- कम लागत में मिलेगी बिजली, मांग की पूर्ति की योजना संभव
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। इस बार प्रदेश में हुई औसत से अधिक बारिश की वजह से राज्य के सभी जलाशय पूरी क्षमता के साथ अपने दामन में पानी को भरे हुए हैं। इसकी वजह से सरकार से लेकर बिजली महकमे को बढ़ी राहत मिली है। बाधें के पूरी क्षमता से भरे होने की वजह से इस बार सरकार को दोहरा लाभ मिलना तय है। इसकी वजह से इस बार जब प्रदेश में बिजली की मांग अधिक रहेगी तब बिजली महकमे को बिजली खरीदने की जगह इन बांधों से र्प्याप्त बिजली मिल सकेगी। इसकी वजह है र्प्याप्त पानी होने की वजह से जल परियोजनाओं से उनकी पूरी क्षमता से बिजली बनाई जा सकेगी। प्रदेश में अभी 25 सौ मेगावाट बिजली इन परियोजनाओं से बनाई जा सकती है। पानी से बनने वाली बिजली का दूसरा फायदा यह है कि इसकी लागत बहुत कम आती है। इससे बिजली महकमें को आर्थिक रुप से न केवल बड़ी बचत होगी बल्कि उसके उपयोग में आने वाले पानी से सिचाई की भी र्प्याप्त सुविधा रहेगी। प्रदेश में मानसून की लगातार सक्रियता के कारण सामान्य से 23 फीसदी अधिक बारिश हुई है । इस बार सामान्य से अधिक बारिश होने की वजह से प्रदेश के सभी छोटे बड़े डेम लबालब भरे हुए हैं। इसका फायदा प्रदेश के पन बिजली घरों को मिलना तय है। प्रदेश के सभी हाइड्रल पावर प्लांट से इस बार पीक आवर में 2500 मेगावाट बिजली बन सकेगी। ऊर्जा विभाग का अनुमान है कि इस बार प्रदेश में बिजली की डिमांड सर्वाधिक करीब 17 हजार मेगावाट तक हो सकती है। इस दौरान पन बिजली घरों से ढाई हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सप्लाई की जा सकती है। इसकके लिए विभाग द्वारा पूरा प्लान तैयार किया जा चुका है। विभाग के मुताबिक पीक अवधि में अन्य राज्यों और बैंकिंग से करीब 5000 मेगावाट, विंड व सोलर प्लांटों से 5000 मेगावाट और थर्मल पावर हाउस से 9000 मेगावाट बिजली मिल सकेगी। अगर बीते साल की बात की जाए तो रबी सीजन में प्रदेश बिजली की अधिकतम मांग 15 हजार 700 मेगावाट तक पहुंच गई थी। इस साल खेती का रकवा बढ़ने और नये पंप कनेक्शनों लगने से लोड डिमांड सोलह हजार मेगावाट से भी ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कहां कितनी बनेगी बिजली
विभाग के मुताबिक सर्वाधिक पानी से बिजली इंदिरा सागर में बनेगी। यहां पर एक हजार मेगाबॉट बिजली बनाई जा सकती है। इसी तरह से ओंकारेश्वर 640 मेगाबॉट, तो सरदार सरोवर में 600, टोंस में 200, पेंच में 200 और बरगी में 90 मेगाबॉट बिजली बनाई जा सकती है।
सेंटर ग्रिड से भी मिलेगी अधिक
प्रदेश को अब सेंटर ग्रिड से ज्यादा बिजली मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इसकी वजह यह है कि मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने प्रदेश में बढ़ते लोड के मद्देनजर आष्टा के 400 केवी क्षमता के सब स्टेशन में 315 एमवीए क्षमता का अतिरिक्त पावर ट्रांसफॉर्मर लगा दिया है। इस पावर ट्रांसफार्मर के चार्ज होने के बाद अब भोपाल, उज्जैन और इंदौर सहित संपूर्ण मालवा की ट्रांसमिशन क्षमता और अधिक मजबूत हो गई है। सीहोर जिले का लोड बढ़ने से जैतपुरा (इंदौर), भोपाल आदि से ट्रांसमिशन हुआ करता था लेकिन, अब इसकी सप्लाई आष्टा से ही हो सकेगी। इससे जैतपुरा (इंदौर) देवास, चापड़ा, शुजालपुर, मुगलिया छाप क्षेत्रों में कृषि एवं घरेलू उपभोक्ताओं को क्वालिटी वाली पर्याप्त बिजली मिल सकेगी।
मालवा, निमाड़ में अधिक मांग
पिछले रबी सीजन में पश्चिम क्षेत्र से जुड़े मालवा निमाड़ इलाके में मध्य एवं पूर्व क्षेत्र के मुकाबले बिजली की ज्यादा मांग रह चुकी है। जनवरी 2022 में पश्चिम क्षेत्र में 6260 मेगावाट बिजली सप्लाई की गई थी जबकि, मध्य क्षेत्र में यह डिमांड 5013 मेगावाट और पूर्व क्षेत्र में 4510 मेगावाट रही थी।