विधानसभा में छाया रहेगा सौरभ शर्मा

  • विपक्षी सदस्यों ने लगाए दो दर्जन सवाल

विनोद उपाध्याय
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा पहले से ही जांच एजेंसियों के लिए पहेली बना हुआ है। यह ऐसा मामला है जिसमें देश व प्रदेश की तमाम जांच एजेंसियां यह नहीं उगलवा सकी हैं कि कार में बरामद सोना व करोड़ों की नगदी किसकी है। उधर, विस के बजट सत्र में भी सौरभ शर्मा पूरी तरह से छाया रहने वाला है। इसकी वजह है विपक्ष द्वारा अब तक इस मामले में दो दर्जन प्रश्न लगाना। इस मामले को लेकर विपक्ष ने पूरी तरह से सरकार को घेरने की तैयारी शुरु कर दी है। यह ऐसा मामला है जिस मामले में सरकार को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा इस मामले में तीनों जांच एजेंसियों के बीच भी अविश्वास की भावना दिखती नजर आ रही है। दरअसल तीनों ही एजेंसियों द्वारा अब तक एक दूसरे से इस मामले की कोई भी जानकारी आपस में साझा नहीं की जा रही है। सौरभ शर्मा के मामले में विपक्ष को एक सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा हाथ लगा है, जिसे कांग्रेस अवसर के रुप में देख रही है। यही वजह है कि उसके मामले में अब तक विधानसभा सचिवालय तक दो दर्जन प्रश्न पहुंच चुके हैं। इनके जरिए विधायकों ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई, अवैध संपत्ति, कमाई के स्रोत एवं अन्य जानकारी मांगी है। इस मामले में सत्तापक्ष के विधायक पूरी तरह से दूरी बनाए हुए हैं। यही वजह है कि भाजपा के किसी विधायक ने इससे संबधित कोई प्रश्न नहीं पूछा है। इसके अलावा परिवहन से जुड़े अन्य सवाल भी विधानसभा में पूछे गए हैं। विधानसभा सूत्रों से चर्चा में पता चला कि इस बार परिवहन विभाग से जुड़े जितने सवाल लगाए हैं, उतने सवाल पिछले दो दशक में विधायकों ने कभी एक सत्र विशेष में नहीं पूछे हैं। हालांकि विधायकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का विधानसभा सचिवालय की प्रश्नावली शाखा द्वारा परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद तय होगा कि विधायकों द्वारा परिवहन एवं सौरभ शर्मा प्रकरण के बारे में पूछे गए प्रश्नों में से कितने ग्राह्य होते हैं और कितने अग्राह होते हैं। उधर, इस मामले में अभी तीनों एजेंसियों की जांच जारी है, जिससे मामले से संबंधित जानकारी विधायकों को नियमों के अनुसार मिलना मुश्किल हैं, क्योंकि विवेचना के दौरान जानकारी नहीं देने का प्रावधान है। हालांकि यह विधानसभा का विशेषाधिकार भी है कि वह संबंधित विभाग से प्रश्न विशेष के संबंधित में यथास्थिति की जानकारी भी मंगा सकती है। लेकिन सामान्यतः: ऐसा होता नहीं है।
तीन एजेंसियां नहीं उगलवा सकीं सोना किसका
प्रदेश में पिछले दो महीने से परिवहन के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त, आयकर और ईडी द्वारा मारे गए छापों के बाद पूछताछ में भी यह पता नहीं लगाया जा सका है कि चेतन गौर के नाम से पंजीकृत कार से बरामद 54 किलो सोना और कैश का असली मालिक कौन है? इसकी वजह से अब माना जा रहा है कि बरामद सोना  व नगदी सरकार के खाते में चला जाएगा।
एक दूसरे को नहीं दी जा रही जानकारी
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में जांच कर रहीं तीनों एजेंसियां एक दूसरे से सौरभ और उसके दो सहयोगियों से मिली जानकारी आपस में सांझा नहीं कर रहीं हैं। लोकायुक्त पुलिस ने आयकर विभाग को जानकारी नहीं दी है, न ही आयकर विभाग ने लोकायुक्त पुलिस को जानकारी साझा की है। ईडी भी जानकारी देने से बच रही है। उधर, इस बीच आयकर अधिकारियों की टीम द्वारा बीते रोज भी सौरभ के करीबी शरद जायसवाल से पूछताछ की। जिन कंपनियों में शरद की साझेदारी है, उनके टर्नओवर और कारोबार, सौरभ से रिश्ते, उसकी संपत्तियों की जानकारी के बारे में पूछताछ की गई। इस मामले में सौरभ से भी पूछताछ की जा चुकी है। शरद के बाद अब आयकर की टीम चेतन सिंह गौर से भी पूछताछ कर सकती है। तीनों एजेंसियां एक दूसरे जांच संपत्ति के दस्तावेज मांग रही हैं, पर अपनी जानकारी साझा करने को तैयार नहीं हैं। इनमें ईडी और आयकर केंद्र व लोकायुक्त पुलिस राज्य सरकार की एजेंसी है। आयकर विभाग ने चेतन के आवास स्थित सौरभ के कार्यालय से 237 किलों चांदी की ईंटें जब्त की थी। छापे में संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे, पर यह जानकारी दो माह बाद भी आयकर विभाग को नहीं दी है। इसी तरह कार में जब्त सोना, नकदी और डायरी की जानकारी लोकायुक्त पुलिस आयकर विभाग से मांग रही है। ईडी ने भी सौरभ के करीबियों के यहां भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और पुणे में दो अलग-अलग दिन छापा मारा था। छापे में नकदी, बैंक में जमा राशि सहित लगभग 32 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला था। ईडी ने भी दूसरी एजेंसियों से जानकारी साझा नहीं की है। गोपनीयता भंग होने के डर से जानकारी साझा करने से एजेंसियां बच रही हैं।

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