शिव सरकार ने वनोपज निर्यात परिवहन के लिए दी नई सुविधा

वनोपज

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र वह राज्य है , जहां से भारी मात्रा में वनोपज का दूसरे राज्यों में निर्यात किया जाता है। इसमें इमारती से लेकर जलाऊ लकड़ी भी शामिल है। इसके परिवहन के लिए वन महकमे से ट्रांजिटपास और अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना होता है। वन विभाग द्वारा अभी तक यह पास और अनापत्ति प्रमाण-पत्र मैनुअली ही जारी किए जाते थे, लेकिन कोरोना के चलते अब देरी से ही सही सरकार द्वारा इनको ऑनलाइन नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम को लागू कर दिया है। इसके लिए हाल ही में राज्य सरकार द्वारा मप्र परिवहन वनोपज नियम-2020 में संशोधन कर उसकी अधिसूचना जारी की गई है। सरकार की इस नई व्यवस्था से अब ट्रांजिट पास और एनओसी लेना आसान हो गया है। दरअसल प्रदेश के अंदर और उसके बाहर वनोपज और लकड़ी के परिवहन के लिए अनुज्ञा-पत्र और ट्रांजिट पास का होना अनिवार्य है।
माना जा रहा है कि इससे इस मामले में होने वाले भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी। दरअसल वन महकमे में ट्रांजिट पास और एनओसी के नाम पर अफसरों व कर्मचारियों द्वारा जमकर कमाई की जाती है। विभाग से बगैर लक्ष्मी दिए किसी को भी वनोपज के परिवहन करने की अनुमति मिलना असंभव होता है। अब नई व्यवस्था की वजह से विभाग में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में मदद मिल सकेगी।
तेंदूपत्ता का होता है भारी मात्रा में परिवहन
कोरोना के बीच यह समय तेंदूपत्ता तुड़ाई का है। इसी समय वनोपज का सर्वाधिक परिवहन किया जाता है। डिपो या फिर फड़ रखने के लिए बनाए गए अस्थायी शेड में तेंदूपत्ता को सुखाने के बाद बड़ी मात्रा में इसका दूसरे राज्यों में परिवहन किया जाता है। कोरोना की वजह से सरकारी कार्यालयों में भी अधिकारियों-कर्मचारियों की कम उपस्थिति है। इस कारण परमिट लेने में दिक्कत को देखते हुए इस नई व्यवस्था को लागू किया गया है।
यह देनी होगी ऑनलाइन जानकारी
 नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम के तहत ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन में वनोपज के साथ ही परिवहन स्थल से लेकर वनोपज की जानकारी देनी होगी। इसमें उसका वजन, वाहन क्रमांक सहित ड्राइवर के लाइसेंस सहित अन्य जानकारी देना होगी। यह जानकारी देने के बाद ऑनलाइन ही ट्रांजिट पास जनरेट हो जाएगा। साथ ही यदि परिवहन के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है तो भी यह आॅनलाइन ही जनरेट हो जाएगा। इस नई व्यवस्था से परिवहनकर्ता को वन विभाग के दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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