार पांच वर्षों तक छह-छह हजार रुपए मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी योजना निधि में सरकार की ओर से जमा कराए जाते हैं। इस तरह से सरकार कुल तीस हजार रुपए बालिका के नाम से जमा करती है। इसके बाद जब संबधित बालिका कक्षा छह में प्रवेश लेती है तो उसे दो हजार रुपए, नौवी में प्रवेश लेने पर चार हजार रुपए, 11 वीं में प्रवेश लेने पर छह हजार रुपए तथा कक्षा बारहवीं में प्रवेश लेने पर छह हजार रुपए  ई पेमेंट के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं। इसके बाद  जब  बालिका 21 वर्ष की हो जाती है अथवा बारहवीं कक्षा में प्रवेश लेती है तब उसे एकमुश्त एक लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। इसमें यह शर्त भी शामिल है कि बालिका का विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में नहीं हुआ हो।
इसी सत्र में पेश किया जाएगा विधेयक
राज्य सरकार द्वारा लाडली लक्ष्मी योजना के तहत मिलने वाली राशि में वृद्धि करने की तैयारी कर ली गई है। कल बीस दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में इस  मध्यप्रदेश लाडली लक्ष्मी योजना(बालिका प्रोत्साहन) संशोधन विधेयक 2021 को पेश किया जा सकता है। फिलहाल 25 हजार रुपए प्रति बालिका के मान से योजना पर बढ़ रहे खर्च को लेकर अभी बना हुआ है। वित्त विभाग ने अभी तक इसके लिए सहमति नहीं दी है। विधानसभा सत्र के पहले यदि इस खर्च के इंतजाम को लेकर उच्च स्तर पर सहमति बन जाती है तो महिला एवं बाल विकास विभाग इसी सत्र में यह संशोधन विधेयक ला सकता है और मुख्यमंत्री इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते है।

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