शाह बढ़ाएंगे नाथ की उनके ही गढ़ में मुश्किलें

  • गौरव चौहान

प्रदेश में अब कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा ही बचा है, जहां पर विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा कमलनाथ की ही मर्जी से जीत-हार होती है। यही वजह है कि बीते दो लोकसभा चुनाव के दौरान जब देश के साथ ही प्रदेश में भी मोदी लहर चल रही थी तब भी नाथ की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ही जीत हुई। यह प्रदेश की एकमात्र ऐसी सीट है जहां पर बीते दो चुनावों में भी कांग्रेस को जीत मिलती रही है।
यह बात अलग है कि बीते लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा सही प्रत्याशी के साथ ही सही चुनावी रणनीति अपनाती तो शायद चुनावी परिणाम बदल सकते थे। अब इस सीट पर भाजपा हाईकमान की नजर लग गई है। यही वजह है कि अब इस सीट पर पार्टी के दिग्गज नेताओं के दौरों का दौर शुरु हो गया है। दरअसल इस सीट पर कमलनाथ अब तक अजेय बने हुए  हैं। वे जब भी चुनाव नहीं लड़े तो उनके परिजनों ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस सीट पर अभी कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ सासंद हैं। इस सीट पर भाजपा की जीत की राह खोलने के लिए ही अब भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं कमान संभाली है। इसी सिलसिले में शाह अब अगले पखवाड़े छिंदवाड़ा के दौरे पर आ रहे हैं। उनका पिछले एक माह के भीतर प्रदेश में यह दूसरा दौरा होगा। पार्टी उनके इस दौरे को विधानसभा चुनाव के लिए आदिवासी मतदाताओं पर फोकस कर रही है।
आदिवासी सीटों पर भी निगाह
दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। प्रदेश की कुल 230 में से 47 सीटें अजजा के लिए आरक्षित है। भाजपा शाह के इस प्रवास से बैतूल और हरदा के साथ-साथ महाकोशल की मंडला- डिंडोरी लोकसभा सीट सहित आदिवासियों के लिए आरक्षित 18 सीटों पर अपने पक्ष में माहौल बनाना चाहती है। दरअसल वर्ष 2018 के चुनाव में एसटी की अधिकांश सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। इतना ही नहीं, छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आठ लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर है, जिन्हें साधने का पूरा प्रयास भाजपा कर रही है। इसकी वजह है इस जिले की सभी पांचों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे। यही नहीं बीते साल हुए निकाय चुनाव में भी भाजपा को इस जिले में हार का सामना करना पड़ा है। इसमें महापौर प्रत्याशी भी शामिल है।
कांग्रेस का ही कब्जा  
छिंदवाड़ा में पहला लोकसभा चुनाव साल 1951 में हुआ। तब से लेकर अब तक 1997 के उपचुनाव को छोड़कर यहां कांग्रेस का ही कब्जा है। कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद रह चुके हैं। जुन्नारदेव, सौंसर, पंधुरना, अमरवारा, छिंदवाड़ा, चुरई, पारसिया यहां की विधानसभा सीटें हैं। इन सभी 7 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। छिंदवाड़ा जिले में मुख्य रुप से भाजपा व कांग्रेस का ही संगठन सक्रिय है। किंतु अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्रीय दल के रूप में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की भी प्रभाव मौजूद है, जिसके नेता मनमोहन शाह बट्टी एक बार विधायक भी निर्वाचित हो चुके हैं। कमलनाथ साल 1980 से इस सीट से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1996 में लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ का नाम हवाला कांड में आने की वजह से पार्टी ने कमलनाथ की जगह उनकी  पत्नी अलका नाथ को उम्मीदवार बनाया था और वे जीत गईं। लेकिन पारिवारिक कारणों से अलकानाथ ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। इधर, कमलनाथ को भी हवाला कांड में क्लीन चिट मिल गई थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में कमलनाथ कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़े थे और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से हार गए थे।
डेढ़ सौ सीटों पर भाजपा का फोकस
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी इन दिनों ऐसी करीब डेढ़ सौ से अधिक सीटों पर फोकस कर रही है, जहां पर उसे बीते चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इनमें से कई सीटें तो ऐसी हैं, जहां पर उसे कई चुनावों से जीत की तलाश बनी हुई है। इनमें से 80 सीटों पर तो स्वयं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तो बाकी की सीटों पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का फोकस है। अपने दौरे में शाह महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई की जन्मस्थली तीतरा गांव भी जा सकते हैं। इस दौरान वे एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे, जो छिंदवाड़ा के पुलिस ग्राउंड में प्रस्तावित है। इसके अलावा वे अपने प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं और संगठन पदाधिकारियों की विशेष फीडबैक बैठक भी लेंगे।
बीते माह कर चुके है सतना का दौरा  
हाल ही में बीते माह की 22 तारीख को शाह सतना का दौरा कर चुके हैं, तब उनके द्वारा शबरी सम्मेलन में भाग लिया गया था। सीएम हाउस में हुई बैठक मुख्यमंत्री निवास पर मंगलवार को -प्रदेश पदाधिकारियों के साथ छिंदवाड़ा जिला और जबलपुर संभाग के संगठन प्रभारियों की बैठक हुई, जिसमें प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छिंदवाड़ा को लेकर चुनावी रणनीति पर मंथन किया। जानकारों की मानें तो भाजपा छिंदवाड़ा के ऐसे कांग्रेसियों पर नजर बनाए हुए है, जो जनाधार वाले है और इस समय कांग्रेस नेतृत्व से संतुष्ट नहीं है। बैठक में अमित शाह के छिंदवाड़ा दौरे की तैयारियों पर भी चर्चा की गई है। इस लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल सात सीटें आती हैं, जिनमें से तीन आदिवासी बहुल हैं।

Related Articles