मध्यप्रदेश के नेताओं का हक ‘बाहरियों’ को

 उपचुनाव
  • प्रदेश के नेताओं की प्रतिस्पर्धा में कुरियन की लगी लॉटरी…
    गौरव चौहान

    भाजपा ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए 9 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की।  मप्र में खाली हुई राज्यसभा की एक सीट पर चुनाव के लिए भाजपा ने केरल के नेता जॉर्ज कुरियन को प्रत्याशी बनाया है। कुरियन मोदी कैबिनेट में मत्स्य पालन, पशुपालन-डेयरी विभाग के राज्य मंत्री हैं। दरअसल, इस एक सीट के लिए मप्र के कई नेता दावे कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि मप्र के भाजपा नेताओं की प्रतिस्पर्धा में कुरियन की लॉटरी लगी है। कुरियन दूसरे राज्य के पहले नेता नहीं हैं जिनको मप्र से राज्यसभा भेजा जा रहा है। मप्र से पहले भी बाहरी राज्यों के नेताओं को यहां के नेताओं का हक मारकर राज्यसभा भेजा जाता रहा है। मप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद खाली हुई राज्यसभा की सीट पर अप्रैल 2026 तक का कार्यकाल बचा हुआ है। इस सीट पर राज्यसभा के लिए कई नेताओं के नाम की चर्चा थी, उनमें गुना के पूर्व सांसद डॉ. केपी सिंह यादव भी थे। वहीं, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी, कांतदेव सिंह और प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल के नामों की चर्चा थी। पवैया और नरोत्तम मिश्रा दो साल के लिए राज्यसभा जाने के लिए राजी नहीं थे। सुरेश पचौरी ने भी इस दौड़ से खुद को अलग कर लिया था। सूत्र बताते हैं कि केपी यादव के लिए संगठन में सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में एमपी भाजपा ने फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया, और केरल के खाते में मप्र की राज्यसभा सीट चली गई। जॉर्ज कुरियन का चयन इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वे मप्र से राज्यसभा में जाने वाले दूसरे बाहरी नेता होंगे। इससे पहले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तमिलनाडु के एल. मुरुगन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया था। जॉर्ज कुरियन का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है और उनका कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा, क्योंकि वे सिंधिया के राज्यसभा के बचे कार्यकाल को ही पूरा करेंगे। सिंधिया अब लोकसभा सदस्य हैं।
    एक दर्जन से अधिक बाहरी जा चुके हैं राज्यसभा
    पहले भी पार्टी करीब एक दर्जन से अधिक बाहरी नेताओं को मप्र से टिकट दे चुकी है। राज्यसभा के लिए प्रदेश से बाहर के नेता को भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने की बात पहली बार नहीं हो रही है। इसके पहले भी भाजपा अपने कई वरिष्ठ नेताओं को जो दूसरे राज्य से नाता रखते थे, उन्हें मप्र से राज्यसभा भेज चुकी है। इस सूची में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से लेकर अब जार्ज कुरियन तक के नाम शामिल हो गए हैं। मप्र को भाजपा की नर्सरी कहा जाता है। पार्टी के देशभर के जो वरिष्ठ नेता अपने क्षेत्रों से चुनाव नहीं जीत पाते या फिर उस प्रदेश में पार्टी इस स्थिति में नहीं रहती कि वह अपने प्रत्याशी को राज्यसभा के लिए जीत दिला सके। ऐसे में पार्टी उन्हें मप्र से राज्यसभा भेज देती है। इसका उदाहरण प्रदेश से भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं का राज्यसभा का टिकट देकर उच्च सदन में भेजने का रिकॉर्ड है। जहां पार्टी ने दो बार लालकृष्ण आडवाणी को यहां से राज्यसभा भेजा था। इसके अलावा प्रदेश के बाहर के वह नेता जो मप्र से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए उसमें ओ राजगोपाल, भाई महावीर, सुषमा स्वराज, सु थिरुनवुकरसर, नजमा हेपतुल्ला, एल गणेशन, एमजे अकबर, सिकन्दर बख्त, प्रकाश जावड़ेकर, चंदन मित्रा, एम मुरुगन के बाद अब जार्ज कुरियन शामिल हैं।
     27 को नाम वापस ले सकेंगे उम्मीदवार
    प्रदेश में राज्यसभा की एक रिक्त सीट पर होने जा रहे चुनाव के लिए बुधवार को नामांकन पत्र भरने का आखिरी दिन है। बुधवार दोपहर 3 बजे तक नामांकन जमा किए जाएंगे। नामांकन पत्रों की संवीक्षा 22 अगस्त को होगी। नाम वापसी की प्रक्रिया अब 27 अगस्त को होगी। पूर्व में नाम वापसी 26 अगस्त को होना थी, लेकिन इस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सार्वजनिक अवकाश होने के कारण नाम वापसी की तारीख बदल दी गई है। इसके लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा था। इस पर चुनाव आयोग ने नाम वापसी की तारीख 26 अगस्त से बढ़ाकर 27 अगस्त करने के निर्देश दिए थे। अनुपम राजन ने बताया कि राज्यसभा निर्वाचन के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया 14 अगस्त से जारी है, जो 21 अगस्त तक चलेगी। नामांकन वापसी 27 अगस्त को होगी। मतदान 3 सितंबर को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक होगा, इसी दिन मतगणना होगी और परिणाम की घोषणा की जाएगी।
    अब केपी का क्या होगा?
    भाजपा ने एक बार फिर बाहरी नेता को मप्र से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। इस निर्णय से केपी यादव को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, गुना से पूर्व सांसद यादव प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के चुनाव में सवा लाख वोटों से हराया था। इसके बाद 2020 में सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उनको राज्यसभा सदस्य बना कर केंद्र में मंत्री बनाया था। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को केपी यादव का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान 26 अप्रैल 2024 को गुना में एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी केपी यादव की प्रशंसा करते हुए कहा था कि उनकी चिंता भाजपा करेगी और उन्हें आगे बढ़ाने की सभी जिम्मेदारियां पार्टी संभालेगी। इस बयान के बाद ऐसा लगने लगा था कि राज्यसभा की खाली सीट पर केपी यादव को मौका मिलेगा, लेकिन भाजपा ने जॉर्ज कुरियन को उम्मीदवार बनाकर इन अटकलों पर विराम लगा दिया है। राज्यसभा से उम्मीदवार के ऐलान के बाद अब चर्चा है कि केपी यादव का क्या होगा? सियासी जानकारों का कहा है कि अब यादव को पांच साल लोकसभा चुनाव का इंतजार करना होगा या दूसरा विकल्प उनको निगम-मंडल या संगठन में एडजस्ट किया जा सकता है। वहीं, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर कहा जा रहा है कि वे चुनाव होने तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की रेस में बने हुए हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो में वीडी शर्मा के समर्थन में सभा को संबोधित करते हुए जनता से कहा था कि आप एक सांसद नहीं चुन रहे हैं, आप एक बड़ा नेता चुन रहे हैं। इसके बाद फरवरी 2020 में वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। वहीं, केपी यादव के मामले में शाह का आश्वासन फिलहाल खाली जाता दिख रहा है।

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