- जद में आएंगे कई नौकरशाह और उनकी पत्नियां
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। शिक्षा और रियल एस्टेट कारोबारी संजीव अग्रवाल के सेज गु्रप पर चल रही आयकर विभाग की छापे की कार्रवाई में कई सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। प्रांरभिक रुप से 5 अरब रुपए से अधिक की कर चोरी सामने आ चुकी है। यह आंकड़ा अभी और बढ़ना तय माना जा रहा है। इसके पहले भी अग्रवाल के ठिकानों पर आयकर का छापा पड़ चुका है। इस दौरान जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक इस मामले में अब कई नौकरशाह और उनकी पत्नियां भी जद में आ सकती हैं। दरअसल इस ग्रुप के कर्ताधर्ता महज ढाई दशक में ही साधारण व्यवसायी से खरबपति बन चुके हैं। हद तो यह हो गई जब देशभर के तमाम कंपनियां और बड़े व्यवसायिक लोग आर्थिक संकट से परेशान थे, तब इस ग्रुप की दिन दूनी रात चौगुनी की रफ्तार से वृद्धि हो रही थी। इसकी वजह बेनामी निवेश को ही माना जा रहा है। बीते रोज से शुरू हुई छापे की कार्रवाई आज भी जारी है। बीते रोज आयकर विभाग ने एक साथ भोपाल, होशंगाबाद, इंदौर में 26 ठिकानों पर कार्रवाई शुरू की थी। छापे के पहले ही दिन उनके पास से डेढ़ सौ करोड़ रुपए नकद मिल चुके हैं और दर्जनों बैंक लॉकरों का भी पता चल चुका है। ग्रुप के लेनदेन का पता लगाने के लिए आईटी की टीमों ने लैपटॉप, पेन ड्राइव, कंप्यूटर भी जप्त कर लिए हैं। अब इनमें दर्ज जानकारियों को खंगाला जा रहा है। इस मामले में अब ग्रुप के संचालकों के रिश्तेदारों, कर्मचारियों और एसोसिएट्स पर भी विभाग की नजर बनी हुई है। माना जा रहा है कि उनसे निवेश और ट्रांजेक्शन को लेकर पूछताछ हो सकती है। इनके ठिकानों से बड़ी संख्या में प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं। इनकी खरीद-फरोख्त के लिए हुए ट्रांजेक्शन और बेनामी के एंगल को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है। इसके अलावा बैंकों में मिले लॉकरों को भी अब विभाग द्वारा खोलना शुरू कर दिया गया है। इनमें से भी कुछ दस्तावेज व जेवरात मिलने की संभावना है। बताया जा रहा है कि हाल ही में आईटी विभाग को एक मीडिया ग्रुप पर छापे के समय सेज ग्रुप से जुड़ी जानकारी हाथ लगी थी। इसी आधार पर जब विभाग द्वारा जानकारियां जुटाना शुरू किया गया तो पता चला कि इस ग्रुप द्वारा कई कंपनियां बनाकर अपना कारोबार किया जा रहा है और इसमें आयकर की बड़े पैमाने पर चोरी की जा रही है।
एक दशक पहले किए थे 30 करोड़ सरेंडर
एक दशक पहले अक्टूबर, 2011 को भी आयकर विभाग ने एस्टेट और शिक्षा कारोबार से जुड़े सागर ग्रुप पर छापा मारा था। उस समय संजीव अग्रवाल और उनके भाई इस ग्रुप के संचालक थे। बाद में वे अलग हो गए। संजीव ने सेज ग्रुप बना लिया। उस समय छापे के दौरान 30 करोड़ रुपये की काली कमाई सरेंडर की गई थी। तब भी कई पूर्व और सेवारत नौकरशाहों का पैसे के इंवेस्ट होने की बात सामने आई थी। उस समय मिली एक डायरी में उनके नाम और राशि लिखी हुई थी। उस समय जांच में पता चला था कि ग्रुप ने भोपाल, होशंगाबाद, रायसेन और हरदा में बेहिसाब जमीनें खरीदी और कई ट्रस्टों के नाम से निवेश कर आयकर में छूट ली थी।
अफसरों और राजनेताओं से हैं मधुर संबंध
कम समय में अपने कारोबार की बुलंदियों को छू रहे सेज ग्रुप के मालिक संजीव अग्रवाल की प्रशासनिक और राजनीतिक पहुंच बेहद खास है। इसकी वजह से उनकी गिनती रसूखदारों में होती है। कहा तो यह भी जाता है कि उनके कई आला ब्यूरोक्रेट से बेहद करीबी संबंध हैं, जिसकी वजह से उनके द्वारा भी इस ग्रुप में बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है। इस छापे की खबर लगने के बाद से उनके करीबी कई आला अफसरों की हवाईयां उड़ती दिखीं। वे अपने करीबियों से छापे की जानकारी जुटाने के प्रयासों में भी लगे हुए देखे गए। माना जा रहा है कि इस छापे की छानबीन में इन सफेदपोशों और उनकी पत्नियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस ग्रुप के संचालकों के एक पूर्व मुख्यमंत्री से भी बेहद करीबियां हैं।
अस्पतालों में दो अरब रुपए के निवेश की थी योजना
ग्रुप अग्रवाल कंस्ट्रक्शन के नाम से रियल एस्टेट और सेज यूनिवर्सिटी एजुकेशन सेक्टर में सक्रिय है। इस ग्रुप द्वारा दो अस्पताल के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा था। इसमें से एक होशंगाबाद रोड पर बनाने की बात सामने आ रही है। आयकर विभाग इस प्रोजेक्ट को भी जांच की जद में ले सकता है। इस ग्रुप का अयोध्या बायपास पर इंजीनियरिंग कॉलेज है। यूनिवर्सिटी से जुड़े कई कॉलेज हैं। इसके अलावा दो स्कूल भी हैं।
09/12/2021
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