विकास कामों के लिए सरपंचों को काटने होंगे विधायक के चक्कर

विकास कामों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिला पंचायत सीईओ के एक तुगलकी फरमान से दमोह जिले के सरपंच बेहद हतप्रभ हैं। इस फरमान में कहा गया है कि सरपंच अब बगैर स्थानीय विधायक की अनुशंसा के कोई भी काम नहीं करा सकेंगे, फिर भले ही उन्हें कोई गड्ढा तक क्यों न भरवाना हो। इस फरमान के बाद से पूरे जिले के ग्रामीण इलाकों में होने वाले विकास के काम बंद हो गए हैं।  इस आदेश के बाद से न केवल त्रिस्तरीय पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में बल्कि ग्रामीणों में भी आक्रोश पनपने लगा हैं। करीब दो साल के इंतजार के बाद जैसे -तैसे ग्रामीण इलाकों में विकास के काम होना शुरु हुए थे , उन पर भी अब पूरी तरह से ब्रेक लग गया है। इस नई व्यवस्था के बाद अब सरपंचों को अपनी पंचायत में काम कराने के लिए स्थानीय विधायक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अगर इस व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो जिले के ग्रामीण इलाकों में लोकसभा चुनाव के बाद ही कोई विकास का काम होना संभव हो सकेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में पहले आर्थिक तंगी के चलते ग्रामीण इलाकों में विकास कामों के लिए बजट नहीं मिला और उसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाने की वजह से विकास के काम नहीं हो सके। अब जैसे- तैसे काम होना शुरु हुए तो इस नए आदेश के बाद से निर्माण कार्य ठप हो गए हैं। अब लोकसभा चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में एक बार फिर से विकास के काम पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। दरअसल स्थानीय विधायक के दबाव में इस तरह का आदेश जारी किया गया है। इसके पीछे की वजह है सरपंचों पर अपना प्रभुत्व विधायक  द्वारा कायम करना। इस नई व्यवस्था की वजह से अब कोई भी अफसर पंचायतों के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी नहीं दे रहा है। इसकी वजह से छोटे-छोटे काम तक शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इस मामले में हटा विधायक उमादेवी खटीक का कहना है कि हमारे क्षेत्र की जनपद पंचायतों में बीते कुछ सालों में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। इनकी जांच की जा रही है। अधिकारी एससी, एसटी पंचायतों को खरीद लेते हैं। इससे पंचायतों के सरपंचों पर रिकवरी निकल रही है। पंचायत के सरपंचों को बचाने के लिए यह पत्र लिखा है। अगर कुछ गलत है, तो पत्र वापस ले लेंगे। हम हमारे क्षेत्र में भ्रष्टाचार मुक्त विकास चाहते है।
विधायक -सीईओ की मनमर्जी
दमोह जिले  की हटा विधानसभा की विधायक उमादेवी खटीक ने जिला पंचायत सीईओ को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में किसी भी ग्राम पंचायत के कार्यों की फाइल की स्वीकृति उनकी अनुशंसा के बगैर न की जाए। इस पत्र के बाद जिला पंचायत सीईओ ने मनरेगा परियोजना अधिकारी और प्रभारी अधिकारी निर्माण शाखा को एक पत्र जारी कर दिया है। इस पत्र में साफ निर्देश है कि किसी भी ग्राम पंचायत के कार्यों की तकनीकी और प्रशासकीय स्वीकृति विधायक की अनुशंसा के बिना नही की जाएगी।
यह है पंचायत अधिनियम में प्रावधान  
पंचायत अधिनियम के मुताबिक प्रदेश की ग्राम पंचायत के सरपंचों को 15 लाख तक के निर्माण कार्य करने के अधिकार हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को अगर कोई निर्माण कार्य करना होता है, तो उसका स्टीमेट पंचायत विभाग के इंजीनियर से बनवाया जाता है। इसके बाद एई निर्माण कार्य की तकनीकी स्वीकृति देता है। इसके बाद जनपद पंचायत सीईओ से निर्माण कार्य की स्वीकृति मिल जाती और पंचायतों में निर्माण कार्य होते हैं।

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