मंडीदीप के सामान का सात दर्जन देश कर रहे उपयोग

मंडीदीप के सामान

सरकारी खजाने में भी मिल रहा दस हजार करोड़ का योगदान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल की सीमा के करीब स्थापित रायसेन जिले का मंडीदीप भले ही आबादी की वजह से अब भी नगर पालिका का ही रुप ले सका है, लेकिन अगर औद्योगिक रुप से देखें तो वह अब प्रदेश का सबसे बड़ा दूसरा शहर बन चुका है। अहम बात यह है कि विदेशों में भी लोग प्रदेश के किसी शहर को जानते या न जानते हों , लेकिन मंडीदीप का नाम जरुर जानते हैं। इसकी वजह है, मंडीदीप में बनने वाली वस्तुओं का वहां के लोगों द्वारा किया जाने वाला उपयोग है। अभी यहां के उत्पाद 80 से अधिक देशों में निर्यात हो रहे हैं। यह वो शहर है , जहां से ही अकेले सरकारी खजाने को हर साल करीब दस हजार करोड़ से अधिक का टैक्स मिलता है। इतना ही नहीं मंडीदीप के उद्यमियों का विदेशों में सम्मान भी किया जा रहा है। मंडीदीप से खाने-पीने के साथ दवाई, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स सामाना के अलावा वाहनों का भी निर्माण किया जाता है। मध्यप्रदेश से इस वित्तीय वर्ष में 65 हजार 255 करोड़ के उत्पाद निर्यात किए। इस मामले में इंदौर प्रथम, जबकी दूसरे पायदान पर रायसेन का मंडीदीप रहा। इसकी वजह है, बीते तीन साल से निर्यात के मामले में यहां के उद्योग बड़ी उछाल दर्ज कर रहे है। रायसेन जिले को सांख्यिकीय महानिदेशालय कोलकाता एवं विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा प्रकाशित आंकड़े बता रहे हैं कि निर्यात के मामले में मंडीदीप प्रदेश में दूसरे पायदान पर है। चार दशक में यहां 750 इकाइयां स्थापित हो गईं, जिनमें 57 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। इतना ही नहीं कंटेनर डिपो खुलने के बाद निर्यात में और तेजी आई है। बताया जाता है कि मंडीदीप इंडस्ट्रीज द्वारा ही सालाना लगभग 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के उत्पादों का निर्माण किया जाता है, जिसमें लगभग बीस हजार करोड़ रुपये से अधिक का उत्पाद निर्यात किया जाता है।
तीन हजार हेक्टेयर में है क्षेत्र
यहां पर औद्योगिक क्षेत्र करीब तीन हजार हेक्टेयर में फैला है। यहां लगभग 751 उद्योग स्थापित हैं। हालांकि, इनमें करीब 450 इकाइयां ही चालू हालत में हैं, जिसमें प्रत्क्षय रूप से लगभग 57 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। जबकि ठेका और दिहाड़ी मजदूरों को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 80 हजार के पार पहुंच जाता है। यहां भूमि, भवन एवं मशीनरी को मिलाकर लगभग 70 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। यहां पर हिंदुस्तान इलेक्ट्रो ग्रेफाइट, प्रॉक्टर एंड गैंबल, आयशर ट्रैक्टर लिमिटेड,ल्यूपिन लेबोरेटरीज, और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों की विनिर्माण इकाइयां हैं।

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