निगम मंडलों के कर्मचारियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार

  • विभागों में सुविधाओं के आदेश, निगम मंडलों को अब तक नहीं मिली ऑर्डर कॉपी
निगम मंडलों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है , जहां पर विभागों को तो शासन के आदेशों की प्रति भेजी जाती है, लेकिन उसके अधीन आने वाले निगम मंडलों को भुला दिया जाता है। इसकी वजह से कर्मचारियों की सुविधाओं के आदेश की प्रति नहीं आने की वजह से निगम मंडलों में ऐसे आदेश पर पालन ही नहीं हो पता है। इसका खामियाजा निगम मंडलों के कर्मचारियों को उठाना पड़ता है।
यह हाल प्रदेश के निगम मंडलों के तब हैं, जबकि इन्ही निगम मंडलों के माध्यम से अधिकांश महत्वपूर्ण कामों को किया जाता है। इतना ही नहीं अपनी ही पार्टी के लोगों को अध्यक्ष पद देकर उपकृत भी इनमें ही किया जाता है। दरअसल, इस तरह की स्थिति वर्ष 2008 से बन रही है। समय-समय पर सामान्य प्रशासन विभाग भी सभी डिपार्टमेंट को पत्र लिखता रहा है। नियम यही है कि विभाग से जो आदेश जारी होते हैं। उसकी एक पृष्ठांकित आदेश प्रति उस निगम संस्था के लिए भी भेजी जानी चाहिए, जिसके अधीन वह संचालित हो रहा है। अब हालत बन रहे हैं कि विभाग में तो कर्मचारियों को शासन की सुविधाओं का समय से लाभ मिल जाता है, लेकिन, उसी विभाग के अधीन संचालित निगम में कार्यरत कर्मचारियों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। एमपी एग्रो, महिला वित्त विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, हाउसिंग बोर्ड, हस्त शिल्प विकास, वन विकास, वेयर हाउसिंग, पर्यटन विकास सहित अनेक निगम कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 2008 से यह हालात बने हैं, जबकि कई बार जीएडी भी सभी विभागों को निर्देशित कर चुका है कि विभाग में जैसे ही आदेश जारी हो तो उसकी एक पृष्ठांकित प्रति संबंधित डिपार्टमेंट के अधीन चलने वाले निगम को भी भेजी जाए, ताकि निगम मंडलों, बोर्ड परिषदों, सहकारी संस्थाओं के लोक सेवकों को भी यह लाभ मिल सके। वर्ष 2014 में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी इस संबंध में निर्देशित कर चुके हैं। फिर भी निगम कर्मचारियों को विभागों की तरह समय से शासकीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

इस तरह के मामलों में पीछे
जब भी केंद्र अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता का लाभ देता है। इसके बाद राजकीय कर्मचारियों के लिए आदेश जारी होते हैं। इस आर्डर की प्रति निगमों में नहीं पहुंचने के कारण यहां कर्मचारी इस प्रासंगिक फायदे से वंचित रहते हैं। समयमान, क्रमोन्नति त्यौहार भत्ता जैसी सुविधाएं कर्मचारियों को समय पर मिलना दूर रहती हैं। हाल में पूर्व सरकार ने महिला बाल विकास, स्कूल शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा, मेडिकल एज्युकेशन, कृषि, स्वास्थ्य लोक निर्माण, जल संसाधन, ग्रामीण यांत्रिकी सहित अनेक विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए अवकाश, ग्रेच्युटी, अनुकंपा जैसी सुविधा संबंधी आदेश जारी किए थे। अभी तक निगम मंडलों में इसकी पृष्ठांकित प्रति नहीं पहुंची है।

इनका कहना है

वर्ष 2008 से कभी भी विभागों में होने वाले आदेशों की पृष्ठांकित प्रति निगम मंडलों में समय से नहीं पहुंच पाई है। आधा से लेकर एक वर्ष तक इंतजार करने के बाद निगमों में आदेश जारी हो रहे हैं। जिससे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
अजय श्रीवास्तव, नीलू, अध्यक्ष, मप्र निगम मंडल कर्मचारी-अधिकारी महासंघ

पूर्व मुख्यमंत्री भी निर्देश दे चुके, सामान्य प्रशासन भी समय-समय पर आदेश जारी कर चुका है। लेकिन विभागों में प्रमुख सचिवों द्वारा कभी भी निगम मंडलों में पृष्ठांकित आदेश की प्रति निगम मंडलों में नहीं भेजी जा रही है। इससे क्षति हो रही है।
बलवंत रघुवंशी , अध्यक्ष, हाउसिंग बोर्ड कर्मचारी संघ

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