श्रीमंत पुत्र महाआर्यमन… ग्वालियर या गुना से लड़ेंगे चुनाव!

  • जूनियर सिंधिया की सक्रियता से अटकलों का बाजार गर्म…
  • हरीश फतेहचंदानी
महाआर्यमन

मप्र में अभी चुनावी शंखनाद भले ही नहीं हुआ है, लेकिन हर राजनीतिक गतिविधियों का आकलन होने लगा है। खासकर नेतापुत्रों की सक्रियता पर सबसे अधिक नजर रखी जा रही है। मप्र में अगर किसी नेतापुत्र की सबसे अधिक चर्चा है तो वो हैं केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया। चुनावी साल में महाआर्यमन जहां भी जा रहे हैं वहां उनका जोरदार स्वागत हो रहा है। इस कारण उनके चुनाव लडऩे की अटकलें भी तेज हो गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि महा आर्यमन ग्वालियर या गुना से चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे उनकी सक्रियता ग्वालियर में सबसे अधिक है। इसलिए लोगों को लग रहा है कि वे इस बार ग्वालियर से ताल ठोक सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया उन नेताओं में से एक हैं, जिनके राजनीतिक जीवन के अलावा उनकी लाइफस्टाइल, उनके परिवार और बहुत सी चीजों के बारे में चर्चा होती है। इसी के चलते उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया जो अभी तक राजनीति में नहीं आए हैं, लेकिन इसके बाद भी वह चर्चाओं में बने हैं। इसकी वजह है उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और सक्रियता।
फील्ड में एक्टिव हुए जूनियर सिंधिया
मप्र में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा-कांग्रेस एक्टिव हैं। ऐसे में अब प्रदेश के भाजपा नेताओं के बेटे भी अपने-अपने इलाकों में दौरे कर रहे हैं। नेताओं के बेटे जनता से मेल-मुलाकात करने के लिए क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया ग्वालियर के अलावा शिवपुरी और गुना में सक्रिय हैं। गत दिनों महाआर्यमन का शिवपुरी, कोलारस और गुना पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। महाआर्यमन सिंधिया के स्वागत के लिए सबसे ज्यादा एक्टिव सिंधिया समर्थक भाजपा नेता ही दिखाई दिए। शिवपुरी में उनका जगह-जगह जोरदार भव्य स्वागत किया गया। महाआर्यमन सिंधिया के वाहन में पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेश धाकड़, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हरवीर सिंह रघुवंशी सहित जिला पंचायत अध्यक्ष नेहा यादव और उनके पिता पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव दिखाई दिए।
शिवपुरी के बाद महाआर्यमन सिंधिया गुना पहुंचे। इस दौरान उनके साथ मप्र सरकार के पंचायत व ग्रामीण मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया उनके साथ थे। महाआर्यमन के स्वागत के लिए शिवपुरी जिले के कठमई स्थित फोरलेन हाईवे पर सिंधिया समर्थक नेता लंबी लाइन लगाकर खड़े रहे। इसके बाद महाआर्यमन कोलारस पहुंचे जहां करीब 50 स्थानों पर उनका स्वागत किया गया।
दादा और पिता की राह पर
एक तरह से देखा जाए तो महाआर्यमन सिंधिया की राजनीति में एंट्री हो गई है। क्योंकि महाआर्यमन के दादा माधवराव सिंधिया और उनके पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में एंट्री क्रिकेट के पिच से शुरू हुई थी। ठीक दादा और पिता की राह पर महाआर्यमन की राजनीति में एंट्री शुरू हो चुकी है क्योंकि महाआर्यमन को पहले ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष फिर मप्र क्रिकेट एसोसिएशन में सदस्य बनाया गया है। ऐसे में कयास लगाए जाने लगे है कि महाआर्यमन की सियासत की पिच में लॉन्चिंग हो गई है।
गैर राजनीतिक मंचों पर विकास का नजरिया
महाआर्यमन सिंधिया ने येल यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली है। वर्ष 2019 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे विभिन्न मंचों पर लगातार सक्रिय दिखाई दिए हैं। गैर राजनीतिक मंचों से ग्वालियर-चंबल अंचल के विकास को लेकर महाआर्यमन ने अपना नजरिया भी सार्वजनिक रूप से जाहिर किया है। महाआर्यमन की राजनीति में एंट्री को लेकर सबसे ज्यादा उत्सुकता युवा वर्ग में है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही महाआर्यमन का चेहरा भी काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। का जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पुत्र को राजनीतिक मंचों पर सक्रिय करने के लिए किसी अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं?
ग्वालियर के दुलारे हैं महाआर्यमन
सिंधिया राजघराने के युवराज की भले ही सियासत में घोषित तौर पर एंट्री नहीं हुई है लेकिन वह काफी लंबे समय से एक्टिव है। महाआर्यमन ग्वालियर चंबल संभाग की जनता के चहेते माने जाते है। वह पहले से ही क्षेत्र की जनता के दिलों में अपनी जगह बना चुके है। महाआर्यमन भले ही विदेश से पढ़ाई करके आए हैं लेकिन उनके दिलों में आज भी क्षेत्र की जनता बसी हुई हैं क्योंकि आर्यमन अपना जन्मदिन ग्वालियर में ही मनाते हैं। महाआर्यमन को बिना किसी लाव लश्कर के आम जनता के बीच देखा जा सकता है। वो आज भी जनता की समस्याएं सुनते हैं, उनका निराकरण करते हैं। महाआर्यमन को कई सार्वजनिक मंचों पर देखा जा चुका है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि वे ग्वालियर से चुनाव लड़ सकते हैं।
सियासत में सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी
गौरतलब है कि भारत के इतिहास में राजशाही के दौर में सिंधिया राजपरिवार का खासा रुतबा था। आजादी के बाद देश की सियासत में सिंधिया राज परिवार का रसूख बरकरार है। कांग्रेस से सियासत शुरू करने वाली राजमाता ने जनसंघ और भाजपा को मजबूती देने में अहम रोल निभाया। इसी दौरान माधवराव 26 साल की उम्र में अपनी मां की पार्टी जनसंघ से सांसद बने। बाद में माधवराव ने कांग्रेस का दामन थामा 9 बार सांसद और तीन बार केंद्रीय मंत्री बने। माधव राव के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को ज्योतिरादित्य ने आगे बढ़ाया, ज्योतिरादित्य 4 बार कांग्रेस सांसद और 2 बार केंद्रीय मंत्री बने। 2020 में भाजपा में शामिल हुए। ज्योतिरादित्य राज्यसभा से सांसद बने और मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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