संघ के आनुषांगिक संगठनों ने संभाला भाजपा का चुनावी मोर्चा

भाजपा

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र व मप्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए 2023 और 2024 चुनौतीपूर्ण हैं। हालांकि, भाजपा पूरी तरह आशान्वित है कि दोनों चुनाव में पार्टी आसानी से जीत प्राप्त कर लेगी। लेकिन मातृसंस्था संघ चुनावी तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है। इसलिए संघ ने मप्र में भाजपा को गुजरात की तरह रिकॉर्ड जीत दिलाने के लिए अपने सभी अनुषांगिक संगठनों को चुनावी मोर्चे पर सक्रिय कर दिया है। सूत्रों को कहना है की संघ के बड़े पदाधिकारी खुद चुनावी तैयारियों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। राजधानी भोपाल स्थित मध्य क्षेत्र के मुख्यालय समिधा से भाजपा के चुनाव अभियान की मॉनिटरिंग हो रही है।
सूत्रों को कहना है कि भाजपा ने 51 फीसदी वोट के साथ 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है उसे अमलीजामा पहनाने के लिए संघ के अनुषांगिक संगठन और स्वयंसेवकों ने चुनावी मोर्चा संभाल लिया है। वहीं संघ के दिशा निर्देश पर सत्ता और संगठन लगातार चुनावी तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा एक-एक बिंदु पर मंथन कर रणनीति बना रहे हैं और उन्हें क्रियान्वित करा रहे हैं। दरअसल, हाल के दिनों में कथित रूप से भाजपा के अंदरखाने से जो रिपोर्ट आई है, उससे पार्टी घबराई हुई है। सियासी जानकारों का कहना है कि यही वजह है कि मप्र में संघ ने समय से पहले चुनावी मोर्चा संभाल लिया है।
संघ की रिपोर्ट पर विधायकों की खिंचाई
संघ की कोशिश है की मप्र में चुनावी तैयारी में कोई कमी न रह जाए। इसलिए संघ के अनुषांगिक संगठन मैदान से लगातार रिपोर्ट भेज रहे हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर 27 अप्रैल को हुई संगठन की बैठक में विधायकों की जमकर खिंचाई की। भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने पार्टी की कामकाजी बैठक में कहा कि बहुत सारे विधायक हैं जो संगठन के कामकाज में रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे नेताओं का नाम प्रदेश स्तर पर भेजें। दरअसल, कुछ जिले और विधानसभा क्षेत्रों में बूथ विस्तार अभियान-2 के तहत डिजिटलाइजेशन का काम नहीं हुआ है, इसकी वजह है विधायकों द्वारा रुचि न लेना और मंडल अध्यक्षों पर भी काम न करने का दबाव बनाना है। संगठन के संज्ञान में आने के बाद शीर्ष नेतृत्व ने चेतावनी दी कि ऐसी मनमर्जी नहीं चलेगी। बताया जाता है कि संघ के दिशा निर्देश पर ही यह बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बनाई गई। प्रदेश भाजपा कार्यालय में बूथ विजय संकल्प अभियान की प्रदेश स्तरीय बैठक में सभी जिलों के अध्यक्ष, जिला प्रभारी, बूथ सशक्तीकरण अभियान प्रभारी, प्रदेश पदाधिकारी एवं विभिन्न मोर्चों के अध्यक्ष उपस्थित थे। इसमें चार मई से 14 मई तक चलने वाले बूथ विजय संकल्प अभियान की रणनीति भी तय की गई। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा कि बूथों की सक्रियता की कसौटी यह है कि वहां तक पार्टी की विचारधारा प्रवाहित होनी चाहिए। अगर बूथ पूरी तरह सक्रिय हैं, तो पूरे प्रदेश में पार्टी की विचारधारा के अनुरूप सामाजिक परिवर्तन दिखाई देना चाहिए। हर बूथ के आसपास का इलाका स्वच्छ और हरा-भरा होना चाहिए तथा वहां सामाजिक समरसता दिखाई देना चाहिए। चार से 14 मई तक चलने वाले बूथ विजय संकल्प अभियान का उद्देश्य बूथों को ऐसा ही बनाना है। अभियान के अंतर्गत 10 बूथों पर एक क्लस्टर का गठन किया जाएगा और क्लस्टर के सभी कार्यकर्ता अभियान के दौरान आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक 15 दिनों में जिलों में कोर की बैठक अनिवार्य रूप से हो और जिला पदाधिकारी प्रवास पर अधिक से अधिक जोर दें। पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारी इंटरनेट मीडिया पर अपनी सक्रियता बढ़ाएं। जिला, मंडल, विधानसभा और क्लस्टर स्तर की टोलियों के गठन का काम जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए। प्रदेश स्तर पर न्यू ज्वाइनिंग कमेटी की तरह मंडल स्तर पर भी गठित की जाएंगी। उन्होंने जन आकांक्षा अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्येक बूथ पर इंफ्लूएंसर्स की सूचियां तैयार की जाएं।
ग्राउंड स्तर पर पार्टी की स्थिति क्या
प्रदेश में करीब 18 साल से भाजपा की सरकार है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन 15 माह बाद ही उसकी सरकार गिर गई। इसके बाद से फिर भाजपा सत्ता में है। पार्टी के लोगों का मानना है कि उनकी सुनी नहीं जा रही है। सत्ता पर अफसरशाही हावी है। सरकार की तरफ से निकाली गई विकास यात्रा को कई जगह लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। कहीं सडक़ नहीं तो कहीं पानी नहीं होने को लेकर लोगों में नाराजगी है। भाजपा के सर्वे में कई पुराने नेता और कार्यकर्ताओं के भी नाराज होने की बात सामने आई है। इसके लिए भाजपा ने 14 नेताओं को कार्यकर्ताओं की नाराजगी का कारण जानने और फीडबैक लेने के लिए सर्वे कराया था। कई पुराने नेताओं की पूछ परख नहीं हो रही है। अब उनको अपनी अगली पीढ़ी के रास्ते भी पार्टी में बंद दिखाई दे रहे हैं। इसके चलते नेता बगावती हो गए हैं। इसके संकेत भी मिलने लगे हैं।
मप्र में संघ का बड़ा आधार…
नागपुर के बाद संघ का मप्र में बड़ा आधार  है। इसलिए आरएसएस यहां सत्ता गंवानी नहीं चाहता है। यहां हर जिले में शाखाएं लग रही हैं। आरएसएस चाहता है कि संघ का विस्तार इसी तरह जारी रहे। इसके लिए प्रदेश में भाजपा सरकार जरूरी है। इसलिए 2018 की गलती को संघ और भाजपा दोहराना नहीं चाहते। गौरतलब है कि मप्र संघ और भाजपा की प्रयोगभूमि है। इसलिए संघ की लगातार कोशिश रहती है कि मप्र में भाजपा हमेशा मजबूत स्थिति में रहे। इसके लिए शाखा कार्य विस्तार के अलावा संघ आदिवासियों के बीच डीलिस्टिंग आंदोलन, जल ग्रहण क्षेत्र बढ़ाने के लिए शिवगंगा जैसे अभियान, आदिवासियों को धार्मिक और सामाजिक, सांस्कृतिक पर्वों से जोडऩे का अभियान,आदिवासी युवाओं को रोजगार तथा उनकी शारीरिक क्षमता को देखते हुए क्रीडा इत्यादि गतिविधियों से युवाओं को जोडऩे का अभियान भी संघ चला रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यद्यपि राजनीति में हिस्सा नहीं लेता , लेकिन उसकी गतिविधियों और उसके अभियानों का लाभ भाजपा को मिलता है। डॉक्टर भागवत मध्यप्रदेश के लगातार प्रवास कर रहे हैं। उनके अलावा बीते  लंबे समय से   भैया जी जोशी भी मध्यप्रदेश में सक्रिय हैं।  भैया जी जोशी के अलावा मौजूदा सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, और सह सरकार्यवाह अरुण कुमार भी मध्य प्रदेश के दौरे करते रहते हैं। जबकि एक अन्य सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य का मुख्यालय समिधा कार्यालय है, इस कारण से मध्यप्रदेश की गतिविधियों को डॉक्टर मनमोहन वैद्य  मॉनिटर करते हैं। इसके लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत लगातार मप्र का दौरा करते रहते हैं। वहीं उन्होंने संघ के सभी पदाधिकारियों को मप्र में कार्यक्रम बनाकर काम करने का निर्देश दे रखा है। यही कारण है की यहां साल भर संघ की गतिविधियां चलती रहती है। वहीं संघ के पदाधिकारी हर पखवाड़े संघ प्रमुख को रिपोर्ट बनाकर भेजते हैं। जिसके आधार पर आगे की कार्ययोजना बनाई जा रही है।

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