जिम्मेदार सोते रहे और गरीबों का राशन होता रहा चोरी

राशन

बीते तीन साल से गरीबों का राशन चोरी कर खुले बाजार में धड़ल्ले से बेंचा जा रहा …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश मे राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए पूरा एक विभाग है और उसका अमला मैदानी स्तर पर तैनात रहता है, लेकिन यह अमला और विभाग ऐसी गहरी नींद में सोता है कि सालों तक गरीबों के राशन की होने वाली चोरी का पता ही नहीं चलता है। खास बात यह है कि जब तक इस चोरी का पता चलता है जब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसके बाद भी विभाग अपने दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं करता है। ताजा मामला राजधानी भोपाल की राशन दुकानों का है। यहां पर कई दुकानों पर बीते तीन साल से गरीबों का राशन चोरी कर खुले बाजार में धड़ल्ले से बेंचा जाता रहा, लेकिन न तो खाद्य विभाग के तैनात अमले को पता चला और न ही इन दुकानों की निगरानी के लिए गठित की गई समितियों को ही। इसकी वजह से इनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल इनकी निगरानी में ही गरीबों को राशन का वितरण किया जाता है। दरअसल माना जाता है कि यह काम बगैर मिली भगत के होना संभव नही है। ऐसे में साफ है कि भ्रष्टाचार के इस खेल में सरकारी अमला भी शामिल है। हद तो यह है कि शहर में जिला आपूर्ति नियंत्रक, तीन सहायक आपूर्ति अधिकारी और सात कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी का अमला पदस्थ है। इनकी  देखरेख में ही गरीबों को राशन वितरण कराया जाता है। इन अफसरों को निगरानी के लिए तीन-तीन जोन का प्रभार भी दिया गया है। इनके तहत हर अधिकारी के प्रभार में  10 से 12 वार्ड आते हैं।  इसके बाद भी संबंधित अफसर कभी इन दुकानों की जांच करना तो दूर उन पर नजर डालने तक नहीं जाते हैं। इसकी वजह से दुकानदार अपनी मर्जी से राशन वितरण का काम करते हैं। इसकी वजह से जमकर गड़बड़ी होती है और शिकायत भी होती है, लेकिन मजाल है कि कोई कार्रवाई की जाए। कारण है कि अफसरों का खुला संरक्षण दुकानदारों को रहता है। इसका खुलासा प्रमुख सचिव द्वारा कराई गई जांच में हुआ। दूसरे जिलों के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों द्वारा 76 दुकानों की जांच में 39 दुकानों ऐसी मिली, जिनमें गरीबों के राशन पर डाका डाला गया। मतलब पचास फीसदी में गड़बड़ी मिली। इससे समझा जा सकता है कि राजधानी की दुकानों में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है।
इन दुकान संचालकों पर होगी एफआईआर
जांच में गड़बड़ी को लेकर इन दुकान संचालकों पर एफआईआर करने की तयारी चल रही है। जिसमें नाजिया महिला भंडार, आशीर्वाद भंडार, दशहरा मैदान, मोहनी भंडार, शैतान सिंह मार्केट, महाकाली भंडार, जनता भंडार शब्बन चौराहा, नगीना भंडार भीमनगर, न्यू किरण भंडार, शांति भंडार, मोदी अशोक भंडार, अराधना भंडार, हंसा भंडार, दीपक भंडार, शमा भंडार, नितिन भंडार, प्रतिभा भंडार, राजेंद्र भंडार, सिस्टर निवोदिता भंडार, महात्मा भंडार कमल भंडार, नम्रता भंडार, न्यू जनकल्याण भंडार, जय लक्ष्मी भंडार, एकता मप्र भंडार और करोंद स्थित मां वैष्णो देवी उपभोक्ता भंडार शामिल है।
एक अफसर को प्रमोशन तीन का ट्रांसफर
पिछले छह सालों से जिला आपूर्ति नियंत्रक के पद पर पदस्थ ज्योति शाह नरवरिया को हाल ही में प्रमोशन देकर डायरेक्ट्रेट में तैनात किया गया है, वहीं सहायक आपूर्ति अधिकारी राजू कातुलकर, फूड इंस्पेक्टर सफदर खान और प्रताप सिंह का भी भोपाल से तबादला कर दिया गया है। यह घोटाला इन्हीं अफसरों के कार्यकाल के दौरान हुआ है। ऐसे में जांच के दायरे में यह सभी आ रहे हैं।
जनसुनवाई से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक हुई शिकायतें
कोरोना महामारी के समय मुफ्त राशन शुरू होने के बाद से ही सीएम हेल्पलाइन सहित खाद्य विभाग के दफ्तर और जनसुनवाई में राशन नहीं देने की ढेरों शिकायतें मिलना शुरू हो गई थीं, लेकिन अफसरों ने इन शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया। इसी का नतीजा है कि ढाई साल बाद सीएम की सख्ती के बाद घोटाला उजागर हुआ है। जिन दुकानों में गड़बड़ी मिली है, उस क्षेत्र के खाद्य अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।

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