सरकारी महकमों में बढ़ रहा संविदा कल्चर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में पिछले डेढ़ दशक के दौरान सरकारी महकमे में बढ़ते संविदा कल्चर, नियमित भर्तियां नहीं होने और रिटायरमेंट के कारण प्रदेश में नियमित कर्मचारियों की संख्या सीमित होती जा रही है। इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि कई विभागों में नियमित कर्मचारियों की संख्या तेजी से कम हो गई है। प्रदेश के आर्थिक सांख्यिकी संचालनालय द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में नियमित कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से अधिक है। इनमें प्रथम श्रेणी के 8 हजार 286, द्वितीय श्रेणी के 40 हजार 20, तृतीय श्रेणी के 5 लाख 48 और चतुर्थ श्रेणी के 58 हजार 522 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन छह लाख अधिकारी-कर्मचारियों में 4 लाख 29 हजार 750 पुरुष और लाख 77 हजार 126 महिला कर्मचारी है। नियमित कर्मचारियों के अलावा सवा लाख के करीब संविदा कर्मचारी और 50 हजार से अधिक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। प्रदेश में कार्यरत कुल कर्मचारियों में से ग्यारह प्रतिशत भोपाल और इंदौर में कार्यरत है। भोपाल में 40 हजार 101 कर्मचारी है, यह कुल कर्मचारियों का 6.67 प्रतिशत है, वही इंदौर में 4. 64 प्रतिशत कर्मचारी कार्यरत है। इसके बाद तीसरी स्थान पर ग्वालियर में 21 हजार 750 और चार में 20 हजार 429 कर्मचारी कार्यरत है। वहीं प्रदेश की कुल कर्मचारियों में 29 फीसदी महिला कर्मचारी कार्यरत है।
61 फीसदी से अधिक कर्मचारी तीन विभागों में
गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी महकमों में इस समय कुल 6 लाख 6 हजार 876 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें 61 फीसदी से अधिक कर्मचारी सिर्फ गृह, स्कूल शिक्षा और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग में कार्यरत हैं। वहीं भर्ती प्रक्रिया धीमी होने के कारण पिछले बार सालों में अधिकारी कर्मचारियों का आंकड़ा भी ज्यादा नहीं बढ़ा है। चार सालों में सिर्फ 50 हजार अधिकारी-कर्मचारी बढ़ पाए हैं। इनकी तुलना में निगम-मंडलों, स्थानीय निकायों और विकास प्राधिकरणों में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों को मिलाकर सर्वाधिक कर्मचारी है। स्कूल शिक्षा विभाग में 2 लाख 25 हजार 608 और गृह विभाग में 93 हजार 634 कर्मचारी कार्यरत हैं। तीसरे स्थान पर अनुसूचित जाति कल्याण विभाग है जिसमें 53 हजार 964 कर्मचारी कार्यरत है। वही लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 48 हजार 319, राजस्व विभाग में 28 हजार 229, जनजातीय कार्य विभाग में 19 हजार 204, वन विभाग में 18 हजार 597, विधि एवं विधायी कार्य विभाग में 17 हजार 708 कर्मचारी कार्यरत है। इसके अलावा प्रदेश में 1 लाख 24 हजार 370 संविदा कर्मचारी, 64 हजार 834 दैनिक वेतन भोगी, 33 हजार 798 कोटवार और 14 हजार 772 कार्यभारित कर्मचारी काम कर रहे हैं।
निकायों में लगातार घट रही कर्मियों की संख्या
भतिया न होने से प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रमी और निकायों में कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रम और अर्ध शासकीय संस्थानों में 2020 में जहां 47 हजार 28 कर्मचारी कार्यरत थे वही 2024 में यह संख्या घटकर 33 हजार 942 रह गई। इसी तरह नगरीय स्थानीय निकायों में चार साल पहले तक 34 हजार 957 कर्मचारी थे, 2024 में यह संख्या 29 हजार 966 रह गई। ग्रामीण निकायों में 5 हजार 422. विकास प्राधिकरणों में 582, विश्वविद्यालयों में 4 हजार 490 कर्मचारी कार्यरत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सार्वजनिक निकायों एवं अर्धशासकीय संस्थाओं में कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है। वही प्रदेश के 30 उपक्रमों में 28 हजार 950 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत है, वहीं अन्य श्रमिकों की संख्या सात हजार 640 है।
उम्रदराज हो रहे अधिकारी, कर्मचारी
प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत छह लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों में एक लाख से अधिक ऐसे हैं जो 56 साल की उम्र पार कर चुके हैं। प्रदेश में 56 साल की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों की संख्या 75 हजार 27 है तो 27 हजार 921 अधिकारी-कर्मचारी ऐसे है जो 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी 46 से 50 वर्ग की आयु के है। इनकी संख्या 93 हजार 116 है। वहीं 41 से 45 वर्ष आयु के 90 हजार 408 और 36 से 40 वर्ग आयु समूह के 87 हजार 795 कर्मचारी है।