‘योजनाओं’ ने बिगाड़ा… सरकार का बजट

  • इस माह 2000 करोड़ का कर्ज लेगी नई सरकार
  • गौरव चौहान
योजनाओं

साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए के कर्ज में चल रही मप्र सरकार का बजट योजनाओं ने इस कदर बिगाड़ा है कि प्रदेश  के सीएम डॉ. मोहन यादव सरकार को एक महीने के भीतर ही कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सरकार ने प्रक्रिया के तहत इसके लिए सहमति पत्र आरबीआई को भेज दिया है। नए लोन की रकम 2000 करोड़ रुपए होगी। अधिकारियों ने कहा कि कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इसकी औपचारिकताएं कुछ दिनों में पूरी होने की संभावना है। राज्य की वित्तीय स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार ने विधानसभा चुनाव के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज मांगा।
गौरतलब है की पिछले कई वर्षों से मप्र सरकार भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है। उसे हर महीने कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। सत्ता में आने के 15 दिन के भीतर नई सरकार 2 हजार करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है। नई सरकार का यह पहला लोन होगा। वित्त विभाग ने लोन लेने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पत्र (विलिंगनेस लेटर) लिखा है। लोन संभवत: इसी महीने के आखिर में लिया जाएगा। गौरतलब है कि वित्तीय संकट को देखते हुए मप्र सरकार ने हाल में 38 विभागों की 150 से ज्यादा योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा दी है। वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में नगरीय प्रशासन विभाग की महाकाल परिसर विकास योजना, मेट्रो ट्रेन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग द्वारा संचालित तीर्थ दर्शन योजना शामिल हैं। इसके अलावा अपंजीकृत निर्माण मजदूरों को अंत्येष्टि एवं अनुग्रह राशि देने की योजना समाप्त कर दी गई है।
महीने दर महीने बढ़ रहा कर्ज का बोझ
प्रदेश सरकार पर महीने हर महीने कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। चालू वित्त वर्ष में सरकार 7 महीने (मई से नवंबर तक) में 25 हजार करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। आचार संहिता लगने से पूर्व सरकार ने सितंबर में चार किस्तों में कुल 12 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था। यहां तक की विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील रहते सरकार ने अक्टूबर व नवंबर में तीन किस्तों में 5 हजार करोड़ का लोन लिया था। अब एक बार फिर सरकार 2 हजार करोड़ रुपए का लोन लेने की तैयारी शुरू कर दी है। इसे मिलाकर लोन की कुल राशि 27 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी। प्रदेश सरकार पर 3 लाख 50 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। बजट में कर्ज के लिए 3 लाख 85 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि चुनाव के बीच या चुनाव के बाद कर्ज लेने पर कोई रोक नहीं है। पिछले वर्षों में, ऋण आम तौर पर अंतिम तिमाही में लिया जाता था, लेकिन इस वर्ष इसे पूरे वर्ष के अंतराल में लिया गया। एक अधिकारी ने कहा कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अभी तीन महीने और बचे हैं, ऐसे में मप्र का कर्ज और बढ़ जाएगा। सूत्रों ने बताया कि साल के अंत तक राज्य पर कुल कर्ज 3.85 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है। प्रदेश सरकार पर चल रहे पुराने लोन का मूलधन भी नए कर्ज से चुकाया जाएगा। ऐसे में अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के समाप्त होने से पहले ही सरकार पर कर्ज बढ़ कर 4.30 लाख करोड़ के आसपास पहुंच जाएगा।
खर्च में कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि
सूत्रों का दावा है कि चुनाव से पहले सरकार की चुनाव पूर्व घोषणाओं और योजनाओं से खर्च में कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। नई भाजपा सरकार को राज्य के वित्त का प्रबंधन करने और विकास की जरूरतों और कल्याणकारी योजनाओं के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होगी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर वित्त वर्ष के आखिरी महीनों (जनवरी से मार्च तक) सरकार ज्यादा लोन लेती है, लेकिन इस बार चुनाव से पूर्व की गई लोक लुभावन घोषणाओं को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में ही सरकार को बड़ा लोन लेना पड़ा। मौजूदा बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है, जबकि खर्च इससे करीब 54 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। सरकार की ओर से पिछले महीनों में की गई घोषणाओं पर बड़ी राशि खर्च होने के कारण सरकार का हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है। सरकार का प्रति माह 20 हजार करोड़ का खर्च था, जो जून के बाद से बढकऱ 22 हजार करोड़ प्रति माह के पार पहुंच गया है।
लाड़ली ने बिगाड़ा गणित
शिवराज सरकार की सबसे पॉपुलर योजना लाड़ली बहना ने प्रदेश का बजट बिगाड़ दिया है। इस योजना को पूरा करने के लिए नवनियुक्त मोहन सरकार को 4200 करोड़ का कर्ज लेना होगा। इसके साथ ही संविदा कर्मियों के बढ़ाए गए मानदेय को देने के लिए 1500 करोड़ और अन्य योजनाओं के लिए भी 2000 करोड़ का कर्ज लेना पड़ेगा। इसके साथ ही लडक़ों को स्कूटी दिए जाने, गैस सिलेंडर के दाम 450 रुपये करने, पंचायत कर्मियों की सैलरी बढ़ाए जाने जेसी कई तमाम घोषणाओं के कारण बजट गड़बड़ा गया है। दरअसल, चुनावी सीजन में हुई घोषणाओं को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को अगले तीन महीने करीब 25 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ेगा तब जाकर  सरकार अपनी चुनावी घोषणाओं को कुछ हद तक पूरा कर पाएगी। हालांकि इधर प्रदेश सरकार के दावा कर रही है कि प्रदेश में संचालित जनकल्याणकारी कार्यक्रम और विकास योजनाओं के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। सभी जन कल्याणकारी कार्यक्रम और विकास योजनाएं विधिवत जारी रहेंगी। जनकल्याणकारी कार्यक्रमों एवं विकास योजनाओं के लिए शासन के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। शासन के सभी जन कल्याणकारी कार्यक्रम सुचारू रूप से जारी रहेंगे। विकास योजनाएं भी निरंतर जारी रहेंगी। वित्त विभाग द्वारा वित्तीय अनुशासन के अंतर्गत बजट आवंटन एवं व्यय की कार्ययोजना दिशा निर्देश संबंधी आदेश सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत हर वित्तीय वर्ष में जारी होते हैं। विकास योजनाएं एवं जनकल्याणकारी कार्यक्रम जनहित में निरंतर जारी रहेंगी।

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