- फीडबैक से लेकर सर्वे तक का जिम्मा उठाएंगे स्वयंसेवक
- गौरव चौहान
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पूरी तरह से मैदानी मोर्चा सम्हालने की तैयारी कर रहा है। इन चुनावों से पहले संघ द्वारा अपने स्तर पर न केवल फीडबैक लिया जाएगा, बल्कि मैदानी स्तर पर सर्वे भी किया जाएगा। यह सर्वे भी संघ के स्वयंसेवक ही करेंगे। इसके संकेत हाल ही में समाप्त हुई तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक से मिले हैं। इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के अलावा कुछ अन्य प्रस्तावों और कई विषयों पर चर्चा भी हुई है। हालांकि बैठक के बाद संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने साफ कहा है कि बैठक में देश में आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई और न ही संघ इस तरह की कोई चर्चा करता है। इसके बाद भी प्रतिनिधि सभा में जिस तरह के कार्य स्वयंसेवकों को काम दिए गए हैं, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा 2024 के चुनाव से पहले संघ की जनता से बड़े फीडबैक लेने की तैयारी कर रही है। होसबोले का कहना है कि शाखा के स्वयंसेवक बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते हैं। ऐसे में इन स्वयंसेवकों से फीडबैक लिया गया है। इसके साथ ही 10000 स्वयंसेवकों को सर्वे करने को कहा गया है। इस सर्वे में मुख्य रुप से यह पूछा जाएगा कि संघ की ओर से किस तरह के सामाजिक कार्यों को अंजाम दिया गया है। सामाजिक परिवर्तन में स्वयंसेवकों के योगदान किस तरह से रहा। इसे लेकर सर्वे की बात है और छह महीने के भीतर इस रिपोर्ट को तैयार करना है।
डेढ़ हजार नए लोगों की टीम बनेगी
बैठक के बाद डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले है। 1500 लोगों की टीम और तैयार की जा रही है, जो संघ के काम को जन-जन तक पहुंचाएंगे। होसबोले ने कहा कि प्रतिनिधि सभा में समाज के उन लोगों को जोड़ने पर जोर दिया गया है जो समाज के विकास के लिए तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि कार्य विस्तार तथा कार्य की गुणात्मकता बढ़ाने की योजना अवश्य बनी है। स्थान- स्थान पर ग्राम-बस्तियों की परिस्थिति का अध्ययन कर वहां की समस्याओं के समाधान की दिशा में शाखा के स्वयंसेवक समाज को जोड़कर प्रयास करेंगे। इसके लिए समाज के उन लोगों को खास तौर पर जोड़ा जाएगा जो समाज में सकारात्मक सोच रखते हैं।
एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य
अगले एक वर्ष तक 1 लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है। 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थी। 2023 में यह संख्या बढ़कर 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं। जिनमें से 901 जिलों में प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में प्रत्यक्ष शाखाएं लगती है।
बीजेपी के लिए मजबूत कर रहे हैं जमीन
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठनों की राज्य में सक्रियता पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसकी वजह इसी साल होने वाले राज्य के विधानसभा चुनाव भी हैं, क्योंकि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला रहा था। आगामी चुनाव में भी मुकाबला बराबरी का रहने की संभावना है। लिहाजा, भाजपा के लिए संघ ने जमीन मजबूत करने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
मप्र पर खास फोकस
प्रदेश में बीते आम विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। लिहाजा, वर्ष 2023 के चुनाव में किसी तरह की कमोबेशी न रह जाए, इसके लिए भाजपा की ओर से एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भाजपा का मातृ संगठन माना जाता है, मगर संघ कभी भी खुले तौर पर चुनावी गतिविधियों में हिस्सेदारी नहीं लेता। पर्दे के पीछे रहकर भाजपा के लिए जमीन जरूर तैयार करता है। सूत्रों का कहना है कि संघ ने जमीनी स्तर के आंकलन की प्रक्रिया को तेज कर रखा है और वर्तमान विधायकों के अलावा जहां कांग्रेस से विधायक हैं, उन स्थानों की स्थिति का भी ब्यौरा जुटाया जा रहा है। इसके साथ ही संघ से जुड़े लोग अपनी सामाजिक गतिविधियों को भी बढ़ा रहे हैं। संघ के प्रमुख सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के भी मध्यप्रदेश के दौरे लगातार हो रहे हैं। उनके इन प्रवासों को भी सियासी चश्मे से देखा जा रहा है।