- चार साल बाद भी प्रदेश में नहीं बन पाया हैप्पीनेस इंडेक्स
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश भले ही देश का ऐसा पहला राज्य हो, जिसमें आंदनम विभाग का गठन सबसे पहले किया गया हो, लेकिन यह विभाग अब तक सिर्फ नाम का ही बनकर रह गया है। इसकी वजह से शिव सरकार अब तक प्रदेश की सरकार को आनंद दिलाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। हालत यह है कि चार साल से की जा रही कवायद के बाद भी अब तक मध्यप्रदेश में हैप्पीनेस इंडेक्स तक नहीं निकाला जा सका है। इसकी वजह है अब तक इसके लिए सर्वे तक काम भी पूरा नहीं किया जा सका है। इस मामले में हालांकि सरकार द्वारा आईआईटी रूड़की के विशेषज्ञों से अनुबंध किया गया था , लेकिन इसके बाद भी यह योजना आगे ही नहीं बढ़ पायी। अब सरकार द्वारा नए सिरे से राज्य आनंद संस्थान को गतिविधियां बढ़ाने के निर्देश भले ही दिए गए हैं , लेकिन उस पर अमल होना संभव नही दिख रहा है। अब तो करोना की वजह से विभागीय अधिकारी भी आयोजनों को लेकर असमंजस में बने हुए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने 5 साल पहले देश में पहली बार नवाचार करते हुए आनंद विभाग का कॉन्सेप्ट लागू कर हैप्पीनेस इंडेक्स बनाने की कवायद शुरू की थी। इसका उद्देश्य यही था कि प्रदेश के लोगों की खुशियों का पैमाना क्या है, शुरुआती वर्ष में कुछ जिलों में प्रारंभिक तौर पर सेम्पल सर्वे का काम भी किया गया लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद बीते आम चुनाव के बाद सत्ता बदली तो तत्कालीन कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान भी विभाग सक्रियता नहीं दिखा सका। नाथ सरकार ने विभाग का नाम जरुर बदल डाला। पूर्व में आईआईटी विशेषज्ञों द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों में आनंद मापने के लिए एक दर्जन से अधिक सवालों की एक प्रश्नावली भी तैयार की थी, जिसके आधार पर काम शुरू किया गया था लेकिन बाद में उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
पड़ौसी देश भूटान इस मामले में आगे
इस मामले में इंडेक्स रिपोर्ट तैयार करने के लिए भूटान और यूएन में मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य, शारीरिक कुशलता, कामकाज, आय, अवकाश के साथ सियासी कुशलता के अलावा रहन-सहन को भी आधार बनाया जाता है। अगर दुनिया की बात की जाए तो बीते साल विश्व के 154 देशों में भारत का हैपीनेस के मामले में 139 वां स्थान था। इस सूची में पड़ौसी छोटा देश भूटान और उस जैसे कई छोटे देश हमसे आगे रहे हैं। हालांकि इस मामले में विभाग का कहना है कि बीते दो साल से कोरोना की वजह से हैप्पीनेस इंडेक्स निकालने का माहौल ही नहीं मिल पा रहा है।
अब तक तय नहीं हो पाया पैमाना
आईआईटी के विशेषज्ञ और संस्थान के अधिकारियों ने प्रदेश भर में पंचायत स्तर पर खेलकूद, गायन-वादन आदि से जुड़े कुछ कार्यक्रम भी चलाए थे । आनंदोत्सवों का भी आयोजन किया गया। इसके बाद भी आनंद मापने के पैमाने तय नहीं किए जा सके। विभाग के अफसरों ने भूटान और यूनाइटेड नेशन के हैप्पीनेस इंडेक्स मापने के तौर-तरीके भी आजमाए लेकिन भारतीय व मध्यप्रदेश के पारंपरिक परिवेश और जीवनशैली के बीच ये पूरी तरह से अनफिट रहे। उस दौरान कुछ सेम्पल सर्वे जैसे कदम जरुर उठाए गए , लेकिन इसके बाद भी इस मामले में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल सकी।
यह उठाए जाने थे कदम
-आनन्द एवं सकुशलता को मापने के पैमानों की पहचान करना तथा उन्हें परिभाषित करना।
-राज्य में आनन्द का प्रसार बढ़ाने की दिशा में विभिन्न विभागों के बीच समन्वयन के लिये दिशा-निर्देश तय करना।
-आनन्द की अवधारणा का नियोजन नीति निर्धारण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया को मुख्यधारा में लाना।
-आनन्द की अनुभूति के लिये एक्श न प्लान एवं गतिविधियों का निर्धारण।
-निरंतर अंतराल पर निर्धारित मापदंडों पर राज्य के नागरिकों की मन:स्थिति का आंकलन करना।
-आनन्द की स्थिति पर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर प्रकाशित करना।
-आनन्द के प्रसार के माध्?यमों, उनके आंकलन के मापदण्डों में सुधार के लिये लगातार अनुसंधान करना।
-आनन्द के विषय पर एक ज्ञान संसाधन केन्द्र के रूप में कार्य करना।