- पीएम आवास योजना में लगातार पिछड़ने पर की जा रही समय सीमा बढ़ाने की मांग
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अगले साल तक प्रदेश में सभी को घर देने का केन्द्र सरकार का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह है प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले मकानों का काम कछुआ गति से किया जाना। हालात यह हैं कि प्रदेश सरकार भी अब इस मामले में लगतार पिछड़ने के बाद केन्द्र सरकार से इसकी अंतिम तिथी बढ़ाने की मांग कर रही है। उधर आश्चर्यजनक बात यह है कि इस मामले में ग्रामीण इलाके शहरी इलाकों पर भारी पड़ रहे हैं। इसकी वजह है ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की तुलना में अधिक तेजी से मकान बनाया जाना है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 9.38 लाख मकान बनाने का लक्ष्य है , लेकिन इनमें से अब तक महज 4.72 लाख यानी 51 प्रतिशत मकान ही बनाए जा सके हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 32 लाख के लक्ष्य की तुलना में अब तक 24 लाख यानी लगभग 80 प्रतिशत मकान बन कर तैयार हो चुके हैं। यह बात अलग है कि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में अब डेढ़ साल में 8 लाख नए मकान बनाने की बड़ी चुनौती है, तो शहरी क्षेत्रों में 4 लाख 66 हजार मकान बनना बाकी है। शहरी क्षेत्र में सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि हाल ही में 4 लाख नए मकानों के लिए 384.38 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं। अभी यह काम पूरा हो नही पाया है और 1.67 लाख नए आवेदन शासन के पास आ गए हैं। यही नहीं वर्ष 2021 की सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना की सर्वे सूची आने के बाद से प्रदेश में 31 लाख 36 हजार गरीबों के नए नाम जुड़ गए हैं। इसकी वजह से अब शहरी क्षेत्र में भी नए नाम जुड़ने की वजह से 67 हजार नए मकानों के प्रस्ताव अब तक केंद्र सरकार को भेजे गए हैं। अभी इनमें से शेष एक लाख नाम और भेजे जाने हैं। बेहद मंद गति से काम होने की वजह से अगले साल तक योजना को पूरा होते न देख कुछ दिन पहले ही प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिलकर योजना को एक साल और बढ़ाने की मांग की है।
नहीं होता शिकायतों का समाधान
नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों से प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित 5 लाख 95 हजार शिकायतें सीएम हेल्पलाइन और अन्य संबंधित केंद्रों पर दर्ज होने के बाद भी उनमें से अधिकांश को बगैर उचित समाधान किए ही बंद कर दिया गया है। नगरीय निकायों में गड़बड़ियों से संबंधित 72,788 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर की गई हैं, जिनमें से 52 हजार को बंद कर दिया गया है। इसके बाद भी अभी भी 20 हजार शिकायतें लंबित हैं। इसी तरह से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में योजना में अनुचित राशि की मांग की 24,329 शिकायतें हो चुकी हैं, जिनमें से 21 हजार को बंद किया जा चुका है।
स्वीकृत राशि नहीं करते जारी
विभाग या बैंक से स्वीकृत राशि जारी नहीं करने की 2 लाख 26 हजार शिकायतें आ चुकी हैं, जिनमें से 2 लाख बंद कर दी गई। इसी तरह से पात्रता सूची में नाम होने के बाद भी मकान नहीं मिलने की 1 लाख 13 हजार शिकायतें दर्ज हुई, इनमें से एक लाख बंद की जा चुकी हैं।
सरकार की मुसीबत
प्रदेश में पीएम आवास योजना में अब तक शहरी-ग्रामीण इलाकों में अब तक 28 लाख 72 हजार मकान बन चुके हैं, लेकिन इनमें से 25 प्रतिशत से अधिक मकानों के लिए खरीददार ही नहीं मिल पा रहे हैं। अगर भोपाल की ही बात की जाए तो यहां पर 2500 मकान बन कर खरीददार का इंतजार कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है बैंकों की लोन संबंधी जटिल प्रक्रिया और शर्तें।