- अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्तियों में पारदर्शिता की कवायद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा में जब भी कोई भर्ती निकलती है, उसको लेकर विवाद की स्थिति बना दी जाती है। नियुक्तियों को लेकर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं। इसको देखते हुए अब विधानसभा में होने वाली नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए सेवा भर्ती नियम में बदलाव की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में मप्र विधानसभा में रिक्त पदों को भरने के लिए चल रही प्रक्रिया को विधानसभा सचिवालय ने निरस्त कर दिया। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और महिला आरक्षण के प्रविधान का ध्यान नहीं रखा गया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के कार्यकाल में स्टेनो टाइपिस्ट, शीघ्र-लेखक, सहायक ग्रेड-तीन, समिति सहायक और विधायक विश्रामगृह के सुपरवाइजर सहित 21 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन विधानसभा, फिर लोकसभा चुनाव के कारण भर्ती नहीं हो पाई। आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लिए पर्याप्त पद नहीं रखे गए तो महिला आरक्षण के अनुसार भी पद निर्धारित नहीं हुए। इस बीच कई अधिकारी व कर्मचारी और सेवानिवृत्त हो गए। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के निर्देश पर पुरानी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है। ऐसे विवादित मामले कई बार आ चुके हैं। इसको देखते हुए विधानसभा में सेवा भर्ती नियम बदलने की कवायद चल रही है।
अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक के कई पद खाली: जानकारी के अनुसार, विधानसभा सचिवालय में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक के कई पद खाली हैं। प्रभारी व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है। सचिव का एक पद खाली है। इसी तरह अपर सचिव का एक पद खाली है। एक पद प्रतिनियुक्ति से भरा गया है तो एक प्रभार में है। उप सचिव को लेकर भी यही स्थिति है। समिति सहायक, स्टैनो, टाइपिस्ट सहित अन्य पद रिक्त हैं। बताया जाता है कि कर्मचारी चयन मंडल या आनलाइन भर्ती के लिए एमपी आनलाइन की सेवा भी ली जा सकती है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि सेवा नियम काफी पुराने हो चुके हैं। नए पद भी स्वीकृत हुए हैं लेकिन इनका प्रविधान सेवा भर्ती नियम में नहीं है। शिकायतें भी होती हैं। इसे देखते हुए समिति बनाई है, जो सभी पहलूओं का अध्ययन करके रिपोर्ट देगी।
1981 में तैयार हुए थे सेवा नियम
जानकारी के अनुसार मप्र विधानसभा में 1981 में सेवा नियम तैयार हुए थे, उसके बाद कोई परिवर्तन नहीं हुआ। चूंकि, अगले वर्ष ई-विधान परियोजना प्रारंभ हो जाएगी और इसमें सभी काम आनलाइन होंगे इसलिए नई भर्तियां भी की जाएंगी। कुछ अन्य पद भी रिक्त हैं, जिन्हें भरने की तैयारी है। इस सबको देखते हुए भर्ती नियमों में संशोधन प्रस्तावित किया गया है। विधानसभा में होने वाली अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्तियों में पारदर्शिता के लिए 43 साल बाद सेवा भर्ती नियम बदले जाएंगे। इसके लिए विधानसभा के सचिव अरविंद शर्मा की अध्यक्षता में समिति बनाई है, जो अन्य राज्यों के सेवा भर्ती नियमों का अध्ययन करके रिपोर्ट देगी। समय के साथ-साथ विधानसभा का काम भी बढ़ा है। कई नए पद भी बनाए गए और मर्जी से भर्तियां हुईं। इसको लेकर शिकायतें भी हुईं और जांच भी चली। पिछले दरवाजे से नियुक्तियों को लेकर जस्टिस शचींद्र द्विवेदी से जांच कराई और रिपोर्ट के आधार पर कई नियुक्तियां निरस्त करनी पड़ीं और पुलिस में प्रकरण भी दर्ज हुआ।
अध्यक्ष की पहल पर बन रहे नए नियम
गौरतलब है कि पिछले साल 20-22 तृतीय श्रेणी के पदों की नियुक्तियों को लेकर भी विवाद हुआ, जिसके बाद उसे निरस्त कर दिया गया। इन सब स्थिति को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने भर्ती नियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए थे। विधानसभा विधानसभा के अपर सचिव वीरेंद्र कुमार ने गुजरात विधानसभा की प्रक्रिया का अध्ययन करके रिपोर्ट भी दी थी लेकिन अब ई-विधान परियोजना पर काम प्रारंभ हो गया है इसलिए नए सिरे से नियम तैयार किए जाएंगे। इसके लिए विधानसभा सचिव अरविंद शर्मा के संयोजन में समिति बनाई है। इसमें वीरेंद्र कुमार, वीडी सिंह और रमेश महाजन को शामिल किया है। समिति नए पदों के साथ आने वाले समय की आवश्यकता का आंकलन भी करेगी। भर्ती प्रक्रिया को लेकर भी अनुशंसा करेगी।