-पानी नहीं मिलने से पलायन को मजबूर ग्रामीण
-बाल्टी भर पानी के लिए कई किमी का करते हैं सफर
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इस समय गर्मी भीषण कहर बरपा रही है। तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कई शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र है जहां पर पानी की किल्लत से लोग जूझ रहे हैं। पानी सबसे बड़ी समस्या बनकर लोगों के सामने आ गई है। आलम यह है कि कई गांवों में प्यास बुझाने के लिए भी पानी नहीं है। बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीण कई-कई किमी तक का सफर कर रहे हैं। वहीं कई क्षेत्रों में लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
दरअसल, गर्मी शुरू होते ही प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में पानी का स्तर नीचे गिर रहा है। इस कारण नदी, तालाब तो सूख रहे हैं, वहीं कुआं, हैंडपंप और नलजल योजनाओं का जल स्तर कम हो गए हैं। इस कारण लोगों को परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। खासकर पठार पर बसे ग्रामीणों को पानी के लिए दूर खेतों तक जाना पड़ रहा है। अधिकांश जगह नलकूप दम तोड़ रहे हैं तो कुओं में भी तलहटी में मामूली बना ही बचरहा है। कहीं ग्रामीणों को दो किमी दूर से पानी भरकर लाना पड़ रहा है तो कहीं जिला मुख्यालय तक में एक दिन छोडकर पानी आपूर्ति हो पा रही है। वहीं पीएचई के प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया का कहना है कि मैदानी अधिकारियों को पेयजल से जुड़ी शिकायतों को गंभीरता से लेने को कहा गया है। जहां हैंडपंप, नलजल योजनाएं सुधार योग्य हैं, उन्हें सुधरवाया जा रहा है। मैं खुद लगातार दौरे कर रहा हूं।
कई जिलों में बिगड़े हालात
प्रदेश में राजधानी के आसपास के जिलों में भी जलसंकट गहरा रहा है। बैतूल जिले के काबरामाल गांव के ग्रामीण करीब एक किमी दूर खेतों से पानी ला रहे हैं। गांव में नलकूप है, लेकिन जलस्तर कम हो गया है। सिलपटी में नलों से बेहद कम दबाव से पानी आता है। अब लोगों को बैलगाड़ी से पानी लाना पड़ रहा है। यहां नलकूप खनन पर रोक लगा दी गई है। सीहोर जिले की ग्राम पंचायत सेवनिया परिहार, कोलार बांध से तीन किमी दूर है, लेकिन गांव में जलसंकट है। यहां 350 परिवार रहते हैं, इनके लिए छह हैंडपंप लगे हैं, लेकिन एक ही चल रहा है। लोग कुआं एवं ट्यूबवेल से पानी ला रहे हैं। दौलतपुर में 1800 परिवारों के बीच आठ हैंडपंप हैं, जो मार्च में ही बंद हो गए। अशोकनगर जिले में एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई किया जा रहा है। आधा दर्जन इलाकों में तो नल से सप्लाई के लिए लाइन ही नहीं है। लोग सुबह से हैंडपंप पर कतार में लगकर पानी भरते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की हालत और बुरी है जहां कुएं और नलकूपों में पानी सूखता जा रहा है। विदिशा जिले के सौ से अधिक गांवों में जलसंकट है। 60 से ज्यादा नल-जल योजनाएं बंद हैं। लोग दूरदराज कुओं और हैंडपंपों से पानी ला रहे हैं। जहां योजनाएं चालू हैं वहां बिजली कटौती से घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
बासौदा, सिरोंज, लटेरी, ग्यारसपुर क्षेत्र में कई गांव जल संकट से गुजर रहे हैं। कई गांवों में तो हैंडपंप भी सूख गए हैं। राजगढ़ जिले की सारंगपुर तहसील के गांव लीमाचौहान के दोनों हैंडपंप सूख चुके हैं। ग्रामीण करीब दो किमी दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। सुठालिया क्षेत्र के गांव कोदियापुरा, नारायणपुरा, नेवज, नेवली, तलाबपुरा, अमरगढ़ आदि में पेयजल के लिए कोई ठोस जलस्रोत नहीं है। निजी कुओं पर ही यहां के लोग निर्भर हैं। नर्मदापुरम जिले के डोलरिया, बनखेड़ी, सिवनी मालवा के कुछ क्षेत्रों में जलसंकट है। सेमरी हरचंद व इटारसी में नल-जल योजना के तहत पाइप लाइन तो डाली गई है, पर इन्हें चालू नहीं किया। इटारसी के ग्राम पंचायत बीसारोड़ा, पथरोटा, घाटली एवं केसला विकासखंड में जलसंकट है। रायसेन जिले की तहसील बेगमगंज के दर्जनों ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है। पेयजल के लिए ग्रामीण एक से तीन किलोमीटर तकया फिर खेतों में लगे नलकूपों व कुओं से पानी लाने के लिए मजबूर हैं।
सीएम की समीक्षा के बाद विभाग सक्रिय
विगत दिनों मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संकट को लेकर पीएचई विभाग की समीक्षा की और अफसरों को निर्देशित किया की कहीं भी पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। उसके बाद अधिकारी व्यवस्था में सक्रिय हुए हैं। बैठक में अफसरों ने बताया कि अब जलस्तर कम होने पर हैंडपंप में मोटर पंप डालकर जलापूर्ति की जाएगी। हैंडपंप सुधारने के लिए विकासखंड स्तर पर मोबाइल टीम गठित कर दी हैं। अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में 95.80 प्रतिशत हैंडपंप चालू हैं। दो हजार से अधिक सिंगल फेस मोटर पंप उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि हैंडपंप सुधारने के लिए आउटसोर्स पर अमला रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि सभी जिलों में हैंडपंप सुधारने से संबंधित शिकायतों के लिए शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया जा रहा है। जिला, जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत कार्यालय में शिकायत रजिस्टर रखने के निर्देश दिए हैं। गर्मी में पेयजल समस्या के निदान के लिए पांच हजार नए हैंडपंप लगाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि सीएम हेल्पलाइन में दर्ज 2.17 लाख में से एक लाख 94 हजार 768 शिकायतों का निराकरण किया है।
बिजली संकट ने बढ़ाई परेशानी
प्रदेश में जल संकट की एक बड़ी वजह बिजली कटौती भी है। आठ-आठ घंटे बिजली गुल रहने या कम वोल्टेज के कारण टंकियां नहीं भर पा रही हैं। इस कारण पानी की सप्लाई बाधित हो रही है और लोगों को कुओं की तलहटी में जाकर पानी निकालना पड़ रहा है। कई जगह पानी खरीदने की नौबत भी आ गई है। कुछ जिलों में निजी ट्यूबवेल अधिग्रहित किए जा रहे हैं। इतने पर भी प्रदेश में 23 हजार 507 हैंडपंप, 1149 नल-जल योजनाएं बंद हैं। 681 सिंगल फेस मोटर खराब हैं। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद पीएचई ने इंजीनियरों की टीम मैदान में उतार दी है। मैदानी अधिकारियों से कहा गया है कि चाहे नए ट्यूबवेल खोदने पड़ें, हैंडपंप लगाने पड़ें, निजी नलकूपों का अधिग्रहण करना पड़े या पानी का परिवहन करना पड़े, जनता परेशान नहीं होनी चाहिए। अधिकारी दौरा करें और हर शिकायत की सुनें एवं निराकरण करें।
27/04/2022
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