- श्रीमंत, विजयवर्गीय और तोमर ने भी दिलाए समर्थकों को टिकट
- गौरव चौहान
मध्यप्रदेश भाजपा की प्रत्याशियों की पांचवीं सूची जारी होने के साथ ही अब तक भाजपा के 228 नामों का एलान हो चुका है। इन नामों में प्रदेश के पांच बड़े नेता अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। अगर पूरी सूची देखें तो, सर्वाधिक नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद को ध्यान में रखकर ही घोषित किए गए हैं। इस मामले में दूसरे नंबर पर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा रहे हैं। कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आने वाले श्रीमंत भी यहां पर अपना जलवा दिखने में पीछे नहीं रहे हैं। उनके भी करीब दो दर्जन समर्थक टिकट पाने में सफल रहे हैं। बीते रोज भाजपा ने अपनी पांचवीं सूची जारी की है। यह सूची सामान्य कही जा सकती है। इसमें कोई अप्रत्याशित प्रत्याशी का नाम सामने नहीं आया है। यह बात अलग है कि अनुमान लगाया जा रहा था कि इस सूची भी दूसरी सूची की तरह चौंका सकती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं नजर आया है। यह बात अलग है कि इस सूची के जारी होने के पहले श्रीमंत को लेकर तरह -तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सूची जारी होने के बाद उन पर भी विराम लग गया है। इस सूची की खास बात यह रही कि श्रीमंत अपने उन समर्थकों को जरुर टिकट दिलाने में सफल रहे हैं, जिनका टिकट कटना पहले तय माना जा रहा था। अगर पांचवीं सूची को देखें तो, श्रीमंत अपनी पारिवारिक संसदीय सीट गुना-शिवपुरी के तहत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से चार सीटों पर अपने समर्थकों को फिर से टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। यह सीटें हैं, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली और कोलारस। यही नहीं उनके समर्थक ग्वालियर-चंबल के अलावा मालवा, निमाड़ के अलावा प्रदेश के दूसरे हिस्से में भी टिकट पाने में सफल रहे हैं। अगर कुल मिलाकर उनके समर्थकों के टिकटों को देखा जाए तो उनके 22 समर्थकों को टिकट मिला है। इसी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कई करीबियों को भी इस सूची में जगह मिली है। इंदौर 3 से कैलाश विजयवर्गीय का टिकट काटे जाने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाने वाले राकेश गोलू शुक्ला को टिकट दिया गया है। गोलू शुक्ला इंदौर-1 से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के चचेरे भाई बताए जा रहे हैं। इसी तरह टीकमगढ़ से फिर से प्रत्याशी बनाए गए राकेश गिरी और निवाड़ी से अनिल जैन भी सीएम के करीबी बताए जाते हैं। राजेन्द्र शुक्ला के करीबी विधायक केपी त्रिपाठी को भी सीएम शिवराज सिंह के समर्थन की वजह से टिकट मिल सका है। इसी तरह से स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, आष्टा से गोपाल सिंह, कुरवाई से हरीसिंह सप्रे और बासौदा से हरिसिंह रघुवंशी की टिकट पर भी सीएम का समर्थन बताया जा रहा है। उधर, प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के समर्थकों को भी पार्टी ने टिकट देकर मैदान में उतारा है। पार्टी ने जबलपुर उत्तर से शरद जैन का टिकट काटकर पूर्व भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पांडे को प्रत्याशी बनाया है। भोपाल के दक्षिण पश्चिम से उम्मीदवार बनाए गए भगवानदास सबनानी भी वीडी शर्मा के करीबी होने का फायदा मिला है। बिजाबर से टिकट पाने वाले राजेश शुक्ला भी शर्मा की वजह से ही टिकट पाने में सफल हुए है। इसी तरह केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के समर्थक भी पांचवीं सूची में टिकट पाने में सफल हुए हैं।
दलबदलुओं को भी मिला मौका
भाजपा की पांचवीं सूची में कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थामने वाले 2 नेताओं सहित पांच दलबदलुओं को टिकट दिया गया है। इनमें दो निर्दलीय और एक सपा से आए विधायक को भी पार्टी ने मैदान में उतारा है। सूची में पार्टी ने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सिद्धार्थ तिवारी को रीवा के त्यौंथर से और विधायक सचिन बिड़ला को बड़वाह से टिकट दिया है। इनके अलावा पिछला चुनाव निर्दलीय जीतने वाले प्रदीप जायसवाल को वारासिवनी से बिक्रम सिंह राणा को सुसनेर से प्रत्याशी बनाया गया है। इससे पहले की सूचियों में भाजपा कांग्रेस से आए पांच नेताओं को टिकट दे चुकी है। इस तरह 10 बाहरियों पर भरोसा जताते हुए भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
चौथी सूची में भी रहा था श्रीमंत समर्थकों का जलवा
कमलनाथ सरकार में पूर्व मंत्री और वर्तमान में सिंधिया समर्थक मंत्रियों पर भाजपा की चौथी सूची में भी भरोसा जताया गया था। इस सूची में श्रीमंत समर्थक गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी के अलावा बिसाहुलाल सिंह, हरदीप सिंह, मनोज चौधरी को टिकट दिया गया था। इस सूची में खासतौर पर उन लोगों को तवज्जो दी गई थी, जिन्होंने सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई है। यही वजह है कि चौथी सूची को कहा गया था कि यह वो लिस्ट है, जिन्होंने बीजेपी के साथ वफादारी की, और कांग्रेस के साथ गद्दारी। इस सूची में वो नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद इन सभी ने उपचुनाव लड़ा और जीता भी। इनकी साख पार्टी से अलग है, जनता इनके चेहरे पर वोट देती आई है।