- 17 सितम्बर तक स्वीकार किए जाएंगे आवेदन
- विनोद उपाध्याय
मप्र में बड़ी प्रशासनिक जमावट की तैयारी चल रही है। इसके तहत विद्युत विनियामक आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जाएगी। राज्य सरकार ने विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह पद चार महीने बाद खाली जाएगा। इससे पहले ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई। विद्युत विनियामक आयोग के दावेदारों से 17 सितंबर तक आवेदन मांगे गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नेता प्रतिपक्ष और अन्य सदस्यों की सहमति से नियुक्ति के लिए नाम तय किया जाएगा।
गौरतलब है कि गौरतलब है कि विद्युत विनियामक आयोग के वर्तमान चेयरमैन एसपीएस परिहार का कार्यकाल 2 जनवरी 2025 को पूरा हो जाएगा। इसके बाद 3 जनवरी से यह पद रिक्त हो जाएगा। राज्य सरकार ने इससे पहले ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ऊर्जा विभाग ने आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चेयरमैन के लिए ऊर्जा विभाग ने प्रशासनिक और ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाले जानकारों से आवेदन बुलाए हैं। इस पद के लिए 65 साल से कम उम्र के अखिल भारतीय सेवा के रिटायर्ड अधिकारी और एक्सपट्र्स आवेदन कर सकते हैं। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले को 2.25 लाख रुपए वेतन दिया जाता है। विद्युत विनियामक आयोग में चेयरमैन के अलावा दो सदस्य भी होते हैं।
सूचना आयुक्त के दस पद हैं खाली
प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के दस पद खाली पड़े हैं। इसके लिए आईएएस, आईपीएस, रिटायर्ड जज, सामाजिक, राजनीतिक और पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबा अनुभव रखने वालों ने आवेदन किए हैं। हाईकोर्ट ने इन पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति के आदेश दिए हैं। इसके चलते इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नियुक्ति के लिए फाइल सीएम सचिवालय को भेजी जा चुकी है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के 10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सभी पदों पर नियुक्त आयुक्त के सेवानिवृत हो जाने के बाद सरकार द्वारा नियुक्ति ही नहीं की जा रही है, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पिछले 3 सालों में 3 बार विज्ञापन जारी कर सूचना आयुक्त के पदों पर आवेदन मंगा चुका है, लेकिन उसके बाद भी नियुक्तियां नहीं की गई, जिससे राज्य सूचना आयोग अब लगभग बंद पड़ा हुआ है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 15 के प्रावधान अनुसार राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा की जाती है, जिसमे नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक अन्य कैबिनेट मंत्री भी समिति में शामिल होते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने आयुक्तों की नियुक्ति के लिए मार्च में आवेदन बुलाए थे। 10 आयुक्तों के पद के विरुद्ध करीब 160 आवेदन आए हैं। इसी तरह मुख्य सूचना आयुक्त के लिए करीब 55. आवेदन आए हैं। आवेदन बुलाए जाने के बाद सरकार ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया तो आखिर जिम्मदारों को सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की याद आ गई। अब 11 माह बाद 10 सितंबर को बैठक बुलाई गई है। माना जा रहा है कि बैठक में छह नामों का चयन किया जा सकता है। सूचना आयोग के मामले में लापरवाही ऐसी है की बीते पांच माह से उसमें एक भी सूचना आयुक्त नहीं है। यही वजह है कि बीते पांच माह से आयोग में सूचना आयुक्तों के कमरों के ताले भी नहीं खुले हैं। इसकी वजह से अपीलार्थी परेशान होकर भटक रहे हैं। उधर इससे सूचना के अधिकार का भी मजाक बन रहा है। इसकी वजह से अब तक करीब 15 हजार से अधिक अपीलें लंबित हो चुकी हैं। इन हालातों की वजह से जबलपुर के अधिवक्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होनी है।
नियामक आयोग का अध्यक्ष होता है पावरफुल
विद्युत विनियामक आयोग की मंजूरी के बगैर बिजली कंपनियां कोई भी काम नहीं कर सकती हैं। सबसे अहम टैरिफ याचिकाएं होती हैं। हर साल बिजली कंपनियां टैरिफ बढ़ाए जाने के लिए याचिका दायर करती हैं। इन याचिकाओं की सुनवाई विद्युत विनियामक आयोग करता है। विद्युत विनियामक आयोग की मंजूरी के बाद भी टैरिफ में किसी भी प्रकार का इजाफा होता है। हर साल बिजली कंपनियां आयोग के पास बढ़ा चढ़ाकर अपना घाटा भेजती हैं, जिसे आयोग कम कर देता है। इससे बिजली कंपनियां टैरिफ में ज्यादा इजाफा नहीं कर पाती हैं। विद्युत नियामक आयोग में चेयरमैन के अलावा दो सदस्य होते हैं। वर्तमान में नियामक आयोग के चेयरमैन का पद रिटायर्ड आईएएस एसपीएस परिहार के पास है। उनके अलावा मेंबर लॉ के पद पर गोपाल श्रीवास्तव और एक अन्य सदस्य के पद पर प्रशांत कुमार चतुर्वेदी काम कर रहे हैं। नियामक आयोग के चेयरमैन एसपीएस परिहार 15 जुलाई 2020, गोपाल श्रीवास्तव मेंबर लॉ 4 फरवरी 2022 और प्रशांत कुमार चतुर्वेदी सदस्य 25 जनवरी 2023 को पदस्थ हुए थे।
वीरा राणा बन सकती हैं राज्य निर्वाचन आयुक्त
राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद भी खाली पड़ा है। 30 जून को राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। राज्य सरकार ने संविधान के प्रावधानों के आधार पर आयुक्त सिंह का कार्यकाल बढ़ा दिया है। वह छह महीने तक इस पद पर रह सकते हैं। नए आयुक्त की नियुक्ति होने के बाद इनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर जल्द ही नियुक्ति हो सकती है। वर्तमान मुख्य सचिव वीरा राणा का इस महीने कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है। बताया जा रहा है कि उन्हें राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया जा सकता है। कार्यकाल नहीं बढ़ा तो उनका राज्य निर्वाचन आयुक्त बनना तय है। 30 जून को राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह का कार्यकाल खत्म हो चुका है। राज्य सरकार ने आयुक्त सिंह का कार्यकाल बढ़ा दिया है। नए आयुक्त की नियुक्ति होने के साथ आयुक्त बसंत प्रताप सिंह का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। चर्चा है कि उन्हें एक्सटेंशन दिया जा सकता है। लेकिन एक्सटेंशन नहीं मिला तो वीरा राणा की ताजपोशी राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर होना तय माना जा रहा है।