शिव सरकार को इस साल भी 31 हजार करोड़ का लग सकता है बड़ा घाटा

शिव सरकार

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश सरकार को लगातार बीते दो सालों से घाटा लग रहा है। इस बार भी इन दोनों सालों की ही तरह प्रदेश सरकार को एक बार फिर घाटा लगने की संभावना बनी हुई है।  इस बार का घाटा बड़ा होने की संभावना जताई जा रही है। आर्थिक सर्वे रिपोर्ट का इस घाटे को लेकर अनुमान है कि यह घाटा लगभग 31 हजार करोड़ रुपए तक का हो सकता है। इस घाटे की वजह से सीधे तौर पर जनता प्रभावित होगी।
इसके अलाव सरकार द्वारा चलाई जा रहीं योजनाओं का भी प्रभावित होना तय है। हालत यह है कि इसका असर अभी से दिखना भी शुरू हो गया है। दरअसल इस घाटे की बड़ी वजह है इस साल कोरोना की महामारी। इस महामारी की वजह से सरकार की आय बुरी तरह से प्रभावित हुई है। अगर रिपोर्ट की मानें तो साल 2020-21 में राजस्व से 136596.36 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया है। यह राशि पिछले साल की तुलना में अधिक है। साल 2019-20 में राज्य का प्राथमिक घाटा 18942.30 करोड़ रुपए था। जिसके इस साला 30899.42 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इस मामले में  अधिकारियों का कहना है कि राज्य के खनन राजस्व में 15.35 प्रतिशत की कमी रही है।
31 मार्च 2020 के अनुसार राज्य की कुल आय 159008.74 रुपए रही थी। इधर, केंद्र परफॉर्मेंस के आधार पर राज्यों को राशि स्वीकृत करती है। इस हिसाब से मप्र ने केंद्र से 1600 करोड़ रुपए मांगे थे, लेकिन इसमें से 660 करोड़ रुपए देना ही स्वीकार किया गया है। यह बात अलग है कि विभिन्न योजनाओं के लिए बीते तीन सालों में केन्द्र द्वारा प्रदेश को अब तक 2600 करोड़ रुपए से अधिक मिल चुके हैं। जो अनुमान लगाया गया है उसके मुताबिक अनाज की बिक्री से राज्य के खजाने में 1100 करोड़ रुपए आ सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इस वित्त वर्ष की समाप्ती तक प्रदेश सरकार को होने वाला घाटा करों से मिलने वाली राशि से पूरा किया जा सकता है। उधर, राज्य में 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर राज्य आपदा मोचन निधि एवं क्षमता अनुदान साल 2019-20 में 1066 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।
हाल ही में प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 2427 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस राशि को पाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित कई विभागों के मंत्रियों द्वारा केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर मदद की मांग की गई है। इसमें बाढ़ प्रभावित इलाकों को विकसित करने के लिए 2200 करोड़ रुपए मांगे गए हैं।
कर्ज का बोझ 2 लाख से अधिक हुआ
शिवराज सरकार द्वारा इस बार प्रदेश में सरकार बनाने के बाद से लगातार कर्ज लिया जा रहा है। यही वजह है कि मप्र सरकार पर कुल कर्ज का बोझ 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। अब सरकार एक बार फिर से इस हफ्ते नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है।  
सरकार की साल दर साल उधारी
साल कर्ज (करोड़)
2018-19 20,496
2019-20 22,371
2020-21 21,258

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