भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अफसर अपनी असफलता को लेकर कभी खुद कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं बल्कि उसको दूसरों पर ढोल कर खुद पूरी तरह से बच निकलते हैं। इसी तरह का मामला प्रदेश में बच्चों के कुपोषण का भी है। इस मामले में महिला बाल विकास विभाग के अपर प्रमुख सचिव अशोक शाह ने विभाग और सरकारी कार्यशैली की नाकामी की जगह इसके लिए महिलाओं को ही दोषी करार दे दिया। उनके इस बयान के बाद से वे अब विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष की महिला नेत्रियों के निशाने पर पूरी तरह से आ गए हैं। खास बात यह है कि इनमें से दो महिला नेत्रियां तो शाह के विभाग की मंत्री भी रह चुकी हैं। खास बात यह है कि शाह द्वारा इस मामले में समाज के जिन वर्गों की और इशारा करना माना जा रहा है, यह नेत्रियों भी उन्ही वर्गो का ही प्रतिनिधित्व करती हैं। इस मामले में तमाम लोगों के निशाने पर आ चुके शाह पर अपने विवादास्पद बयान के बाद भी सरकार द्वारा पूरी तरह से चुप्पी साध ली गई है, जिससे सरकार की भी छीछालेदर हो रही है। एसीएस के बयान पर विपक्षी दल कांग्रेस ही नहीं भाजपा भी पूरी तरह से हमलावर है। सवाल यह है कि शाह के बयानों को लेकर दूसरी बार सरकार की छीछालेदर हो रही है। इसके पूर्व सीएजी की रिपोर्ट पर उनके विभाग द्वारा समय पर जवाब न देने के कारण सरकार के सामने बेहद असहज स्थिति पैदा हो गई थी। इसके बाद भी सरकार ने इस मामले में अब तक जवाब तलब करना तक मुनासिब नहीं समझा है। दरअसल लाड़ली लक्ष्मी -2 योजना की शुरूआत के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में विभाग के शाह ने बगैर किसी आधार, बगैर तर्क और मयार्दा का ध्यान रखे बगैर बोल दिया था कि हमारी बालिकाएं पीछे क्यों रह जाती हैं, इसका कारण बालिकाओं को मां का दूध नहीं पिलाना है। उनके दिव्य ज्ञान के मुताबिक 2005 में प्रदेश में 15 प्रतिशत माताएं ही बेटियों को अपना दूध पिलाती थीं, आज 42 फीसदी माताएं अपनी बेटियों को दूध पिलाती हैं।
दो पूर्व मंत्रियों ने माना सरकार की छवि खराब की
एसीएस अशोक शाह के बयान की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बाद अब इसी विभाग की पूर्व में मंत्री रह चुकीं दो भाजपा नेत्रियों कुसुम मेहदेले और रंजना बघेल ने भी खुलकर मोर्चा खोल दिया है। मेहदेले का कहना है कि शाह का बयान बेटियों के खिलाफ में है। उनके द्वारा सरकार की छवि खराब की गई है। उनका कहना है कि शाह जैसे अफसर बिना अध्ययन के कुछ भी बयान दे देते हैं। यह महिलाओं और बेटियों के लिए लज्जाजनक और अपमानजनक है। उनका कहना है कि आखिर कैसे और किस आधार पर यह बयान दिया गया है। मां हर स्थिति में अपने बच्चे को अपना दूध पिलाती है। उधर दूसरी भाजपा नेत्री कुसुम मेहदेले का कहना है कि शाह के आंकड़ों को मैं पूरी तरह गलत मानती हूं। प्रत्येक मां या महिला छोटी बच्ची को दूध पिलाती है। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी इस बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी और खुद मुख्यमंत्री से इस विषय को लेकर बात की थी। उमा भारती ने इस बयान को बेहद असंवेदनशील और अपमानजनक बताया था। वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर शाह की जमकर क्लास ली थी और उन्हें बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली थी।
शाह के विभाग पर ही है दायित्व
अशोक शाह जिस महिला बाल विकास विभाग के प्रशासनिक मुखिया हैं, उसका दायित्व, विभिन्न विभागों द्वारा महिलाओं व बच्चों के सर्वांगीण विकास से संबंधित योजनाओं में समन्वयक की भूमिका निभाना है। इसके तहत कुपोषण से बचाना, महिलाओं के पोषण की स्थिति में सुधार, महिलाओं के संवैधानिक हितों की सुरक्षा के साथ सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता, महिलाओं की स्वायत्तता सुनिश्चित करना शामिल है। यदि एसीएस को महिलाओं और बालिकाओं की इतनी चिंता है, तो उन्हें विभाग के दायित्वों को पूरा करने के लिए किए गए काम और नवाचार को सामने लाना चाहिए। साथ ही सरकार को चाहिए कि यदि आंकड़े गलत हैं तो दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।