- वोट शेयर 10 प्रतिशत बढ़ाने का टारगेट
- विनोद उपाध्याय
अपनी चुनाव मशीनरी से अब तक एक कदम आगे दिखने वाली भाजपा अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से विजय प्राप्त करने के बाद अब भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए वोट शेयर 10 प्रतिशत बढ़ाने का टारगेट तय किया है। पार्टी इस बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में विधानसभा में जीती 163 सीटों पर पार्टी ने वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए भाजपा पदाधिकारियों के साथ ही संघ के विस्तारकों को मोर्चे पर तैनात करने की रणनीति बनाई है।
मिशन 2024 के लिए भाजपा ने जो रणनीति बनाई है उसके तहत मप्र में 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन विधानसभा क्षेत्रों में कम वोट हासिल हुए थे, वहां बढ़त बनाना भाजपा का पहला लक्ष्य है। इन क्षेत्रों में पार्टी विधानसभावार प्रभारी बनाएगी और गांव तक पार्टी के बेहतर काम को पहुंचाएगी। इसी क्रम में लोकसभा चुनाव में जिन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को जीत मिली, वहां विधानसभावार 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा कहते हैं कि हम हार और जीत दोनों की समीक्षा करते हैं। जहां जीते हैं वहां 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाना है और जहां हारे हैं उसे जीतना हमारा संकल्प है।
10 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा को झटका
ताजा विधानसभा चुनाव परिणामों को देखा जाए तो प्रदेश की 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इनमें छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की सभी सातों विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। इसी तरह मुरैना की पांच, भिंड की, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ तीन, मंडला की पांच, बालाघाट चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा भाजपा अब इन विधानसभा सीटों लेकर मंथन कर रही है और लोकसभा चुनाव की दृष्टि से इन सीटों पर मजबूत पकड़ बनाने में जुट गई है। हालांकि, पांच लोकसभा क्षेत्र भाजपा के लिए सुरक्षित हैं। यहां जनता ने सभी सीटों पर भाजपा को चुना हैं। इनमें खजुराहो, होशंगाबाद, देवास, इंदौर और खंडवा लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती हैं। इनके अलावा सागर, दमोह, रीवा, सीधी, जबलपुर, विदिशा और मंदसौर लोकसभा क्षेत्र में केवल एक-एक विधानसभा सीट ही भाजपा हारी हैं, शेष सभी सीटों पर भाजपा को विजय मिली है। गुना लोकसभा क्षेत्र में दो बामोरी, आशोकनगर पर कांग्रेस जीती है, शेष विधानसभा सीटों पर भाजपा की विजय हुई है। इसी तरह सागर में एक बीना पर कांग्रेस, दमोह में एक मलहरा पर कांग्रेस, सतना में दो सीट सतना और अमरपाटन पर कांग्रेस, रीवा में एक सेमरिया सीट पर कांग्रेस, सीधी में एक चुरहट पर कांग्रेस, शहडोल में एक पुष्पराजगढ़ पर कांग्रेस, जबलपुर में एक जबलपुर पूर्व पर कांग्रेस, विदिशा में एक सिलवानी पर कांग्रेस, भोपाल में दो भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य पर कांग्रेस, राजगढ़ में दो राघोगढ़, सुसनेर पर कांग्रेस, उज्जैन में दो महिदपुर, तराना पर कांग्रेस, मंदसौर में एक मंदसौर पर कांग्रेस, बैतूल में दो सीटें टिमरनी और हरदा पर कांग्रेस विजयी हुई है। वहीं शेष सीटों पर भाजपा जीती है। इन क्षेत्रों में भाजपा को कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहां भाजपा की अच्छी स्थिति हैं।
हारे प्रत्याशियों को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
पार्टी ने हारे हुए प्रत्याशियों और मोर्चा पदाधिकारियों के अलावा अब विस्तारकों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। संघ के विस्तारकों को अलग अलग स्तर पर लोकसभा चुनाव की दृष्टि से प्रभार दिए जाएंगे। वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर गांव तक 24 घंटे का प्रवास करेंगे। विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी बूथ सशक्तिकरण पर फोकस रहेगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि हार और जीत वाली दोनों ही सीटों की समीक्षा की जाएगी। हारने वाले प्रत्याशियों को विस्तारकों के साथ जुटाया जाएगा। शक्ति केंद्र, बूथ प्रभारी और पन्ना प्रमुखों के साथ बैठक कर लोकसभा चुनाव की कार्ययोजना तय की जाएगी। हारे हुए प्रत्याशी हार के कारणों का मंथन कर विधानसभा चुनाव में की गई गलतियों को सुधार कर शीर्ष नेतृत्व की रणनीति पर काम करेंगे। मप्र में सत्ता के सेमीफाइनल में भले ही भाजपा ने सुनामी के साथ जीत हासिल की हो, लेकिन लोकसभा के फाइनल मैच में कुछ सीट ऐसी भी हैं जो भाजपा के लिए चुनौती साबित हो सकती है।